जो भी है, बड़ी फैसिनेटिंग है!
प्री-पोस्ट त्वरित टिप्पणी –
कर दो पोस्ट। क्या फरक पड़ता है। तुम सब आधे दिमाग के लोग हो – रीता पाण्डेय।
(लिंकित पोस्ट पर जाने के लिये चित्र क्लिक करें)
मैं, ज्ञानदत्त पाण्डेय, गाँव विक्रमपुर, जिला भदोही, उत्तरप्रदेश (भारत) में ग्रामीण जीवन जी रहा हूँ। मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर रेलवे अफसर। वैसे; ट्रेन के सैलून को छोड़ने के बाद गांव की पगडंडी पर साइकिल से चलने में कठिनाई नहीं हुई। 😊
अब क्या हो गया ….? :)आधे दीमागवालोँ को “आधा सीसी का दर्द “होता है या नहीँ ?- लावण्या
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sab bhaiya ji se jyada bhabhi ji ki charcha kar rahe hain?????????????????????????????????????????????????????????????????????????post to bhaiya ne hi likhi hai??? na???
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बढ़िया है… अगर आधे दिमाग से दुनिया ऐसे चल रही है तो पूरे दिमाग से कैसे चलेगी.. सोचने का विषय है.लेकिन समस्या है के सोचेंगे भी तो फ़िर वाही आधे दिमाग से.
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