तनाव में कौन काम नहीं करता। ब्लॉगरी में एक बिरादरी है। सुपीरियॉरिटी कॉम्पेक्स से लबालब। जनता का ओपीनियन बनाने और जनता को आगाह करने का महत्वपूर्ण काम ये करते हैं तो जाहिर है कुछ भगवा तत्व (या नॉन भगवा भी) इनको कॉर्नर कर लेते हैं। कॉर्नर होने से बचने में पहले तो ये गुर्राते रहते हैं; पर जब तरकश में तर्क के तीर खतम हो जाते हैं तो, विषय से इतर, बड़े मस्त तर्क देते हैं –
- हम मीडिया पर अपनी बात कहने को स्वतंत्र थोड़े ही हैं। मीडिया मालिक तय करता है हमें क्या कहना है!
- आप क्या जानें; कितने तनाव में काम करना पड़ता है हमें।
भैया, किसका ऑर्गेनाइजेशन उसपर अपनी पॉलिसी सुपरइम्पोज नहीं करता? कौन है जिसे काम में तनाव – भीषण तनाव नहीं झेलना पड़ता। पर सभी तो सुपीरियॉरिटी कॉम्प्लेक्स की ऐंठ में नहीं रहते और कॉर्नर होने पर तनाव की बोगी (bogey – हौव्वा) नहीं खड़ा करते।
तनाव की बात चली है तो मैं रेल के तनाव की बात बताता हूं। दिवाली से पहले इलाहाबाद में रेल दुर्घटना हुई। 12 घण्टे से ज्यादा यातायात बन्द रहा। उसके बाद पूजा और छठ स्पेशल गाड़ियाँ बेशुमार चल रही हैं। दिवाली के चलते स्टॉफ का गैर हाजिर होना भी ज्यादा है। लिहाजा पूरा दिल्ली-हावड़ा ट्रंक रूट ठंसा पड़ा है गाड़ियों से। इस स्थिति में जिसके ऊपर ट्रेन यातायात की जिम्मेदारी हो, वह काम के बोझ/थकान/खीझ और झल्लाहट के चलते कटखने कुकुर जैसा हो जाता है। और आप देख रहे हैं कि मैं ‘चना जोर गरम’ या ‘चिन्दियां बटोरने वाले’ पर लिख रहा हूं। अपनी शहादत बयान नहीं कर रहा। मैं इस बारे में सहानुभूति वाली टिप्पणी की अपेक्षा भी नहीं कर रहा। ब्लॉगरी समय चुरा कर की जाती है। जैसा समीर लाल जी ने अपनी पोस्ट में कहा है – उसके लिये समय बीच-बीच में निकालने की बाजीगरी करनी होती है – पर वह ढ़िंढोरा पीटने का विषय नहीं है।
रेल यातायात सेवा में तनाव के किस्से
1. रेल अधिकारी को तनाव अपने से ऊपर वाले को सवेरे की पोजीशन देने में सबसे ज्यादा होता है। दो दशक पहले, मैं रतलाम में पदस्थ था। बारिश का मौसम शुरू हो गया था। गाड़ियां तरह तरह की मुसीबतों के चलते अटक रही थीं। बारिश में मालगाड़ी की स्टॉलिंग और सिगनलों का विफल होना त्राहि-त्राहि मचा रहा था। ऐसे में मुख्यालय के अधिकारी (जैसा मैं आज हूं) को झेलना सबसे तनावग्रस्त होता है। अधिकारी बहुत अच्छे थे पर काम का तनाव तो था ही। उनके बार-बार टोकने-कहने से मैं झल्ला पड़ा – ‘सर, अठारह घण्टे काम कर रहा हूं पिछले हफ्ते भर से। अब और क्या करूं।’
फोन पर एकबारगी तो सन्नाटा हो गया। ऐसा जवाब सामान्यत: रेलवे में किसी बहुत बड़े को दिया नहीं जाता। फिर लगभग गुर्राती आवाज में दूसरी तरफ से वे बोले – ‘ह्वाट फ** अठारह घण्टा! बाकी छ घण्टे क्या करता है तुम!” बुढ़ऊ की गुर्राती आवाज में जो स्नेह था; वह महसूस कर काम पर लग गये हम; अतिरिक्त जोश से!
