महानता के मानक – मैं और आप

पिछली तीन पोस्टों में सबकी टिप्पणियों पर सज्ञान प्रतिटिप्पणियाँ देकर आज जब विचारों को विश्राम दिया और दर्पण में अपना व्यक्तित्व निहारा तो कुछ धुँधले काले धब्बे, जो पहले नहीं दिखते थे, दिखायी पड़ने लगे।

कुछ दिन हुये एक चर्चित अंग्रेजी फिल्म देखी थी, "मैट्रिक्स"।

यह पोस्ट श्री प्रवीण पाण्डेय की बुधवासरीय अतिथि पोस्ट है। प्रवीण बेंगळुरू रेल मण्डल के वरिष्ठ मण्डल वाणिज्य प्रबन्धक हैं।

मानवता खतरे में है (भविष्य में !)। वर्तमान का नायक नियो(नया) एक कम्प्यूटर मनीषी है(ब्लॉगर ?, नहीं)। मार्फियस(स्वप्न देवता, रोमन) दुष्टों से जूझ रहा है और उसके अनुसार एक महान व्यक्ति ही उन्हें इन विषम परिस्थितिओं से उबार सकता है। दुष्ट मायावी आव्यूह (मैट्रिक्स) के माध्यम से मानव सभ्यता को सदा के लिये दास बनाकर रखना चाहते हैं। अन्ततः खोज नियो पर समाप्त होती है क्योंकि मार्फियस उसके अन्दर छिपी महानता को देख लेता है। भौतिकी नियमों को तोड़ मरोड़ नियो को सुपरह्यूमन बनाया गया। सुखान्त।

नीचे बनी मैट्रिक्स में झाँक कर देखिये, आप कहाँ दिखायी पड़ते हैं और कैसे दिखायी पड़ते हैं। मैंने अपना प्रतिबिम्ब देखा जिसे मैट्रिक्स के कई कोनों में बिखरा पाया। टूटे हुये काँच के तरह।

नियो की जगह स्वयं को रखिये और आवाह्न कीजिये स्वप्न देवता का, जो आपके अन्दर वह तत्व ढूढ़ लेगा जिससे मानवता की रक्षा व उत्थान होगा। चाणक्य ने चन्द्रगुप्त को ढूढ़ा था।

फिल्म में तो काल्पनिक मैट्रिक्स चित्रित कर ढेरों एकेडमी एवार्ड बटोर कर ले गये डायरेक्टर साहेब।

मेरी मैट्रिक्स वास्तविक है और एवार्ड है महानता।

200px-The_Matrix_Poster नीचे बनी मैट्रिक्स में झाँक कर देखिये, आप कहाँ दिखायी पड़ते हैं और कैसे दिखायी पड़ते हैं। मैंने अपना प्रतिबिम्ब देखा जिसे मैट्रिक्स के कई कोनों में बिखरा पाया। टूटे हुये काँच के तरह। छवि चमकती पर टूटी। ज्ञान में क्रोध, सम्पत्ति का मोह, त्याग में मद, यश में मत्सर। शक्ति और सौन्दर्य सपाट। मेरे व्यक्तित्व के टूटे काँच सबको चुभते आये हैं, मुझे भी। छटपटाहट है मेरे हृदय में नियो की तरह इस मैट्रिक्स से बाहर आने की। मेरी चतुरता हार जाती है। मेरे स्वप्नों का देवता कब आयेगा जो महानता के लिये मेरी अकुलाहट पहचानेगा और मेरे लिये प्रकृति के नियम तोड़-मरोड़ देगा।

क्या आप इस मैट्रिक्स में बने रहना चाहते हैं? बहुत महान तो इससे बाहर निकल चुके हैं। जो निकले नहीं जानकर भी, उन्होने ही मानवता का रक्त इतिहास के पन्नों पर छलकाया है। क्या आप उनका साथ देना चाहेंगे? यदि नहीं तो आप भी अपने मार्फियस को बुलाईये।

 

सम्पत्ति

शक्ति

यश

सौन्दर्य

ज्ञान

त्याग

काम

 

रोमन राज्य

वुड्स

 

 

नित्यानन्द(नये)

क्रोध

 

 

 

 

 

 

लोभ

इनरॉन

बाली

ललित मोदी

 

थरूर

 

मोह

 

 

 

कैकेयी

 

 

मद

 

हिटलर, रावण

 

 

 

 

मत्सर

दुर्योधन

हिरण्याकश्यप

कई अखाड़े

 

मैं इतिहास का छात्र नहीं रहा हूँ अतः मस्तिष्क पर अधिक जोर नहीं डाल पाया। पर इस मैट्रिक्स को पूरा भरने का प्रयास किया है उन व्यक्तित्वों से जो यदि प्रयास करते तो इन दोषों से बाहर आकर महानता की अग्रिम पंक्ति में खड़े होते। हर आकर्षण के साथ कोई न कोई दोष नैसर्गिक है। जैसे सम्पत्ति-लोभ, शक्ति-मद, यश-काम/मत्सर, सौन्दर्य-काम, ज्ञान-क्रोध, त्याग-मत्सर। वहाँ पर आपको लोग बहुतायत में मिल जायेंगे।

आपकी महानता जिन भी बॉक्सों में बन्द है, उसे बाहर निकालिये । लोग कब से आपकी बाट जोह रहे हैं।


यह पोस्ट मेरी हलचल नामक ब्लॉग पर भी उपलब्ध है।


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

16 thoughts on “महानता के मानक – मैं और आप

  1. @ मनोज कुमारसच है । इन सबसे ही दोष उभरेंगे नहीं ।@ zealअपने आप को इस बहाव के विरुद्ध खड़ा रख पाने का कार्य कोई साहसी व्यक्ति ही कर सकता है । कायर को ये दोष उड़ा कर कब ले जायेंगे पता नहीं चलेगा ।@ dhiru singh {धीरू सिंह}महान को महान कहने पर कहने को पाबन्दी लगी हो तो ढिंढोरा किसका पीटियेगा । @ डॉ .अनुराग दिल टटोलते तो शीघ्र हो जाता । समस्या दिमाग को इनवाल्व करने से हो गयी ।@ राज भाटिय़ा 🙂

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