गंगा सफाई का एक सरकारी प्रयास देखने में आया। वैतरणी नाला, जो शिवकुटी-गोविन्दपुरी का जल-मल गंगा में ले जाता है, पर एक जाली लगाई गई है। यह ठोस पदार्थ, पॉलीथीन और प्लॉस्टिक आदि गंगा में जाने से रोकेगी।
अगर यह कई जगह किया गया है तो निश्चय ही काफी कचरा गंगाजी में जाने से रुकेगा। नीचे के चित्र में देखें यह जाली। जाली सरिये की उर्ध्व छड़ों से बनी है।
और इस चित्र में जाली वाले बन्ध की गंगा नदी से दूरी स्पष्ट होती है।
देखने में यह छोटा सा कदम लगता है। पर मेरे जैसा आदमी जो रोज गंगा में कचरा जाते देखता है, उसके लिये यह प्रसन्नता का विषय है। कोई भी बड़ा समाधान छोटे छोटे कदमों से ही निकलता है। और यह जाली लगाना तो ऐसा कदम है जो लोग स्वयं भी कर सकते हैं – बिना सरकारी मदद के!
ये सही ब्लोगींग है – एक ख़ास इलाके के बारे में पक्की जानकारी इसी तरह मिलती है पर ये विचार भी आया के, न जाने कब ठोस एवं विश्वसनीय कदम उठाये जायेंगें जब् सही अर्थों में कचरे के निकास तथा गंगा जी के जल की निर्मलता व शुध्धि के ठोस प्रयास किये जायेंगें ? आप लिखते रहीये तभी तो वास्तविकता के बारे में और लोग जान पायेंगे स स्नेह,- लावण्या
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कोई भी बड़ा समाधान छोटे छोटे कदमों से ही निकलता है। और यह जाली लगाना तो ऐसा कदम है जो लोग स्वयं भी कर सकते हैं – बिना सरकारी मदद के!बहुत सही कहा।
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Sahi kaha aapne..itna to bina kisi sarkaari madad ke bhi kiya hi ja sakta hai…
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ज्ञानदत्त जीआप रेलवे के सबसे बड़े अफसर हैं जिनको मैं किसी भी तरह से जानता हूँ (भले ही सिर्फ ब्लॉग के ज़रिये!). रेलवे के लिए एक सुझाव है, यदि लागू हो जाए तो बहुत अच्छा रहेगा.कृपया ये पोस्ट पढ़िए और यदि आप सहमत हों तो अपने विभाग में आगे बढाइये.http://removing.blogspot.com/2010/02/use-mobile-to-save-paper-really.html
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