पिछले कुछ दिनों में दो नई बातें हुई हैं।
एक तो जी-मेल ने बज़ (Buzz) निकाला। उसमें लपटिया गये। फेसबुक अकाउण्ट सुला दिये। बज़ से सुविधा-असुविधा पर हो रही चौंचियाहट में कुछ खुद भी बज़बजाये।
दूसरे शिवकुमार मिश्र की देखा देखी मोबाइल पर इंण्टरनेट चढ़वा लिये। शाम को दफ्तर से घर लौटते अंधेरा हो जाता है। किताब नहीं पढ़ी जा सकती। सो मोबाइल पर इण्टरनेट पर खबरें बांच लेते हैं देस परदेस की।
मोबाइल पर इण्टरनेट का नफा हुआ कि उसी फोन की ई-मेल सुविधा से ब्लॉग पर पोस्ट करना चलते फिरते सम्भव हो पाया है। इसके लिये पोस्टरस और अंग्रेजी वाले ब्लॉग का प्रयोग हो रहा है। और पोस्टें बहुत खराब नहीं हैं। कुछ में चित्र हैं और कुछ में वीडियो भी हैं। मोबाइल में वीडियो ले कर एडिट करने की सुविधा से उनमें कतरब्योंत भी चलते फिरते सम्भव हो जाती है। मोबाइल में हिन्दी न होने से हिन्दी में हाथ नहीं आजमाया जा सका है। ई-मेल से ट्विटर पर पोस्ट भी हो पा रहा है।
कुल मिला कर ज्ञानदत्त पांड़े हाइटेकिया रहे हैं अधेड़ावस्था में। प्रवीण पाण्डेय को चिरौरी की है कि वे एक मोबाइल सेट दिलवायें जिसमें हिन्दी भी लिखी-भेजी जा सके। वह होने पर हिन्दी में भी चलता-फिरता ब्लॉगर बन जाऊंगा मैं!
नवोदित ब्लॉगर (नहीं, कोई हृदय परिवर्तन नहीं कराया है) का सा जोश तो रखना होगा न! अनूप शुक्ल की चिठ्ठाचर्चा और समीरलाल की साधुवादिता से पंगा लेने के लिये कुछ तो खुरपेंचिया काम करना होगा! वैसे खुरपैंचिया मेरी डिफॉल्ट सेटिंग नहीं है – आपको मालुम ही होगा!
अपडेट: खेद है! बल्टिहान बाबा का दिन भुलाय गये थे। बल्टिहान बाबा की जै!
अपडेट II –
श्री सैय्यद निशात अली का एस.एम.एस :
आज के दिन सन १९३१ में इतिहास पुरुष भगत सिंह, राजगुरुम् और सुखदेव को फांसी दी गई थी। पर आज हम उनका नाम तक याद नहीं करते। हम वेलेण्टाइन दिवस मनाते हैं। इस संदेश को सभी को आगे बढ़ायें और उन महान लोगों के बलिदान को सलाम करें।
अपडेट III –
घोस्ट बस्टर जी की नीचे टिप्पणी पढ़ें। निशात अली चूक कर गये, और हम भी!
आपने बाल्टियां बाबा का जयकारा लगाया और सतीश जी ने बाकायदा उनका पूजा पाठ और उत्सव ही मन डाला…कितना आनंद दायक लगा दोनों प्रविष्ठियों का पाठ करना…क्या कहें…शिव की देखा देखी मैंने भी कोशिश की थी,पोस्ट मोबाइल पर देखने की…पर वही…डब्बा डब्बा..मोबाइल ने हिन्दी को डब्बा साबित कर दिया…पर मैं भी छोडूंगी नहीं..कोई न कोई तोड़ तो होगा ही इसका…
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अगर "विन्डोज़ मोबाइल": से चलने वाला कोई फोन लेते हैं तो आइरौन (Eyron’s Hindi Support) की सहायता से अपने फोन के कीबोर्ड को द्विभाषी (इसे द्विलिपीय होना चाहिए शायद) बना सकते हैं. सोफ्टवेर निशुल्क है और बहुत उपयोगी है, मैं काफी दिनों से प्रयोग कर रहा हूँ.
