इलाहाबाद हाई कोर्ट के पास हनुमान मंदिर है – २१/२२ न्याय मार्ग, इलाहाबाद (प्रयाग) में (ऊपर चित्र)। चौराहे पर और हाई कोर्ट के ठीक दायें। कोर्ट आने वाले मुवक्किलों, वकीलों और अन्य जनता का जमघट लगा रहता है यहां। हनुमान भक्त भी बहुत संख्या में होते हैं। हनुमान जी की प्रतिमा भव्य है और रास्ते से दिखाई देती है। मैं आते जाते अपने वाहन की खिड़की से झांक कर दर्शन/प्रणाम कर लेता हूं रोज।
एक दिन दोपहर में दफ्तर में भोजन कर मेरे मित्र श्री उपेन्द्र कुमार सिंह और मैने निश्चित किया कि हनुमान मन्दिर तक टहल लिया जाये। हनुमान मन्दिर हमारे दफ्तर से आध किलोमीटर की दूरी पर है। हम दोनों एक अमरूद और ५ रुपये की मूंगफली लिये मंदिर के आस-पास सड़क पर टहल रहे थे। अचानक मुझे लगा कि हम सड़क पर क्यों चल रहे हैं? फुटपाथ कहां है? असल में भारत में सड़क पर वाहनों के बीच चलने के हम ऐसे आदी होते हैं कि फुटपाथ की अपेक्षा नहीं करते। पर वह हालत हाई कोर्ट की नाक के नीचे हो?!
मैने आस-पास देखा। फुटपाथ घेर लिया था पूरी तरह चाट, फूल, पान और प्रकार की दुकनों, ढाबों तथा ठेले वालों ने। आस पास की सड़क पर भी क्वासी परमानेण्ट रूप से वाहन पार्क किये हुये थे। हमारे पास बीच सड़क पर चलने के सिवाय चारा नहीं था। आप जरा पवनसुत हनुमान मंदिर के पास फुटपाथ अतिक्रमण के चित्र देखें।
आप देख सकते हैं कि फुटपाथ की रेलिंग है पर फुटपाथ की पट्टी चलने के लिये उपलब्ध नहीं है। इस स्थान से माननीय न्यायधीश और हाईकोर्ट के धाकड़ वकील लोग रोज गुजरते होंगे। कार्यपालिका से बहुत उम्मीद नहीं की जा सकती। क्या न्यायपालिका के स्तम्भ यह दशा बतौर नागरिक स्वत: (suo motto) संज्ञान में नहीं ले सकते और उसे जन हित याचिका में बदल कर प्रशासन को आदेश दे सकते – आम नागरिक के लिये फुटपाथ मुक्त कराने के लिये?
मैं इस पोस्ट के बारे में पत्नी जी को बताता हूं तो वह कहती हैं कि तुम्हें फोटो खींचने और लिखने में सिवाय खुराफात के और कुछ करने को नहीं है? इस जैसी प्रमुख जगह पर फुटपाथ होते ही हैं अतिक्रमण करने के लिये!
पर हाई कोर्ट के इतना करीब?
(दिनेशराय द्विवेदी या उन्मुक्त ही बता सकते हैं कि यह ब्लॉग पोस्ट suo motto जन हित याचिका बन सकती है या नहीं। या कोर्ट कहीं हमें ही पूछ बैठे कि दफ्तर के समय में यहां कहां टहल रहे थे प्यारे?)
और अब सुनिये/पढ़िये स्वर्गीय श्री कैलाश गौतम की इलाहाबाद पर कविता:
ई शहर ना मरी
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(आवाज मेरी है – गौतम जी की नहीं)
जब ले पिरथी रही इ शहर ना मरी
गंगा-जमुना क हमरे लहर ना मरी॥
घर में हरदम अतिथियन क स्वागत रही
शब्द गूंजत रही, भाव जागत रही
पुण्य छूवत रही, पाप भागत रही
तन दधीची रही, मन तथागत रही
ना मरी रोशनी ई डहर ना मरी॥
पर्व आवत रहीं, जै मनावत रही
रेत में प्रेम से घर बनावत रही
जिंदगी हंस के सरबस लुटावत रही
भीड़ गावत बजावत जगावत रही
बाढ़ में भी इ बालू क घर ना मरी॥
धार अमिरित क कलकल बही अइसहीं
सब सुनी अइसहीं, सब कही अइसहीं
बाढ़ पाला इहां सब सही अइसहीं
रेत भीजत पसीजत रही अइसहीं
ना मरी ई शिविर कवनो स्वर ना मरी॥
कल टिप्पणी में नीरज जी ने सूचना दी: “आप के ब्लॉग रोल पर “कथाकार” के ब्लॉग का उल्लेख है, उसके रचियिता श्री सूरज प्रकाश आज सुबह फरीदाबाद में सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो कर दिल्ली के फोर्टिस एस्कोर्ट हॉस्पिटल की गहन चिकित्सा कक्ष में भरती हैं. आगामी २४ घंटे उनके लिए बहुत क्रिटिकल हैं. सभी ब्लॉगर्स से विनती है की वे उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना करें.”
ईश्वर श्री सूरज प्रकाश को शीघ्र स्वस्थ करें। यह दिल से कामना है।
कविता पाठ तो नहीं सुन पाया, पर टैक्ट अच्छा लग रहा है। मुंबई में हुई ब्लॉगर बैठकी में सूरज प्रकाश जी ने इस बात की चर्चा की थी कि किस तरह उनके घायल होने की खबर पूरे ब्लॉगजगत में फ्लैश हो गई और इन सब बातों के बारे में उन्हें कई दिन बात पता चला कि ब्लॉगजगत में उनके स्वास्थय के प्रति लोगों ने बहुत सी शुभकामनाएं भेजी हैं। इन्ही सब खबरों को पढ सूरज जी के लिये ब्लड डोनेट करने के लिये भी लोग सामने आए थे।
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आपका कविता पाठ तो धाँसू है ! घूमते-फिरते यह लिंक मिल गया.
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जहॉं भीड़ भाड़ होती है वहॉं दुकाने आपने आप लग जाती है। हर दिन उच्चन्यायालय में 5000 वकील और 15000 वादी प्रतिवादी आते है। अगर यह अतिक्रमण न होता तो वे खायेगे ? रही बात जनहित याचिका की तो आप जिधर सिर उठायेगें उधर ही जनहित याचिका के विषय मिल जायेगें। मेरे घर के इतना पास पास होकर चले जाते है बताते तो एक ब्लागर मीट और साथ में कुछ ईट भी हो जाता 🙂
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ज्ञान जी, पहले पढ़ते और चित्र ही देखते थे आज आपकी आवाज़ में स्वर्गीय कैलाश जी की कविता सुनकर अच्छा लगा. दो तस्वीरों में सूरज की किरण फुटपाथ पर ही पड़ रही है जिसे देख कर तो आनन्द आ गया और अपने इसी देश की याद सताने लगी… (पंकज जी की कविता भी प्रभाव छोड़ गई)सूरज जी शीघ्र स्वस्थ हो घर पधारेंगे.
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जब ले पिरथी रही इ शहर ना मरीगंगा-जमुना क हमरे लहर ना मरी॥प्रयाग महिमा गाने के लिए आपको बधाई…गौतम जी की आत्मा को शांति मिले..
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