लंगोटान्दोलन!


तीन चार दिन के लिये ब्लॉगजगताविमुख क्या हुआ; अधोवस्त्र क्रान्ति हो गयी! ऐसे ही, जब हम भकुआ थे तब हिप्पियों नें यौनक्रान्ति कर दी थी और हम अछूते निकल गये। तब छात्र जीवन में पिताजी के कहे अनुसार परीक्षा में अंकों के लिये जद्दोजहद करते रह गये। उनकी न मानते, तो सरकारी नौकरी की बजाय (वाया साइकल पर साबुन बेचने के), आज सिरमा कम्पनी के मालिक होते।

आप कलरीपयत्तु जैसे मार्शल आर्ट के मुरीद हों या महात्मागांधी के चेले हों; लंगोट मुफीद है। और कोई उपहार में न भी दे, खरीदना ज्यादा अखरता नहीं

सही समय पर गलत काम करता रहा। वही अब भी कर रहा हूं। लोग पिंक चड्ढ़ी के बारे में गुलाबी पोस्टें ठेल रहे हैं। उन्हें सरसरी निगाह से देख कर ब्लश किये जा रहा हूं मैं। एक विचार यह भी मन में आ रहा है कि जैसे गंगा के कछार में एक सियार हुआं-हुंआ का स्वर निकालता है तो सारे वही ध्वनि करने लगते हैं; वही हाल ब्लॉगस्फीयर का है। पॉपुलर विचार के चहुं ओर पसरते देर नहीं लगती!

प्रमोद मुतल्लिक पिंक प्रकरण से इतनी प्रसिद्धि पा गये, जितनी प्रमोद सिंह “अज़दक” पोस्ट पर पोस्ट ठेल कर भी न पा सके! प्रसिद्धि पाना इण्टेलेक्चुअल के बस का नहीं। उसके लिये ठेठ स्तर का आईक्यू (<=50) पर्याप्त है।

आइंस्टीन को स्वर्ग के दरवाजे पर प्रतीक्षा करते लाइन में तीन बन्दे मिले। समय पास करने के लिये उन्होंने उनसे उनका आई.क्यू. पूछा।

  • पहले ने कहा – १९०। आइंस्टीन ने प्रसन्न हो कर कहा – तब तो हम क्वाण्टम फिजिक्स और रिलेटिविटी पर चर्चा कर सकते हैं।
  • दूसरे ने कहा – १५०। तब भी आइंस्टीन ने प्रसन्न हो कर कहा – अच्छा, आपका न्यूक्लियर नॉनप्रॉलिफरेशन के बारे में क्या सोचना है?
  • तीसरे ने कहा – लगभग ५०। आइंस्टीन प्रसन्नता से उछल से पड़े। बोले – अच्छा, पिंक चड्ढी प्रकरण में आपका क्या सोचना है? क्या यह मुहिम कोई क्रान्ति ला देगी?!

पिंक चड्ढी का मामला ठण्डा पडने वाला है। सो लंगोटान्दोलन की बात करी जाये। नम और उष्णजलवायु के देशों में लंगोट सही साट अधोवस्त्र है। आप कलरीपयत्तु जैसे मार्शल आर्ट के मुरीद हों या महात्मागांधी के चेले; लंगोट मुफीद है। और कोई उपहार में न भी दे, खरीदना ज्यादा अखरता नहीं।Langot

कुछ लोग कहते हैं कि यह उष्णता जनरेट कर स्पर्म की संख्या कम करता है। अगर ऐसा है भी तो भारत के लिये ठीक ही है- जनसंख्या कम ही अच्छी! पर आदिकाल से लंगोट का प्रयोग कर भारत में जो जनसंख्या है, उसके चलते यह स्पर्म कम होने वाली बात सही नहीं लगती। उल्टे यह पुरुष जननांगों को विलायती चड्ढी की अपेक्षा बेहतर सपोर्ट देता है। मैं यह फालतू-फण्ड में नहीं कह रहा। भरतलाल से दो लंगोट मैने खरीदवा कर मंगा भी लिये हैं। फोटो भी लगा दे रहा हूं, जिससे आपको विश्वास हो सके।

आप भी लंगोटान्दोलन के पक्ष में कहेंगे?

मुझे विश्वास है कि न तो गांधीवादी और न गोलवलकरवादी लंगोट के खिलाफ होंगे। पबवादियों के बारे में आइ एम नॉट श्योर। 


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

34 thoughts on “लंगोटान्दोलन!

  1. I am not fluent in Hindi so Please excuse me and let me know where i get this Langot.Am in 09846086998

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  2. प्रिय ज्ञान जी, कई बार भाग्य धोखा दे जाता है और अच्छी चीज पर समय पर नजर नहीं पडती. गजब का व्यंग! गजब का!वह 50 आईक्यू की घटना पढ कर मैं हंसी के मारे आईंस्टीन से तिगुना उछल पडा. मजा आ गया!!सस्नेह — शास्त्री

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  3. बचपन में एक बार पहना था।”सुस्सू” करने में दिक्कत होती थी।क्या “Fashion Designers” कुछ कर सकते हैं?पर उनका ध्यान तो “कंठ लंगोट” पर है।

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