Tata Icecream
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करीब दो-ढ़ाई दशक पहले अहमदाबाद में रेलवे में किसी की एक शिकायत थी। उसके विषय में तहकीकात करने के लिये मैं अहमदाबाद की आइसक्रीम फेक्टरियों की कार्यप्रणाली का अध्ययन करने के लिये गया था। दो कम्पनियां देखी थीं मैने। एक कोई घरेलू उद्योग छाप कम्पनी थी। उसका नाम अब मुझे याद नहीं। दूसरी वाडीलाल थी। मैं उस समय एक कनिष्ठ अधिकारी था, अत: मुझे बहुत विशेष तरीके से वे फेक्टरियां नहीं दिखाई गई थीं। पर उस छोटी कम्पनी में हाइजीन और साफ-सफाई का अभाव और वाडीलाल का क्वालिटी-कण्ट्रोल और स्वच्छ वातावरण अब भी मुझे याद है।
भोज्य पदार्थों के निर्माण और प्रॉसेसिंग में तब से मैं इन छोटी कम्पनियों के प्रति शंकालु हूं।
कल मुझे टाटा आइस्क्रीम का ठेला दिखा। यह बड़ा विनोदपूर्ण दृष्य था कि टाटा नैनो कार के साथ साथ आइस्क्रीम निर्माण में भी बिना हाई-एण्ड (high-end) विज्ञापनबाजी के उतर गये हैं, और मेरे जैसे अन्तर्मुखी को हवा तक न लगी। पर ठेले के प्रकार को देख कर मैं टाटा-आइस्क्रीम के शेयर तो खरीदने से रहा!
नकलची वस्तुओं का मार्केट भारत में बहुत है। एक बार तो मैं भी “हमाम” साबुन की बजाय “हमनाम” साबुन की बट्टी खरीद कर ला चुका हूं। पता चलने पर उससे नहाने की बजाय कपड़े धोने में प्रयोग किया।
इस प्रकार की आइसक्रीम इस मौसम में वाइरल/बैक्टीरियल इन्फेक्शन को निमन्त्रण देने का निश्चित माध्यम है। फूड सुपरवाइजर और नगरपालिकायें इस निमन्त्रण पत्र के आर.एस.वी.पी. वाले हैं। ढेरों अनियंत्रित शीतल पेय और कुल्फी/आइसक्रीम वाले उग आये हैं हल्की सी गर्मी बढ़ते ही। मीडिया डाक्टर साहब (डा. प्रवीण चोपड़ा) वैसे ही चेता चुके हैं हैजे के प्रति।
मैं सोचता हूं कि टाटा को आइस्क्रीम बिजनेस में उतरना चाहिये। टाइटन की तर्ज पर वे टाइस (TICE) कम्पनी बना सकते हैं। नैनो की तर्ज पर वे साल भर की एडवांस बुकिंग का पैसा ले सस्ती और बढ़िया आइस्क्रीम देने का बिजनेस चला सकते हैं।
ये फुटकर सेलर हैं जो रूट लेवल पर काफी सफल हैं। टाटा या कोई यदि इनका सही इस्तेमाल करे तो एक नई तरह के प्रॉफिट ओरिएंटेड लेयर का निर्माण किया जा सकता है।
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छोटे शहरो,कस्बों में नकली माल बनाने का कारोबार धडल्ले से चल रहा है।
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हमें मालूम नहीं था की टाटा आइसक्रीम भी ला चुकी है ..वैसे भी गर्मियों के मौसम में किसी के यहाँ शादी ब्याह में भी खाते हुए डर लगता है …..फिर भी सलाद ओर दही ये तो बिलकुल अवोइड करे..
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नकली items की तो भरमार हर जगह है.टाटा आइसक्रीम के ज़रिये आप ने जनमानस को चेता दिया . यहाँ भी नकली चीज़ें आती हैं लेकिन धर पकड़ भी आये दिन होती रहती है.हाँ ,ऐसे ठेले नहीं लगते आइसक्रीम के.
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हमनाम तक तो फिर भी ठीक है… इसी तर्ज पर ‘पेप्सी’ की प्लास्टिक की पाइप दिखी थी एक दूकान पर !
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हमाम के स्थान पर हमनाम लिखने वाला फिर भी बड़ा ही ईमानदार है…..हमाम के हुबहू नाम और पैकेट में नकली साबुन और ऐसे ही अनेक नकली उत्पादों से बाज़ार अटा पड़ा है….आम जन मजबूर है इन नकली उत्पादों के प्रयोग के लिए……जहाँ तक टाटा का प्रश्न है,दो पीढी से टाटा को भी देखा और अन्यान्य कई प्रतिष्ठानों को भी…गुणवत्ता कार्यप्रणाली और स्टैण्डर्ड में इसका कोई सानी नहीं…..
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