μ – पोस्ट!


अमित माइक्रो ब्लॉगिंग की बात करते हैं।

यह रही मेरी माइक्रो  ( Style Definitions */ p.MsoNormal, li.MsoNormal, div.MsoNormal {mso-style-parent:””; margin:0cm; margin-bottom:.0001pt; mso-pagination:widow-orphan; font-size:12.0pt; font-family:”Times New Roman”; mso-fareast-font-family:”Times New Roman”; mso-bidi-font-family:”Times New Roman”; mso-bidi-language:AR-SA;}@page Section1 {size:612.0pt 792.0pt; margin:72.0pt 90.0pt 72.0pt 90.0pt; mso-header-margin:36.0pt; mso-footer-margin:36.0pt; mso-paper-source:0;}div.Section1 {page:Section1;}–> μ) पोस्ट :
दिनकर जी की रश्मिरथी में कर्ण कृष्ण से पाला बदलने का अनुरोध नहीं मानता, पर अन्त में यह अनुरोध भी करता है कि उसके “जन्म का रहस्य युधिष्ठिर को न बता दिया जाये। अन्यथा युधिष्ठिर पाण्डवों का जीता राज्य मेरे कदमों में रख देंगे और मैं उसे दुर्योधन को दिये बिना न मानूंगा।”

कर्ण जटिल है, पर उसकी भावनायें किसकी तरफ हैं?


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

39 thoughts on “μ – पोस्ट!

  1. µ बोले तो हमारे लोगों के लिये कैमिकल पोटेन्शियल ।Pressure difference results in Mechanical Movement. Temperature difference results in heat Transfer. Similarly Chemical potential difference results in Mass transfer.Irony is that the Chemical Potential itself is not as intuitive as Pressure or Temperature.हमने अपनी आंखो से कैमिकल इंजीनियर्स को कैमिकल पोटेंशियल के नाम पर पसीने आते देखे हैं 🙂 बहुत से कैमिकल इंजीनियर्स की दुखती रग है ये :)बाकी कर्ण की भावनायें मेरी समझ में तो पूरी तरह दुर्योधन के साथ थी ।

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  2. वैसे बिना कट-पेस्ट किये, कहीं भी µ लिखा जा सकता है।Alt दबाये रखिये, न्यूमेरिक की-पैड में 230 टाईप कीजिये, Alt छोड़ दीजिये। आया न µ !

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  3. वाह जी क्या बात है आपके माइक्रो की । लेख से लंबी चौडी टिप्पणियाँ । वैसे कर्ण तो दान वीर थे दान लेना कैसे स्वीकार करते । और जो उनहोने स्वयं पराक्रम से न जीता हो वह किसी और को देने में भी उन्हें संकोच ही होता ।

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  4. सचमुच microbloging…..बधाई हो !! कर्ण के लिए “मृत्युंजय” में शिवाजी सावंत ने भी अतिरेक में लिखा है..वह भी गौरतलब है और यह भी. मैं अमित जी से सहमत हूँ, महाभारत में पात्रों को उनके समस्त मानव जनित गुणों ( गुन-अवगुण ) सहित प्रस्तुत किए जाने पर ही उसकी मान्यता और चर्चा चिरकाल तक हो रही है.

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  5. देर से टिप्पणी करने के लिए क्षमा चाह्ता हूँ।दो दिन के लिए पत्नि के साथ वेल्लोर के पास श्रीपुरम का मन्दिर गया था।अभी अभी लौटा हूँ।महाभारत मेरा सबसे प्रिय ग्रन्थ है।कई बार पढ़ चुका हूँ। एक प्रश्न जो मन में बार बार आता है वह यह है कि क्या भारत के आज के कानून के अनुसार हस्तिनापुर पर पाण्डवों का अधिकार है या नहीं। उच्चतम न्यायालय का आज क्या निर्णय होता? मैं नैतिक अधिकार कि बात नहीं कर रहा हूँ। दिनेशरायजी क्या सोचते हैं?

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  6. अनीता कुमार जी की ई-मेल से प्राप्त टिप्पणी:”माइक्रो ब्लोगिंग की पहल के लिए बधाई, कर्ण की बात तो बाद में कर लेगें इस समय तो आप ये बताये कि ये माइक्रो का चिन्ह कैसे टाइप कर लिए”——–माइक्रो का चिन्ह MS Word की फाइल में प्रिण्ट कर उसे यहां कट – पेस्ट कर दिया है!

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