राखी सावंतीय ग्लेमर के टोटके हिन्दी ब्लॉग जगत पर हावी हैं।
“आईना देखो फलाने ब्लॉगर जी!” “होश में रहो अलाने ब्लॉगर!” “धिक्कर है इस सरकार को।” “जनसत्ता की कैंची की कतरन का बुरादा – यह देखो जो नहीं छापा!” “हुसैन को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिये।” “नारद/ब्लॉगवाणी/चिठ्ठाजगत क्या गन्द फैला रहे हैं “– इस छाप के हेडिंग बनाइये और राखी सावंतीय क्लिक्स पाइये अपने ब्लॉग पोस्ट पर। पोस्ट में भले ही टिल्ल सी चीज लिखिये।
बहुत सब्स्टेंस या श्रम की दरकार नहीं है। आपको पब्लिश बटन दबाने के पहले पोस्ट को संवारने – सुधारने की भी आवश्यकता नहीं है। राखी सावंतीय ग्लेमर के लिये आपको ज्यादा मेहनत नहीं करनी है। आपको चाय के प्याले में तूफान लाना होता है, बस। उसके लिये एक कस कर फूंक मारनी होती है पूरे फेफड़ों में हवा भर कर। फेफड़ों में हवा भरना बाबा रामदेव सिखा ही दे रहे हैं। उनका ग्लेमर भी राखी सावंत की टक्कर का है। दोनो कस के बतियाते हैं।
आलोक पुराणिक/काकेश/संजीत तो जबरी मुझे राखी सावन्तीय ग्लेमर के साथ टैग करने का यत्न करते हैं। और हम हैं कि बार बार पगहा तुड़ा कर निकलने का यत्न करते हैं। पर हिन्दी ब्लॉगरी में बहुत से राखी सावंतीय लोग हैं। तेजी से फल रहे हैं। और फूल रहे हैं। आबाद रहें वे इण्डियन ब्लॉग ऑइड्ल्स! ब्लॉगरी का यह स्टाइल “अहो रूपम, अहो ध्वनि” वाले स्टाइल से ज्यादा और जल्दी परिणाम देने वाला है। आपको समीर लाल जी की तरह हर ब्लॉग पर जा जा कर साधुवादीय टिप्पणी देने की जरूरत नहीं। बस स्टॉर्म इन टी-कप लाइये!
हमारी ट्यूबलाइट तो पिछले दिनों कुछ पोस्टें पढ़ने पर देर से जली और भक्क से जली।
कुमारी राखी सावंत का ग्लेमर आपको ज्यादा नहीं पसन्द आता तो यह बाड़मेर पुलीस का रपट पढ़ लीजिये –
प्रार्थिया श्रीमती पूरो पत्नी सुजाना राम प्रजापत निवासी बाडमेर ने न्यायालय से इस्तगासा के द्वारा मुलजिम हरखा राम पुत्र अमरा राम प्रजापत निवासी बाडमेर वगैरा ४ द्वारा मुस्तगिसा के घर में प्रवेश कर मारपीट कर लज्जा भंग करना व गालीया देना आदि धारा ३४१, ३२३, ३५४, ४५८, ५०४ भा० द० स० के तहत पुलिस थाना सदर पर मुकदमा दर्ज करवाया।
फर्क यह है कि ऐसी रपट मीडिया के सामने माइक ले कर राखीजी कहती हैं, या अलाने-फलाने ब्लॉगर दनादन पोस्टें ठोक कर करते हैं। श्रीमती पूरो केवल बाड़मेर पुलीस के सामने दर्ज कराती हैं।
बाड़मेर पुलीस ऐसे मामलों में आगे क्या हुआ बताने लगे तो हिटमोस्ट ब्लॉग हो जाये!
समझ में नहीं आया दद्दा के आप गुस्से में लिख रहे हैं या मजाक में । ज्ञान बिड़ी अचछी है ।
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अरे कोई मुझे बताओ तो सही यह राखी सांवत हे कोन वेचारी
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🙂
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ज्ञानियों और साधुसंतो का जमावड़ा मचा है यहाँ तो!!!कहाँ भागेंगे पगहा तुड़ा कर??हम तो बस चुप्पेचाप सुन रहे हैं किस्से कथायें. 🙂
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अब जब आप राखी सांवत क घेरे में आ ही रहे हैं तो एक चुटकला सु्निए(शायद आलोक जी ने बनाया है इसे) एक 99 साल का आदमी स्वर्ग की रौनक और अप्सराएं देख कर बोला “ये रामदेव बाबा और उनके प्राणायाम के चक्कर में न पड़ा होता तो यहां पहले ही आ गया होता, बेकार में इतना टाइम वेस्ट किया”
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🙂
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कई ब्लॉग इसी युक्ति के बल पर हिट्म-हिट है जी.
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