आपने रिचर्ड बाख की जोनाथन लिविंगस्टन सीगल पढ़ी होगी। अगर नहीं पढ़ी तो पढ़ लीजिये! आप इस छोटे नॉवेल्ला को पढ़ने में पछतायेंगे नहीं। यह आत्मोत्कर्ष के विषय में है। इस पुस्तक की मेरी प्रति कोई ले गया था, और दूसरी बार मुझे श्री समीर लाल से यह मिली।
यहां मैं जोनाथन लिविंगस्टन सीगल के यूपोरियन संस्करण की बात कर रहा हूं। सवेरे की सैर के दौरान मुझे एक बकरी दीखती है। वह खण्डहर की संकरी और ऊबड़ खाबड़ ऊंचाई पर चढ़ती उतरती है। संहजन की पत्तियों को ऐसी दशा में पकड़ती-चबाती है, जैसा कोई सामान्य बकरी न कर सके।
आस-पास अनेक बकरियां हैं। लेकिन वे धरातल की अपनी दशा से संतुष्ट हैं। कभी मैने उन्हें इस खण्डहर की दीवार को चढ़ते उतरते नहीं देखा। वह काम सिर्फ इसी जोनाथन लिविंगस्टन के द्वारा किया जाता देखता हूं।
परफेक्शन और प्रीसिसन (perfection and precision) मैं इस बकरी में पाता हूं।
यह मालुम है कि बकरियां बहुत संकरी और सीधी ऊंचाई पर चढ़ती हैं। पर मैं अपने परिवेश की बकरियों में एक जोनाथन को चिन्हित कर रहा हूं। कुछ पाठक यह कह सकते हैं कि यह भी कोई पोस्ट हुई! अब्बूखां के पास (सन्दर्भ डा. जाकिर हुसैन की १९६३ में छपी बाल-कथा) तो इससे बेहतर बकरी थी।
पर बन्धुवर, एक बकरी इस तरह एक्प्लोर कर सकती है तो हम लोग तो कहीं बेहतर कर सकते हैं। मैं यही कहना चाहता हूं।
हमलोग तो जोनाथन लिविंगस्टन बटा सौ (0.01xजोनाथन) बनना भी ट्राई करें तो गदर (पढ़ें अद्भुत) हो जाये।
इति जोनाथनस्य अध्याय:।
इतनी नार्मल-नार्मल सी पोस्ट पर भी अगर फुरसतिया टीजियाने वाली टिप्पणी कर जायें, तो मैं शरीफ कर क्या सकता हूं!
और आजकल आलोक पुराणिक की टिप्पणियों में वह विस्तार नहीं रहा जिसमें पाठक एक पोस्ट में दो का मजा लिया करते थे। घणे बिजी हो लिये हैं शायद!
बड़ी करामाती बकरी है , अबकी गाँव जाउंगा तो कुछ ऐसे भी दृश्य कैमरे में कैद करूंगा ! इन सबसे भी पोस्ट बढियां 'एक्सप्लोर' होती है ! हमारी दशा तो यह है कि ठेलाये नहीं ठेल पा रहे हैं ! आपसे काफी सीख रहा हूँ ! आपने लिंक दिया , आभारी हूँ , ऐसे अन्य प्रासंगिक लिंक भी आप यथावसर दे कर कृतार्थ करेंगे , ऐसी कामना करता हूँ !
LikeLike
यह एक बेहतरीन पुस्तक है। मैंने इसे न केवल कई बार पढ़ा पर बहुत से लोगों को भेंट में भी दिया। मैंने इस पुस्तक का जिक्र अपनी चिट्ठी एक अनमोल तोहफ़ा में दो में से एक बेहतरीन पुस्तक कह कर किया। उसके बाद हिन्दी चिट्ठजगत में कई चिट्ठाकारों को उपहार में भी भेजी।
LikeLike
खोदा पहाड़ औऱ निकला दिलचस्प किस्सा। अच्छी लगी ये बकरी
LikeLike
सुन्दर! पढ़ के देखता हूँ कैसी पुस्तक है | दीपावली के इस शुभ अवसर पर आप और आपके परिवार को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
LikeLike