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चूकते चचा हैं और चचा के शहरात ब्लॉग दम्पति हमरी क्लास ले लेते हैं ! अब राज समझ में आया है – धन्य हो महाप्रभु।
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भई वाह…भगतसिंह वाला मामला खूब रहा…यह दिखाता है कि हम हाईटेकिया नहीं रहे…लगता है कहीं ना कहीं सठिया रहे हैं…या कहें सठियाना हमारे ख़ून में है…सूचनाओं से सीधे हमारी ज़िंदगी चलने लगी है…तुरत-फुरत दान..महाकल्याण..
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यदि विचार यह निश्चित कर लें कि उसी समय ही टपकेंगे जब हम अपने कागज कलम के साथ बैठे हो या कम्प्यूटर के सामने टिपटिया रहे हों, तब तो हमें स्थिर-व्यक्तित्व अपनाना चाहिये अन्यथा हमें मोबाइल रहना सीख लेना चाहिये । हममें से कोई भी मोबाइल-क्रान्ति के पहले पैदा नहीं हुआ है, इसलिये हम सबके लिये समान अवसर है । देखिये न, कितना पेपर बचेगा यदि विचार सीधे मोबाइल में टिपटिपाये जायेंगे ।
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देव जी !आपसे ईर्ष्या हो रही है , आप अपनी स्वाघोषित अधेड़ उम्र में भी हैटेकिया गए हैं और हम अपनी भरी जवानी में ही हाईटेक-आँझा-ढील हैं 🙂 .खामखाँ दो दिन से 'ह्रदय-परिवर्तन' – सर्जरी की जांच में न्यस्त हूँ , अब तौ सब 'कुकुर झौं झौं ' लग रहा है !.देख रहा हूँ अब तो जी-मेल भी बजबजा गया है ! जी , मोबाईल वाला प्लान मुफीद होगा आगे के लिए .. आभार !
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ऐसा ही कुछ सोच कर मैने भी फ़ोन तो बदल लिया है मगर इंटरनेट नही ले पाया हूं।रायपुर वापस लौट कर हाईटेकियायेंगे।
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Skyfire के बारे में जानकारी देने के लिये धन्यवाद काजल जी। पर मेरी मुसीबत यह है कि मेरा कादर खान मोबाईल मसालेदार है I mean Spice है और Skyfire उसे सपोर्ट नहीं कर रहा। देखते हैं आगे कोई और ब्राउजर मेरे कादर खान को सपोर्ट करता है कि नहीं या आगे भी उसे अब्बा डब्बा चब्बा ही दिखेगा 🙂 * एक फिल्म में कादर खान को शाम छह बजे के बाद दिखना बंद हो जाता है। वही हाल मेरे मोबाईल का भी है। कैमरा तो कभी कभी दिन में भी चौंधियाने लगता है। इसलिये अपने मोबाईल को मैं कादर खान कहता हूं 🙂
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वैलेंनटाईन दिवस क्या होता है जी ??ज्ञानदत्त पांड़े हाइटेकिया हो गये बधाई, लेकिन हमारे मोबाईल की भी किस्मत समीर जी के मोबाईल की तरह से ही है, पुरे साल मै एक दो बार ही बजता है, जिसे हम सुन नही पाते, अभी भारत मै खुब बजा तो हमारी तरह थक गया… काम करना ही बन्द कर दिया, धमकी दी तो चला की चलो दो दिन ओर काम करो वरना बदल दुंगा
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मोबाइल पर स्काईफ़ायर ब्राउज़र (http://www.skyfire.com/) पढ़ने के लिए हिन्दी फ़ांट स्पोर्ट करता है, लेकिन लिखने के लिए नहीं. इसलिए हिन्दी ब्लाग पढ़े तो जा ही सकते हैं, टिप्पणियों सहित (सतीश पंचम की समस्या का भी समाधान है). मैं कभी-कभी कंप्यूटर/इंटरनेट से दूर होने के कारण ब्लाग पढ़ने के लिए मोबाइल का इस्तेमाल करता हूं.
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