एक सज्जन नेटवर्क मार्केटिंग के तहद घर पर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कुकिंग सिस्टम का डिमॉंस्ट्रेशन कर के गये हैं. पूरे जादुई अन्दाज में. चार कप चाय बना कर बताई है. कूकर की प्लेट पर 500 रुपये का नोट रख कर बताया है कि कुकिंग सिस्टम की प्लेट गरम नहीं होती और नोट जलता नहीं. हाथ भी पीसी सरकार की मुद्रा में चलाये हैं. नेटवर्क मार्केटिंग पर छोटा-मोटा व्याख्यान भी दे दिया है.
उनके जाने के बाद घर में सब चर्चा रत हैं और मैं इण्टरनेट पर यह कुकिंग सिस्टम सर्च कर रहा हूं. अपने लिये तो सारी सूचना इसी कम्प्यूटर के डिब्बे में बन्द है. तीन चार साइटें – चीन और चैन्ने के साथ और जगहों के पते भी हैं. बताया है कि बिजली बहुत कम लेता है, बर्तन जलने-उफनने का झंझट नहीं. आगे आने वाले समय में जब पेट्रोल 100 रुपये लीटर होगा और रसोई गैस पर सबसिडी खतम होगी तब तो यह खूब चलेगा…
घर में सब मगन हैं. अब दूसरे स्तर पर चर्चा चल पड़ी है – अरे चुन्नू के यहां भी यही आया है. उसे मालूम नहीं, तभी बिजली का हीटर बोल रहा था जो गरम नहीं होता. जब तक वे कंटिया फंसा कर बिजली लेते थे, तब तक खाना उसी पर बनाते थे. अब बन्द कर दिया है…. और साथ में जो विमल सूटिंग का सूट लेंथ फ्री मिलेगा, वह काम का है. सर्दी में एक सूट बनवाना ही है (सूट की सिलाई खर्च की चर्चा कोई नहीं कर रहा)…. रसोई गैस तो फिर भी रखनी होगी. बिजली का क्या भरोसा कब चली जाये.
न जी, यह वाला कूकर लो, साथ में चपटे पेन्दे के स्टील वाले बर्तन/प्रेशर कूकर लो… खर्चा ही खर्चा…और बोल ही तो रहा है बेचने वाला कि महीने में 200-250 रुपये की बिजली लगेगी. ज्यादा लगी तो? यह सुन कर मैं नेट पर देखता हूं – 1.8 किलोवाट की रेटिंग है कुकिंग सिस्टम की. पर घर में कोई नहीं बता पाता कि रोज कितने समय तक यह चलेगा खाना बनाने में. मेरा कैल्कुलेटर इस्तेमाल ही नहीं हो पाता. बाकी लोगों को यूनिट उपयोग की कैल्क्युलेशन से लेना-देना नहीं है. चर्चा जारी रहती है.
अच्छा अम्मा, आप ले रही हैं? अम्मा पल्ला झाड़ लेती हैं – आप लोग बनाते हो, आप जानो. फिर मेरी तरफ देखा जाता है – इण्टरनेट पर देख रहे हो, बताओ? मैं कम्पनी का टर्नओवर ढूंढ़ रहा हूं. अगर इतने लाख लोग नेटवर्क से जुड़े हैं (जैसा वह डिमॉंस्ट्रेटर बता रहा था) और प्रतिव्यक्ति टर्नओवर 5-6 हजार का है तो नेटवर्क कैसा. हर आदमी केवल उत्पाद खरीद कर अंगूठा चूस रहा होगा और शेखचिल्ली की तरह लखपति बनने का ख्वाब देख रहा होगा!
मुझे केवल (और केवल) खर्चा नजर आ रहा है. कुल 7100 रुपये का चूना. नेटवर्क मार्केटिंग कर आगे बेच पाना मेरे घर में किसी के बूते का नहीं. साल भर बाद एक कोने में एक और मॉन्यूमेण्टल पीस जमा हो जायेगा. बिल्कुल सोलर कूकर के बगल में? सूट और टाई मैं पहनता नहीं. वह भी पड़ा रहेगा, इस प्रतीक्षा में कि कभी मैं शायद साहब बनना चाहूं. शायद रिटायरमेण्ट के बाद उपयोग हो, जब लोग वैसे साहब मानना बन्द कर दें!
रविवार के 2-3 घण्टे मजे से पास हो गये हैं.
समझ नहीं आ रहा कि लेख की तारीफ करें या टिप्पणियों की । सब एक से एक हैं । घुघूती बासूती
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कभी अगर प्रमोशन होकर आप टी टी हो गये तब तो सूट काम आयेगा. ब्लैक वाला मांग लें उससे. एक चिनॉय सेठ का सुभाषित याद आ रहा है-‘जिनके घर में कटिया की बिजली होती है, वो बिजली का भाव नहीं आंका करते.’ फिर इलाहबाद में रहकर आप किस केलकूलेशन में डूबे हैं? ले लिजिये न!!आलोक भाई का शेर जबरदस्त है:वह हर शख्स जिसका दिल वहीं का वहीं हैवह नेटवर्क मार्केटिंग के काबिल नहीं है.वो भी कहाँ व्यंग्य लेखन में फंसे हैं. शेर शायरी करना चाहिये उनको अब.
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आपको इससे बचने की बधाई। 🙂 कई साल पहले एक बार हम इस चक्कर मे पड़ चुके है। पर उसके बाद से कान पकड़ा की कभी ऐसे झांसों मे नही आएंगे।
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बधाई हो बचने की, देखते है कब तक बचते हो आप!!इहां हम तो चार साल से बचते आ रहे हैं। रोज्जै एक ना एक बंदा चेप लेता है नेटवर्किंग महिमा सुनाने के लिए, ये अलग बात है कि उसके बाद उल्टे लद गए बांस बरेली को वाले अंदाज़ में निकल लेता है वो!!
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शिव जी ये मेरा कापीराईट आईडिया है आप इसको प्रयोग नही कर सकते ,मै टेलीकालर्स को पहले अपना ब्लोग पढकर टिपियाने को कहता हू,इस चक्कर मे मेरे पास आने वाले फ़ोन २५% ही रह गये है..वैसे ज्ञन जी को ये खरीद ही लेना चाहिये बाद मे इस पर भी पोस्ट लिखी जा सकेगी,”बेकार पडा सामान” इसका कया करे टाईप..:)
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