ताऊ रामपुरिया मेरे ब्लॉग पर नियमित विजिटर हैं। और इनकी टिप्पणियां सरकाऊ/निपटाऊ नहीं होतीं। सारे देसी हरयाणवी ह्यूमर के पीछे एक सन्जीदा इन्सान नजर आते हैं ये ताऊ। कहते हैं कि अपने पजामे में रहते हैं। पर मुझे लगता है कि न पजामे में, न लठ्ठ में, ये सज्जन दिल और दिमाग में रहते हैं।

अन्ट्शन्टात्मक लेखन में बड़ा दम लगता है ! क्योंकि कापी पेस्ट करने के लिए मैटर नही मिलता !
**********
हमारे यहाँ एक पान की दूकान पर तख्ती टंगी है, जिसे हम रोज देखते हैं! उस पर लिखा है : कृपया यहाँ ज्ञान ना बांटे, यहाँ सभी ज्ञानी हैं! बस इसे पढ़ कर हमें अपनी औकात याद आ जाती है! और हम अपने पायजामे में ही रहते हैं! एवं किसी को भी हमारा अमूल्य ज्ञान प्रदान नही करते हैं!
कई ब्लॉग्स हैं, जिनपर चिठेरे की पहचान धुन्धली है। ताऊ की पहचान के लिये जो फसाड है एक चिम्पांजी बन्दर का – मैं उससे चाह कर भी ताऊ को आईडेण्टीफाई नहीं कर पाता। अगर मैं उनसे अनुरोध कर पाता तो यही करता कि मित्र, हमारी तरह अपनी खुद की फोटो ठेल दें – भले ही (जैसे हमारी फोटोजीनिक नहीं है) बहुत फिल्मस्टारीय न भी हो तो।
रामपुर के ताऊ इन्दौर में हैं और मैं पांच साल पहले तक इन्दौर में बहुत आता जाता रहा हूं। वहां के इंदौर/लक्ष्मीबाईनगर/मंगलियागांव के रेलवे स्टेशन पर अभी भी एक दो दर्जन लोग मिलने वाले निकल सकते हैं जो मुझसे घरेलू स्तर पर हालचाल पूछने वाले हों। वह नगर मेरे लिये घरेलू है और उस नाते ताऊ भी।
ताऊ के प्रोफाइल में है कि वे भड़ास पर कण्ट्रीब्यूट करते रहे हैं। जब भी मैं वह देखता हूं तो लगता है कि कई कम्यूनिटी ब्लॉग्स जो मैने नहीं देखे/न देखने का नियम सा बना रखा है; वहां ताऊ जैसे प्रिय चरित्र कई होंगे। उन्होने कहीं कहा था कि वे अपने व्यक्तिगत मित्रों के सर्किल में ब्लॉग लिखते रहे हैं। यह व्यापक खुला लेखन तो बाद की चीज है उनके लिये।
खैर, यह खुला लेखन हुआ तो अच्छा हुआ। हमारे जैसों को पता तो चला।
ताऊ से एक और कारण है अपनेपन का। "ताऊलॉजिकल स्टडीज" या "मानसिक हलचल" जैसे भारी भरकम शब्दों के बाट उछालने के बावजूद वे या मैं जो ब्लॉग पर ठेल रहे हैं, वह हिन्दी के परिदृष्य में कोई साहित्यिक हैसियतकी चीज नहीं है। कभी कभी (या अक्सर) लगता है कि हिन्दी के हाई-फाई, बोझिल इस या उस वाद के लेखन के सामने हम लोग कुछ वैसे ही हैं जैसे यामिनी कृष्णमूर्ति के भरतनाट्यम के सामने नाचते कल्लू चमार! हिन्दी के अभिजात्य जगत में हम चमरटोली के बाशिन्दे हैं – पर पूरी ठसक के साथ!
ताऊ जैसे पचीस-पचास लोगों की टोली हो तो ब्लॉगरी मजे में चल सकती है – बिना इस फिक्र के कि ट्यूब खाली हो जायेगी। ताऊ की लाठी और की बोर्ड बहुत है चलाने को यह दुकान!
ईब राम-राम।
अशोक पाण्डेय का कहना था कि उनके ब्राउजर (शायद इण्टरनेट एक्प्लोरर) से देखने में इस ब्लॉग की टिप्पणी की सेटिंग में ऐंचातानापन था। वह खत्म हुआ या नहीं?
