नाऊ – II

Bhairo Prasad Barbar भैरो प्रसाद का सैलून कार्ड-बोर्ड फेक्टरी (अब बन्द) की दीवार के सहारे फुटपाठ पर है। शाम के समय मैने देखा तो वह फुटपाथ पर झाड़ू से कटे बाल बटोर रहे थे। एक कुर्सी, शीशा, बाल बनाने के औजार, एक बेंच और एक स्टूल है उनकी दुकान में। छत के नाम पर बल्लियों के सहारे तानी गई एक चादर।

बताया कि एक हेयर कटिंग का १० रुपया [१] लेते हैं। मैने पूछा कि कितनी आमदनी हो जाती है, तो हां हूं में कुछ नॉन कमिटल कहा भैरो प्रसाद ने। पर बॉडी लेंग्वेज कह रही थी कि असंतुष्ट या निराश नहीं हैं वे।

Bhairo Prasad Barbar 1मेरे मोबाइल से दो फोटो लेने का बुरा नहीं माना उन्होने। यह भी बताया कि ठीक ठाक आमदनी बुध, शुक्र और रविवार को होती है। उन दिनों लोग ज्यादा आते हैं।

धूप और गर्मी नहीं होती? इसके जवाब में भैरो प्रसाद ने कहा – दीवार ऐसी है कि दिन में इग्यारह बजे बाद छाया रहती है। बाकी चादर लगा रखी है सो अलग।

ठीक लगे भैरो प्रसाद। यहीं शिवजी की कचहरी के पास रहते हैं। उनसे कोई सवाल हों तो बताइयेगा। पूछने का प्रयास करूंगा उनसे।


[१]  भैरो प्रसाद के दस रुपये की तुलना में अमरीका के एक इटालियन सैलून की रेट लिस्ट यह रही –

Italian Saloon Hair Cuts…$40.00 । Shampoos/Condition Blow Dry…$30.00 । Shampoo/Condition/Flat Iron…$40.00 । Deep Condition/Scalp Treatment…$45.00 | Hair Color Full Color…$65.00 & up | Touch up…$55.00 & up | Full Hi-Lites…$85.00 & up | Partial Hi-Lites…$65.00 & up | Corrective Color (per Hr)…$70.00 | Permanents…$65.00 | Spiral or Root Perm…$95.00 | Relaxers..$65.00 | Style/updo…$45 & up | Ear Percing…$20 | Hair Extensions starting at $187


मेरे वरिष्ठ यातायात प्रबन्धक श्रीयुत श्रीमोहन पाण्डेय ने बताया कि उनके गांव (जिला बलिया) के हैं लक्ष्मन। नाऊ हैं।

लक्षमन नाऊ इस समय ७५-७६ साल के हैं। वे अपनी ससुराल में जजिमानी पाये थे। संयोग से उनके एक लड़की भर हुई। दामाद उनके गांव रह कर उनकी जजिमानी में देख रहा है। लड़की-दामाद के भी कोई संतान नहीं है। लिहाजा उन्होने एक बच्चे को गोद लिया है।

ऐसे ही चलती है जिन्दगी!

सन १९६२ में चकबन्दी हुई थी गांव में। उनकी जमीन इधर की उधर कर दी गई उस चकबन्दी में। उन्होने मुकदमा कर दिया।

मुकदमा चकबन्दी अधिकारी, सीनियर चकबन्दी अधिकारी, जिला कोर्ट और फिर हाई कोर्ट तक लड़ा लक्ष्मन ने। तारीख के दिन के पहले गांव से अपना नाऊ का बस्ता ले कर निकल लेते थे। कचहरी के पास ईंटा पर अपना तामझाम जमाते। लोगों की हजामत बनाते। आमदनी से अपना खर्चा भी चलाते और वकील की फीस भी देते।

इसी तरह से नाऊ के काम के बल पर हर स्तर पर हारने के बावजूद डटे रहे। अंतत: सन २००७ में – पैंतालीस साल बाद (!) इलाहाबाद हाई कोर्ट से अपनी जमीन का मुकदमा जीते!

कौन कहता है आदमी जीत नहीं सकता; लक्ष्मन की स्पिरिट तो अपने में उगाओ यारों!


क्या गज़ब टिप्पणी है संजय कुमार की इस पोस्ट पर! संजय अपना ब्लॉग चलाने लगें तो अच्छे अच्छों को पानी पिला दें!

