आलोक 9-2-11 के पोस्ट के हेडिंग और विषयवस्तु बड़े सिर खुजाऊ होते हैं। और जब तक आप समझ पायें, वे नौ-दो-ग्यारह हो जाते हैं।
पहले वे बोले कि उनके चिठ्ठे का एचटीएमएल अवैध है। फिर वे इतराये कि वे शुद्ध हो गये हैं। पर लोगों की टिप्पणियों का ब्लॉग पर संसर्ग उनके ब्लॉग के गुणसूत्र बिगाड़ देता है। अपने को समझ नहीं आया। अब यह HTML कूट कहां से सवर्ण-विवर्ण होने लगा!
भला हो, हमारे अनुरोध पर उन्होने अपनी उलटबांसी वाली भाषा छोड हमें बताया कि एचटीएमएल कूट भी मानक/अमानक होता है। ठीक वैसे जसे रेल के काम में कुछ मानकीकृत तरीके से है और कुछ धक्केशाही में। एचटीएमएल में भी खासी धक्केशाही है। और यह धक्केशाही संगणक जगत में बहुत है; यह बताने के लिये उन्होने बहुत धैर्य के साथ अपने मानक के खिलाफ माइक्रो नहीं, मैक्सी पोस्ट लिखी।
खैर, आप अपने ब्लॉग की एचटीएमएल शुद्धता जांचें वैलिडेटर साइट से। हमारे ब्लॉग का वैलिडेशन तो फेल हो गया है। कल अगर HTML मानक के अनुसार ही चलने लगा तो हमारा ब्लॉग तो हुआ ठप्प। पर तब तो Y2K जैसा चीत्कार मचे शायद (जो अंतत: निरर्थक साबित हुआ था)!
(आप नीचे के चित्र पर भी क्लिक कर वैलिडेटर साइट पर जा सकते हैं। वहां Address में अपने ब्लॉग का एड्रेस भरें और परिणाम देखें।)
अब हम होते हैं नौ-दो-ग्यारह!
और हाँ, हटमल शब्द पसन्द आया!
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अरे भई जिसने इतना बड़ा लेख लिखा उसके यहाँ भी कुछ टिप्पणियाँ छोड़ जाते 🙂
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ek to pahle hi technically pichde hue they,aapkiis post ko padhkar aor ulajh gaye …..ab jaisa bhi hai likh dalege….mua pc kitni hi galtiya dikhaye…..
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दिनेश जी की पोस्ट पढने और टिपण्णी करने के बाद भी हम आपकी पोस्ट पढ़कर ख़ुद को नही रोक पाये और बैरंग ही वापिस आ गए। 🙂
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लो एक भी गलती नही………….. जिन्हें शक हो वे जाकर मेरा ब्लॉग चेक कर लें. 🙂 🙂 🙂
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कुछ उत्साहवर्धक बात करे। गूगल मे ‘ज्ञानदत्त पाण्डेय’ खोजने पर 55,500 परिणाम आ रहे है। वही रवि जी का नाम खोजने पर 12,900। संजीत 36,600 पर है। ऐसी उत्साहवर्धक बाते ही नये हिन्दी ब्लागरो को रोक सकती है पलायन से। मेरा नाम अंग्रेजी मे खोजने पर 24,000 परिणाम आते है पर हिन्दी मे खोजने पर 1,53,000 । हिन्दी ब्लागिंग मे वाकई दम है।
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