काकेश ने परसों पोस्ट लिखी थी कि रेलवे स्टेशन पर आटो-टेक्सी के लिये मोल-भाव गलत है. मुझे एक दृश्य याद हो आया. मैं एक पैसेन्जर गाड़ी से जा रहा था. मेरा कैरिज ट्रेन के अन्त में था. (शायद) राजातलाब (वाराणसी-इलाहाबाद के बीच) स्टेशन पर पैसेन्जर ट्रेन रुकी. प्लेटफार्म के बाहर मेरा कैरिज रुका था. उसी के पास ढेरों आटो रिक्शा खड़े थे; पैसेंजर गाड़ी से उतरने वाली सवारियों के लिये. एक दम्पति जो पास के कोच से थे – सबसे पहले पंहुचे आटो अड्डे पर. और उनके लिये जो छीना झपटी मची कि क्या बतायें – सामान एक ऑटो वाले ने लपका, बीवी दूसरे आटो के हवाले, बच्चा हक्काबक्का. आदमी की एक बांह एक आटो वाला खींच रहा था और दूसरी दूसरा! सवारी की छीना झपटी का पूरा मजाकिया दृष्य था.
कुछ वैसा ही दिल्ली में होता रहा होगा. या सही कहें तो सब जगह होता है – सवारी छीनना और किराये के लिये हैगलिन्ग (haggling). उसके समाधान के लिये जो कुछ काकेश ने लिखा है – रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आर.पी.एफ.) ने वह किया है!
मैने कल अपने आर.पी.एफ. के अधिकारियों से रेलवे एक्ट’1989 की वे धारायें पुछवाईं, जिनका प्रयोग इस प्रकार के मामलों में वे करते है.
(काकेश द्वारा प्रस्तुत चित्र का अंश और आर.पी.एफ. का लोगो)
बड़ी साधारण सी निकली वे धारायें. असल में इस प्रकार के मोल-भाव रेलवे के सामान्य बिजनेस का हिस्सा तो हैं नहीं. अत: उनपर विस्तृत नियम नहीं बनाये गये हैं. मोटर वैहीकल एक्ट में भी खास प्रावधान नहीं हैं. मार्केट विषयक कानूनों में शायद हों. पर आर.पी.एफ. को अधिकार रेलवे एक्ट के तहद मिले हैं; लिहाजा वे रेलवे एक्ट के अध्याय १५ में निहित धारा १४४ व १४५ का प्रयोग करते हैं.
इन धाराओं के मूल विषय हैं:
धारा १४४: सामान बेचने और भीख मांगने पर पाबन्दी की धारा.
धारा १४५: नशे और उपद्रव करने के खिलाफ धारा.
इन धारओं का पूरा हिन्दी अनुवाद करना मेरे लिये कठिन काम है. अंग्रेजी में आप यहां देख सकते हैं (एक ही पन्ने पर पूरा एक्ट छपा है). धारायें पढ़ने पर लगता है कि यात्रियों को परेशान करने और मोल-भाव करने वाले तत्वों को एक बारगी जेल भेजने के लिये सक्षम हैं ये धारायें.
यह अलग बात है कि इन धाराओं में प्रॉसीक्यूशन के मामले बहुत कम होते हैं.
एक कानून के पैदल से कानून विषयक पोस्ट झेलने के लिये धन्यवाद. अब जरा टिप्पणी करते जायें. 🙂
ज्ञान जीआप ने भी पकड़ पकड़ के सवारियों को मेरे ब्लॉग की आटो रिक्शा की और ठेला है उसके लिए तहे दिल से शुक्रिया !आज के युग मैं जहाँ सब अपना घर भरने मैं लगे वहाँ आप जैसा इंसान मिलना किसी अजूबे से कम नहीं !आप के इस निष्काम प्रेम का उदाहरण मिलना असंभव है !नीरज
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सही है. अनुवादी गलती ही है मगर एक्ट के लिंक आगे नहीं खुल रहे. चलिये, पढ़ना भी कोई विशेष आवश्यक नहीं!! 🙂
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एक कानून के पैदल ने कानून के हम जैसे अंगूठाछापों को जो जानकारी दी उसके लिए शुक्रिया!
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हमेशा की तरह सार्थक और ज्ञानवर्धक …
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नियम-कानून तो बहुत है पर पालन कैसे होता है हम सभी जानते है। यह हमारा देश है और हमे ही इसे आगे बढाना है – यह भावना जब तक जन-जन मे नही जागेगी तब तक ऐसा ही चलता रहेगा। पर यह भावना जगायेगा कौन? अरे भई, यह हमारी भी जिम्मेदारी है अत: समस्याए बताकर और समस्या खडी करना और लोगो को कोसने के अलावा समाधान पर भी चर्चा होनी चाहिये। कुछ ऐसी ही बात ज्ञान जी मुझे समझाते रहे है पर पिछ्ली कुछ पोस्ट से वे खुद ही समस्याए उठा रहे है। चलिये अब समाधान पर भी चर्चा करे।
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