2. मेरे सहकर्मी अफसर ने कुछ दिन पहले एक किस्सा सुनाया। मण्डल स्तर का अधिकारी (जैसे ऊपर के किस्से में मैं था) मुख्यालय के बॉस को जवाब दे रहा था। सवालों की झड़ी लगी थी। अचानक बॉस को लगा कि कहीं यह जवान गोली तो नहीं दे रहा। पूछ लिया कि सच बोल रहे हो या यूं ही गप बता रहे हो? जवान ने बड़ी बेबाकी से कहा – ‘सर, जितना मैने बताया है, उसमें 60-65% तो सही-सही है। पर यह भी देखें कि सिविल सर्विसेज की परीक्षा में अगर 60-65% कोई सही-सही कर दे तो टॉपर हो जाता है।‘ ऐसे जवाब पर अगर ट्यूनिग सही हो तो तनाव फुर्र! नहीं तो बिसुरते रहो – मीडियाटिक तरीके से!
श्री दिनेश ग्रोवर, लोकभारती, इलाहाबाद के मालिक
(सतहत्तर साल के लगते नहीं! सन 1954 में राजकमल की शाखा ले कर इलाहाबाद आये थे।) |
कल हम दोपहर कॉफी हाउस जाने को निकले पर पंहुच गये लोकभारती (पुस्तक वितरक और प्रकाशक)। वहां लोकभारती के मालिक दिनेश ग्रोवर जी से मुलाकात हुयी| उनसे बातचीत में पता चला कि वे पुस्तक प्रकाशन में तब जुड़े जब हम पैदा भी नहीं हुये थे। आज दिनेश जी 77 के हो गये। जन्मदिन की बधाई। इतनी उम्र में इतने चुस्त-दुरुस्त! मैं सोचता था वे 65 साल के होंगे। |
“‘सर, जितना मैने बताया है, उसमें 60-65% तो सही-सही है।”अगर यही कथन ब्लोग्गेरी में पाये हुए आपके कमेंट्स के बारे में कही जाए टू कैसा रहेगा जी??
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सही कहा है आपने. कौन है जो काम मे तनाव नही झेलता.सबके आपने अपने स्तर के तनाव है पर सर अगर काम को काम समझेंगे तो ये तनाव बढेगा और मौज मस्ती की तरह करेंगे तो तनाव मुक्त रहेंगे. ये दोनों ही स्थितियां मैं महसूस करता हूँ. आप भी करतें होंगे. सुपीरियॉरिटी कॉम्पेक्स वाली बात आपने जोरदार कही. ये लोग तो जैसे काम करके हमे मोल ले लेते है. अच्छा सर देखिये कितनी बड़ी विसंगति है कि जो लोग दूसरों को तनाव देते है वोही तनाव कि बात करते है. मतलब उल्टा चोर कोतवाल को डांटे.
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दिनेश जी को मेरी तरफ से ढेर सारी बधाईयां..
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जन्मदिवस की वैगन भर शुभकामनाए। ब्लागरी जीवन का जन्मदिन कब है। उसे जोर से मनायेंगे।
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हमारा एक ब्रह्म वाक्य सुनिए” सिर्फ़ मृत्यु को प्राप्त व्यक्ति ही तनाव रहित होता है.”नीरज
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जन्मदिन की बधाई व शुभकामनाएं!!अलोक पुराणिक जी के कमेंट में हमारी भी सहमति है!!
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आपको व दिनेश जी को जन्मदिन मुबारक हो . कुछ मिष्ठान्न-मिठाई मिले तो हम भी मुबारक अवस्था को प्राप्त हों .कोई विशिष्ट नहीं है . काम सभी कर रहे हैं . विशिष्टताबोध एक किस्म का अभिजनवादी रुझान ही है .
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जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।रही बात तनाव की, तो ये तो person to person निर्भर करता है। कुछ लोग , कुछ ना होने पर भी “सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं” के माफिक होते हैं…तो कई ऐसे भी मिलेंगे कि खूब तनाव/काम होने पर भी हँसते खिलखिलाते दिखेंगे।
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जन्मदिन की खूब सारी बधाई ।
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जन्मदिवस पर लख-लख शुभकामनाएं!! ऐसे ही आप देश भर का तनाव अपने सिर पर झेलते रहें!!
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