भगवान ने फ्री फण्ड में नियामतें दी हैं – वायु, जल, धरती…. इसी तरह सॉफ्टवेयर में मिला है फॉयरफॉक्स. जब कल श्रीश जी ने कहा कि फॉयरफॉक्स में शब्दकोश का सर्च इंजन उसपर चिपकाया जा सकता है (देखें मेरे ब्लॉग पर कल की गयी उनकी टिप्पणी) तो मैने देखा कि वह मैने पहले ही डाउनलोड कर रखा है. फ्री की चीज पर नजर जाती नहीं. यही दो चार डालर दे कर लिया होता तो घिस कर इस्तेमाल करते.
फॉयरफॉक्स जमाने से प्रयोग करता हूं और यह मुझे सबसे बढ़िया ब्राउजर लगता है. खुलता दन्न से है. गूगल सर्च टूल बार इण्टरनेट एक्स्प्लोरर की गूगल टूल बार से बेहतर है. इसके अलावा ऐड-ऑन सॉफ्टवेयर की बड़ी च्वाइस है. हिन्दी में कई ब्लॉग बढ़िया दिखते है, पर कुछ में मुझे एक्स्प्लोरर पर जाना होता है. इस को लेकर ज्यादा परेशानी नहीं है. अपने 90% काम के लिये मैं फॉयरफॉक्स का प्रयोग करता हूं. कोई आश्चर्य नहीं कि लगभग 24% ब्राउजर यातायात फॉयरफॉक्स के पास है.
स्टैटकाउण्टर वाले मुझे यह भी बताते हैं कि लोग कौन से ब्राउजर से मेरे ब्लॉग पर पहुंचते हैं. यह देख कर मुझे आश्चर्य होता है कि मोजिल्ला फॉयरफॉक्स प्रयोग करने वाले भी 20-22% ऐसे हैं जो उसके पुराने संस्करण से काम चला रहे हैं. मोजिल्ला फॉयरफॉक्स का 2.0 सीरीज का ब्राउजर उपलब्ध है पर काफी लोग मोजिल्ला फॉयरफॉक्स 1.5 या 1.0.7 का प्रयोग कर रहे हैं. गूगल वाले अपनी टूल बार के साथ मोजिल्ला फॉयरफॉक्स के लेटेस्ट संस्करण को डाउनलोड की सुविधा देते हैं. उसका उपयोग करने में बुद्धिमानी है. ऐसा फॉयरफॉक्स रेफरल ऐडवर्टिजमेंट हमने भी बाजू में अपने ब्लॉग पर लगा रखा है – यह बताने को कि हम फॉयरफॉक्स के मुरीद हैं. वैसे फ्री-फण्ड के सॉफ्टवेयर में कई बार चोट हो गयी है जब उसके साथ वायरस/स्पाईवेयर उपहार में मिल जाते हैं. पर गूगल-फॉयरफॉक्स के साथ उसका खतरा नहीं.
सी-नेट रिव्यू में इण्टरनेट एक्स्प्लोरर 7 तथा फॉयरफॉक्स 2 का तीन जजों द्वारा तुलनात्मक आकलन किया गया है. कुल 5 मुद्दों पर आकलन है :
- इंस्टॉलेशन की दिक्कतें
- लुक एण्ड फील फैक्टर तथा बढ़ते प्रयोग कर्ता
- टैब में ब्राउजिंग
- अपग्रेडिंग और नये फीचर
- सिक्यूरिटी और परफार्मेंस
तीनो जजों ने इन सभी मुद्दों पर फॉयरफॉक्स को बेहतर पाया है. अत: आपके पास अगर फॉयरफॉक्स नहीं है तो अजमायें, बढ़िया लगेगा. और साथ में श्रीश का शब्दकोश वाला सर्च जरूर डाउनलोड कर लीजियेगा.
मैं जानता हूं कि यह लिख कर मैं ई-पण्डित के कार्य क्षेत्र में अनावश्यक दखल दे रहा हूं. पर कभी-कभी सामान्य ज्ञान वाला भी विशेषज्ञों वाले टॉपिक पर (दोयम दर्जे का ही सही) लिख तो सकता है – वह भी तब जब आप वास्तव में “फील-गुड़-फैक्टर” महसूस करते हों!
हिन्दी में कई ब्लॉग बढ़िया दिखते है, पर कुछ में मुझे एक्स्प्लोरर पर जाना होता है.आपको एक्स्प्लोरर पर जाने की जरूरत नही है, फॉयरफॉक्स का एक ऐड-ऑन है IETab इसकी मदद से आप फॉयरफॉक्स मे एक्स्प्लोरर जैसा वातावरण पा सकते हैं
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इस लोमड़ी का तो मैं पुराना मुरीद हूँ, बहुत ही कमाल की लोमड़ी है, बस दिक्कत सिर्फ एक है कि ये दिमाग (मेमोरी) बहुत खाती है, यदि आपके पास कम दिमाग (मेमोरी) हुई है तो ये आपके कंप्यूटर को कतई धीमा कर देती है। ये इसकी एक पुरानी समस्या है और इसे ‘मेमोरी लीक’ के नाम से जाना जाता है। हाँ अगर आपके पास पर्याप्त मेमोरी है तो कोई दिक्कत नहीं। बस इस एक कमी को छोड़कर ये दुनिया का सबसे अच्छा ब्राउजर है।फायरफॉक्स में हिन्दी सही न दिखने बारे एक पोस्ट लिखूँगा।
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मुझे नही अच्छी लगती ये लोमड़ी !
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पर रविजी नो स्टाइल वाले फार्मेट में मामला बहूत उजड़े हुए दयार का सा लगता है। कुछ और जुगाड़मेंट हो,तो उसे कहें। आलोक पुराणिक
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हिन्दी भाषियों के लिये अति उपयोगी जानकारी. इसे हम सरथी के ऊपर-पट्टी पर “उपयोगी लेख” में एक स्थाई कडी देंगे.मैं इस ब्राउसर का शुरू से उपयोग करता आया हू.
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आलोक जी, वैसे तो बहुत से इलाज हैं. परंतु सबसे सस्ता सुंदर और टिकाऊ है – ऐसे पेज में view>Page Style > No Style चुनें और मजे लें. 🙂
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पर जी हिंदी के ब्लाग इसमें बिखरे-बिखरे दिखते हैं, उसका क्या इलाज हैआलोक पुराणिक
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समर्थन!!मैं भी अपने ज्यादातर काम फायरफॉक्स पर ही करता हूं!! पर कुछ चिट्ठों में हिन्दी की बिन्दी सही नहीं दिखती…
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समर्थन!!मैं भी अपने ज्यादातर काम फायरफॉक्स पर ही करता हूं!!
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शक नहीं फायरफॉक्स सबसे उम्दा ब्रॉउसर है। मैं कई बार इसके बारे में लिख चुका हूं।
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