इतना बढ़िया वाकया गोपालकृष्ण विश्वनाथ जी ने एक टिप्पणी में ठेल दिया जो अपने आप में पूरी सशक्त पोस्ट बनता। मैं उसे एक टिप्पणी में सीमित न रहने दूंगा। भले ही वह पुनरावृत्ति लगे।
आप श्री विश्वनाथ के बारे में जानते ही हैं। वे मेरे बिस्ट्स पिलानी के चार साल सीनियर हैं। उन्होने बताया है कि वे बेंगळूरू में नॉलेज प्रॉसेस आउटसोर्सिंग का अपना व्यवसाय चलाते हैं अपने घर बैठे। उनके घर-कम-दफ्तर की तस्वीरें आप देखें –
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श्री जी. विश्वनाथ मेरी भावी प्रधानमंत्री वाली पोस्ट पर अपनी टिप्पणी में कहते हैं –
मैं मेकॉन (इन्डिया) लिमिटेड के बैंगलौर क्षेत्रीय कार्यालय के स्ट्रक्चरल सेक्शन में वरिष्ट डिजाईन इंजिनीयर था। वहां, सभा कक्ष में, नये प्रोजेक्ट का किक-ऑफ मीटिंग (kick off meeting) में अपने अनुभाग का प्रतिनिधित्व करने मुझे भेजा गया था। हमारा ग्राहक था भारत सरकार का एक विभाग। उनकी तरफ़ से सबसे वरिष्ठ अधिकारी का स्वागत होने के बाद, हम तकनीकी बहस करने लगे। मुझे भी अपने अनुभाग के बारे में पाँच मिनट बोलने का अवसर मिला। इस वरिष्ठ अधिकारी ने मुझसे कुछ कठिन और चतुर सवाल भी पूछे। मीटिंग के बाद हमें उनसे हाथ भी मिलाने का अवसर मिला। लम्बे बाल वाले, छोटे कद के और एक “हिप्पी” जैसे दिखने वाले सज्जन थे वह। मेरे अनुभाग के साथियों (जो मीटिंग में सम्मिलित नहीं थे) ने, उन सज्जन को देखकर विचार व्यक्त किया कि यह “जोकर” कहाँ से आ टपका और कैसे इस उच्च पद पर पहुंच गया! अब ज्यादा सस्पेन्स में नहीं रखना चाहता हूँ आपको। प्रोजेक्ट था डिफेंस रिसर्च एण्ड डेवलपमेण्ट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) का; पृथ्वी और त्रिशूल मिसाइल के लिये असेम्बली शॉप के निर्माण विषयक। यह वरिष्ठ अधिकारी थे DRDO के सबसे वरिष्ठ वैज्ञानिक श्री ए पी जे अब्दुल कलाम। हाथ मिलाते समय मैने सपने में भी सोचा नहीं था कि भारत के भविष्य के राष्ट्रपति से हाथ मिला रहा हू! मानो या न मानो! |
मानो या न मानो, डा. कलाम भारत के एक चमकते सितारे हैं और थे एक महान राष्ट्रपति। राजनैतिक जोड़तोड़ के चलते वे अगली टर्म के लिये नहीं बनाये गये – इसका मुझे बहुत कष्ट है।
साहेब, हमारे साथ यह हुआ होता जो विश्वनाथ जी के साथ हुआ था; तो जिस दिन डा. कलाम राष्ट्रपति बने होते; उस दिन हम अपने उस हाथ को पूरे दिन दूसरे हाथ से पकड़े; गाते घूमते कि यह वही हाथ है, जो मैने राष्ट्रपति जी से मिलाया था!
पता नहीं विश्वनाथ जी ने गाया था या नहीं!
हॆ रिषिवर! अब्दुल कलाम,तॆरॆ चिन्तन कॊ प्रणाम|यॆ राष्ट्र ऊर्जावान बनॆ,है वन्दनीय तॆरा पैगाम|| __ प्रदीप भारद्वाज मॊदीनगर 09456039285
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He, Rishivar ! abdul Kalam.Tere Chintan ko Pranam.Rashtra Urjaawan bane,hai vandneey tera Paigam. By-Pradeep Bhardwaj Kavi09456039285
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विश्वनाथ जी बहुत ही सुंदर लिखा है। फ़ोटोस भी बड़िया। खास फ़ोटोस की वजह स सब टेबलस खाली एक दम स्पिक एंड स्पैन। वो बंदर वाली पोस्ट कहां है। अपना वादा याद है न?
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bahut achcha laga ye sansmaran….aur vishvnaath ji ka ghar cum office to ultimate hai.lagta hai ab unse interior tips bhi lene padenge….
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बेहतरीन सँस्मरण और पोस्ट – विश्वनाथ जी का दफ्तर भी सुव्यवस्थित लगा – भारत के सच्चे सपूत कलाम साहब को नमन -लावण्या
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इस दुनिया में अधिकांश लोगों का कद उनके पद से आंका जाता है। लेकिन कुछ विरले ऐसे भी होते हैं, जिनका कद उनके पद से काफी बड़ा होता है। डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम उन्हीं विरले लोगों में हैं। उनके राष्ट्रपति बनने से इस पद की गरिमा बढ़ गयी थी। जल्दबाजी में मैं जी. विश्वनाथ जी की इस टिप्पणी को पढ़ नहीं पाया था। पोस्ट पढ़कर मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ। आभार।
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हमने सुना है कि उन्हें शास्त्रीय संगींत का भी ज्ञान है और सरस्वति वीणा पर अपना हुनर दिखा चुके हैं।
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बहुत खूब.. उनसे मेरी पहली मुलाकात अपने कालेज के दिनों में हुई थी.. मनस पटल पर छा से गये थे कलाम साहब.. 🙂
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