मन्दिर को जाने वाली सड़क पर एक (अन)अधिकृत चुंगी बना ली है लुंगाड़ो नें। मन्दिर जाने वालों को नहीं रोकते। आने वाले वाहनों से रोक कर वसूली करते हैं। श्रावण के महीने में चला है यह। आज श्रावण महीने का आखिरी सोमवार है। अब बन्द होने वाली है यह भलेण्टियरी।
आज सवेरे-सवेरे एक स्कूटर सवार को रोका। तीन की टीम है। एक आठ-दस साल का लड़का जो सडक के आर पार की बल्ली उठाता गिराता है; एक रिंगलीडर; और एक उसका असिस्टेण्ट।
स्कूटर के पीछे बैठी महिला वसूली पर बहुत चौंचियायी।
घूमने के बाद वापसी में आते देखा। रिंगलीडर स्टूल पर बैठे थे। पिच्च से थूक कोने में फैंकी। प्रवचे – आज आखरी सुम्मार है बे! आज भो**के पीट पीट कर वसूलना है।
पास में ही बेरोजगारी के खिलाफ ईमानदार अभियान का पोस्टर पुता था दीवार पर!
टिप्पणियों को देखकर लगता है किसी केवल एक गुजराती को ही ये हफ्ता वसूली अटपटी लगी। बाकी लोगों ने इसे एक सामान्य घटनाक्रम के रूप में लिया। इन्दौर में भी वैध के साथ अवैध पार्किंग फलीभूत है। नेताओं का वरदहस्त होता है इन पर।
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अच्छी प्रस्तुति। आभार
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'शिवकुटी श्रृंखला' की पहली कडी पर टिपिया कर 'इन-बॉक्स' में लौटा तो आपकी यह पोस्ट तैयार मिली।धर्म के नाम पर इस देश में जो भी हो जाए, कम है। धर्म के नाम रोजगार की यह श्रेणी प्रत्येक तीर्थ क्षेत्र में समानता से उपलब्ध है।
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ये हमारे भावी नेता हैं …… इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के 🙂
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बेरोजगारी उन्मूलक अभियान!अच्छी रचना!!!!!!!!!!!!! क्या अंदाज़ है बहुत खूब रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकानाएं !समय हो तो अवश्य पढ़ें यानी जब तक जियेंगे यहीं रहेंगे !http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_23.html
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धर्म जीवन आधार, कभी सुम्मार, कभी दुर्गा, कभी गणेश, साल भर कोई न कोई त्यौहार, इसीसे चलता जीवन ब्यौपार.
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रंजना जी की बात सही लगती है.भावी सासंद/मंत्री महोदय के दर्शन कराने का आभार.
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बचवा जिनगी भर खुशाल रहेगा…कभी बेरोजगार नहीं रहेगा…वह जानता है "हाथ में लाठी ले लो ,फिर ऐसी कौन सी भैंस है जो न हंकेगी" … फोटो संरखित रख लीजिये…देख लीजियेगा,इसी रस्ते कभी संसद तक भी पहुंचेगा…
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बेरोजगारी उन्मूलक अभियान अपने हाथ में ले लिया है। राज्य, केन्द्र व नगर में धन कैसे बटेगा, यदि बटेगा।
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यह क्या बकवास हो रही है. हप्ता वसुली… खांमखा. कोई क्यों दे? यही समझ नहीं आ रहा.
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