“ताऊ जैसे पचीस-पचास लोगों की टोली हो तो ब्लॉगरी मजे में चल सकती है – बिना इस फिक्र के कि ट्यूब खाली हो जायेगी।”वाह वाह, क्या बात कही है ज्ञान जी. ताऊ जी जिस फुर्सत से टिप्पणी करते है वह तारीफे काबिल है. आज तो मेरे आलेख से भी बडी टिप्पणी थी उनकी. पढकर ऐसा थ्रिल आया कि मैं 1950 और 60 में वापस चला गया.ईश्वर उनको शतायु करें! आपको भी कि आप इस तरह के व्यक्तियों को हाईलाईट करते रहते है. आपके ही कारण विश्वनाथ जी की शख्सियत के बारे मैं भी पता चला था.सस्नेह — शास्त्री
LikeLike
ताऊ के तो हम भी फैन हैं… पर एक बात: ‘कल्लू चमार’, ‘चमरटोली के बाशिन्दे’? बहनजी तक बात पहुच गई तो फिर मत कहियेगा कि हमारे पोस्ट को ग़लत तरीके से लिया गया. हमने तो आगाह करना उचित समझा, आपका ब्लॉग इतना कम भी नहीं पढा जाता 🙂
LikeLike
हर आम-औ-खास को खबर की जाती है कि जो भी ताऊ की असल पहचान जानना चाह्ते है,वे १० जन. के बाद कोशिश करें तो पता लगा सकते हैं। तारीख वाला रहस्य भी चाहें तो ताऊ ही बताएँगे।
LikeLike
पोस्ट तो आपने लिख दी है.. कही कोई सिरफिरा आकर ये ना कह दे की ताऊ आपके खेमे के हो गये.. वैसे ताऊ के तो हम भी बड़े पंखे (फ़ैन) है.. वैसे एक और बात ताऊ के साथ हमने कॉफी भी पी ली है.. आप लोगो से जल्द ही रु ब रु करवाएँगे ताऊ को फिलहाल उनके चाँद से लौटने का इंतेज़ार है
LikeLike
shiv ji se sahmat huun…TAU ji ki tippani hamesha vishay ke anukuul aur bahut had tak lekhak ki maansikta se judaav ke saath …ki gayi tippani hoti hai…
LikeLike
ताऊ जी हिन्दी चिट्ठाजगत के सबसे अच्छे चिट्ठाकारों में से एक हैं. जब भी टिप्पणी करते हैं, हमेशा विषय के अनुकूल टिप्पणी करते हैं. ढेर सारे विषयों पर ताऊ जी की पकड़ अद्भुत है. किसी भी पोस्ट पर उनकी टिप्पणी पढ़ना बहुत रोचक लगता है. एक ही समय में हम उन्हें हंसोड़ भी समझ सकते हैं और संजीदा इंसान भी. शायद इसलिए क्योंकि एक ताऊ ही हंसोड़ भी हो सकता है और संजीदा भी. उन्हें जानना किसी भी व्यक्ति के लिए एक व्यक्तिगत उपलब्धि है.
LikeLike
ताऊ पर लेख लिख कर आप बाजी मार ले गए और मैं सोचता रह गया सो बधाई स्वीकार करें ! पी सी रामपुरिया का व्यक्तित्व, ब्लाग जगत के थकान एवं उबाऊ भरे रास्ते पर एक बगीचे का शीतल अहसास जैसा है ! यह विद्वान एवं धीर गंभीर व्यक्ति ब्लाग जगत के उन शानदार प्रतिभाओं में से एक है जिसके कारण हिन्दी ब्लाग पढ़ते हुए भी, हमारे चेहरों पर मुस्कान सम्भव हो पाती है ! मैं उनके प्रसंशकों में, अपने आपको अग्रिम पंक्ति में पाता हूँ !ऐसे प्रतिभाशाली व्यक्तित्व को आपने याद किया …मेरा नमन स्वीकार करें !सादर !
LikeLike
ताऊ को ढूंढ़ कर आपके सामने हाजिर करते हैं ! ताऊ अपनी चम्पाकली को ढूढने चाँद पर गया था ! अभी तक ताऊ लौटे नही है ! और उनका खूंटा भी खाली पडा है ! 🙂 इब रामराम !
LikeLike
जब कुछ लोग मुझे भावुक कहकर खारिज करते है तब वो मेरी पीठ थपथपाते है ..कई बार आशीर्वाद भी दे देते है…एक हंसोड़ से दिखने वाले व्यक्तित्व के पीछे कही भावुक ओर दुनिया को नजदीक से देखने वाला एक इंसान है…..जिसके पास एक अच्छा दिल है
LikeLike
ब्लॉग जगत की चमरटोली में ताऊ याने कि बुजर्ग मुखिया जी . हा हा हा
LikeLike