मैं देख रहा हूं, ब्लॉग की रेलेवेंस (relevance – प्रासंगिकता) और मिडलाइफ क्राइसिस पर चर्चा होने लगी है। हमारे जैसे के ब्लॉग तो नुक्कड़ का किराना स्टोर थे/हैं; पर चर्चा है कि ब्लॉग जगत के वालमार्ट/बिगबाजार कोहनिया रहे हैं कि चलेंगे तो हम। यह कहा जा रहा है – “एक व्यक्ति के रूप मेँ वेब-लॉग अपनी प्रासंगिकता वैसे ही खो चुका है जैसे एमेच्योर रेडियो या पर्सनल डिजिटल असिस्टेण्ट! मेन स्ट्रीम मीडिया और संस्थाओं ने ब्लॉगजगत से व्यक्ति को धकिया दिया है। ब्लॉग अपनी मूल पर्सनालिटी खो चुके हैं।”
हिन्दी में तो यह मारपीट नजर नहीं आती – सिवाय इसके कि फलाने हीरो, ढ़िमाकी हीरोइन के ब्लॉग की सनसनी होती है यदा कदा। पर चिठ्ठाजगत का एक्टिव ब्लॉग्स/पोस्ट्स के आंकड़े का बार चार्ट बहुत उत्साहित नहीं करता।
…निकोलस कार्र, एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका के ब्लॉग पर
साल भर में हिन्दी में एक्टिव ब्लॉग दुगने से कुछ ज्यादा हुये हैं। पोस्टें भी दुगने से कुछ ज्यादा हुई हैं। पर प्रतिमाह ब्लॉग पोस्ट प्रति एक्टिव ब्लॉग १२ के आसपास ही हैं। लोकेश जैसे लोग जो रोज की तीन-चार पोस्ट लिख देते हैं, को डिसकाउण्ट करें तो एक्टिव की परिभाषा भी बहुत एकॉमोडेटिव है!
हर रोज हिन्दी में कुल ४०० पोस्टें। कोई आश्चर्य नहीं कि समीर लाल जी अधिकांश पर टिप्पणी करने का जज्बा बरकरार रखे हैं।
तेक्नोराती State of the Blogosphere पर विस्तृत रिपोर्ट दे रहा है। जिसे ले कर बहुत से विद्वान फेंटेंगे। पर जैसे अर्थ क्षेत्र में मंदी है, उसी तरह ब्लॉग क्षेत्र में भी मन्दी की चर्चायें होंगी!
ई-मेल के उद्भव से ले कर अब तक मैने १००-१२५ ई-मेल आईडी बनाये होंगे। उसमें से काम आ रही हैं तीन या चार।
उसी तरह १५-२० ब्लॉग बनाये होंगे ब्लॉगस्पॉट/वर्डप्रेस/लाइफलॉगर आदि पर। अन्तत: चल रहे हैं केवल दो – शिवकुमार मिश्र का ब्लॉग भी उसमें जोड़ लें तो। माले-मुफ्त दिल बेरहम तो होता ही है। लोग ब्लॉग बना बना कर छोड़ जा रहे हैं इण्टरनेट पर! इतने सारे ब्लॉग; पर कितना व्यक्ति केन्द्रित मौलिक माल आ रहा है नेट पर?! |
इसको कहते हैं गुलाटीं मारना (somersault)|
चौदह नवम्बर को मैने लिखा था – मिडलाइफ क्राइसिस और ब्लॉगिंग। और आज यह है ब्लॉगजगत की मिडलाइफ क्राइसिस!
सही कह रहें है आप .नैन बड़े और दर्शन छोटे
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अभी तो मिडलाइफ आ ही नही पाई है अभी तो रोज़ नए लोग जुड रहे हैं .बहुत सारे लोग बहुत सारी बातें सीख रहे हैं.केवल विचार ही नहीं ,बल्कि तकनीक का प्रयोग भी
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मशहूर लोगों का ब्लॉग तो चलेगा इसमें कोई संशय नहीं इस बीच छोटे-मोटे ब्लोग्गर आते जाते रहेंगे. पर इन्ही छोटे-मोटे क्लोगारों में से कुछ बहुत अच्छा कर जायेंगे. ऐसा चलता रहेगा. लगभग हर जगह ऐसा होता है यहाँ भी यही होगा. मुझे तो यही लगता है.
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अपना तो एक ही ब्लॉग है जी वो भी आप जी का बनाया हुआ…बड़ी मुश्किल से चला पा रहे हैं…खुदा खुदा करके हफ्ते में एक पोस्ट डाल पाते हैं…कैसे लोग एक से अधिक ब्लॉग रोज लिख कर चलाते हैं…शोध का विषय है जी…नीरज
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गुरुदेव, यह क्राइसिस का डर दिखा कर हमसे क्या कराना चाहते हैं? हम तो निपट अकेले बस इसी में अपनी गति पाते हैं। बाकी अब किसी काम के नहीं रहे।
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सब कुछ युही चलेगा जब तक हमारी सांस चल रही है, जब सांस बन्द तो…..बाकी ताऊ की बात सो टक्के की है
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आज कोई टिप्पणी नहीं…..पता नहीं क्यों इस मुद्दे पर क्या कहूँ ? वाला हाल है…..सो मेरी टिप्पणी, अगली पोस्ट पर ।
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