कचहरी के बाहर लक्श्मन नाउ जनता की हजामत बना रहे है और कचहरी के अन्दर भाइ लोग व्यवस्था की हजामत बना रहे है. सभी गन्दगी साफ करने मे ही लगे है. रेट जरूर अलग अलग है.
नाउ को आप ज्यादा ग्लोरिफाई कर देंगे तो अगले बजट मे सेर्विस टैक्स के दायरे मे आ जायेगा बेचारा.


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

30 thoughts on “नाऊ – II

  1. ज्ञान जी, अभी घर पर देखा तो फोटू यहाँ आपके ब्लॉग पर नज़र आ रही है। लगता है वो ऑफिस के नेटवर्क पर स्थापित वेबसेन्स का कमाल था जो फोटू वहाँ नज़र नहीं आ रही थी। ggpht.com डोमेन जिस पर ब्लॉगर के ब्लॉगों की फोटू अपलोड होती हैं वह ब्लॉक किया हुआ होगा आईटी वालों ने हमारे यहाँ, तभी न दिखी वहाँ यह फोटू।

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  2. ज्ञान जी, अमेरिकी सलून की फोटो तो यहाँ दिख नहीं रही है, कदाचित्‌ उन्होंने हॉटलिंकिंग डिसेबल कर रखी है (वैसे यह उचित भी नहीं है, यहाँ पढ़ें, मकसद असम्मान करने का नहीं है मात्र जानकारी देने का है)। जो लिंक किया है आपने वहाँ देखी फोटू, देखने में हाई क्लास पार्लर लगता है। 🙂

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  3. ये नाऊ लोग किसी की पर्सनेलिटी बनाने बिगाड़ने में बिल्कुल उस्ताद लोग होते हैं। हमारे बचपन में अपने पिताजी के अनुशासन या शासन के तहत हमारी सोल्जर कट कटिंग हो जाती थी, जबकि मेरी पूरी क्लास बल्कि पूरा जमाना अमिताभ के कनटोप के पीछे दीवाना था।लक्ष्मन की स्पिरिट तो हम ले आएँ अपने में, इस न्यायपालिका की स्पिरिट में भी बदलाव की ज़रूरत है।

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  4. नाउ सीरीज बढ़िया चल रही है, आपसे प्रेरित होकर हम भी अपने भूतपूर्व नाई की सक्सैस स्टोरी लिखेंगे कभी।

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  5. @ amit > अमेरिकी इटालियन सलून के भाव से लोकल नाऊ के रेट की तुलना न करेंशायद इसी से अवचेतन में प्रेरित हो मैने अमेरिकी इटालियन सलून की फोटो भी लगा दी है कि आधी अधूरी तुलना न हो!

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  6. अपन यह कहेंगे कि आप अमेरिकी इटालियन सलून के भाव से लोकल नाऊ के रेट की तुलना न करें, चीज़ों और सेवाओं का मूल्य देशकाल पर काफ़ी निर्भर करता है। वहाँ की मुद्रा का भाव अधिक है, कमाई भी उसके अनुसार है और जिस मोहल्ले में जिस स्तर का नाऊ होगा उसी के अनुरूप वो फीस लेगा।अब आपके भैरो प्रसाद सड़क पर गर्मी में बाल काटने के १० रूपए लेते हैं, हमारे मोहल्ले में जिस सलून में अपन बाल कटाते हैं वह वातानुकूलित है, आरामदायक है, बाल अच्छे से काटता है, कटिंग के बाद सिर की हल्की सी मसाज भी कर देता है। लोकैलिटी भी अच्छी खासी है, और वह बाल काटने के २० रूपए लेता है। क्या बुरा है! उचित दाम लगता है अपने को तो। वहीं नज़दीक में दूसरे मोहल्ले में एक सलून है, वह भी वातानुकूलित है लेकिन वह ६० रूपए लेता है। 🙂

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  7. मालवा के देहतों और कस्‍बों में ऐसे सैलून आसानी से पाए जाते हैं। गॉंव-गॉंव मे ऐसे लक्ष्‍मण हैं।अच्‍छी आनन्‍ददायी रही यह चर्चा।

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  8. कौन कहता है आदमी जीत नहीं सकता; लक्ष्मन की स्पिरिट तो अपने में उगाओ यारों! shandar lline hai bosss, ab to Ugaana hi padega apne me,locha kya hai na ki mera jo nau tha 3 dukan badal chuka hai, pahle samanya thi aise hi kabja kiye hue jagah par , fir thodi better hui main road par kabja kar ke….aur ab bakayda main road me 4000 rs mahina me kiraye ki dukan leke chala raha hai apna dhandha…..aapke ishtyle me idea nai aaya mujhe nai to dhansu post banti thi ye bhi….

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