यह श्री गोपालकृष्ण विश्वनाथ जी की अतिथि पोस्ट है।
हाल ही में पत्नी के साथ कैलिफ़ोर्निया गया था। अपने बेटी और दामाद के यहाँ कुछ समय बिताकर वापस लौटा हूँ।
बेटी और दामाद पिछले १० साल से वहीं रह रहे हैं और कई बार हमें आमंत्रित किए थे पर पारिवारिक और व्यवसाय संबन्धी मजबूरियों के कारण मैं जा न सका।
पत्नी दो साल पहले अकेली हो आई थी पर मेरे लिए यह पहला अवसर था।
केवल चार सप्ताह रहकर आया हूँ और वह भी केवल कैलिफ़ोर्निया के खाडी इलाके(Bay Area of California) में। अमरीका विशाल देश है और केवल एक महीने तक रहकर, पूरे देश के बारे में टिप्पणी कर सकने में मैं अपने आप को असमर्थ समझता हूँ और वह अनुचित भी होगा।
पर्यटक स्थलों के बारे में विवरण देना भी मैं नहीं चाहता। आजकल अंतर्जाल पर सब कुछ उपलब्ध है। बस केवल कुछ विचार, राय, अनुभव, इत्यादि के बारे में लिखना चाहता हूँ।
यह पहली किस्त है और आगे और लिखूँगा। जहाँ उचित लगे कुछ तसवीरें भी पेश करूँगा जो मैंने अपने मोबाइल फ़ोन से खींची थी।
मेरे कुछ विचार:
१) सबसे पहली बात यह कि यहाँ शोर नहीं होता। सडकें शांत हैं, आवाजें नहीं के बराबर. पूरे महीने में एक बार भी मैंने किसी वाहन का हॉर्न बजते सुना ही नहीं। सैन फ़्रैनसिस्को जैसे शहर में भीं नहीं जहाँ ट्रैफ़िक काफ़ी था। तेज रफ़्तार से चलने वाली कारों का रास्ते पर टायरों के घिसने की आवाज मात्र सुनने को मिली। बसें, ट्रकें सभी वाहन बिना कोइ आवाज किए चलते थे। आसपास के घरों से भी कोई आवाज सुनाई नहीं दी। बाजारों में भी कोई शोर गुल बिल्कुल नहीं। मैं तो भारत में डीसल एन्जिन का शोर, हॉर्न की आवाज, बिना साईलेंसर के ऑटो रिक्शा, मोटर सायकल इत्यादि का आदि हो चुका हूँ और वहाँ का यह सन्नाटा अजीब लगा।
२) यह अमरीकी लोग कहाँ चले गए? बहुत कम दिखाई दिए। ज्यादातर लोग भारतीय, या चीनी या कोरिया या अन्य कोई एशियायी देशों के नज़र आए। अफ़्रीकी अमेरिकन लोग भी बहुत कम नज़र आए। शायद यह केवल कैलिफ़ोर्निया की खाडी इलाके की विशेषता है।
३) एक भी सड़कीय कुत्ता (stray dog/cat) दिखाई नहीं दिया। सभी पालतू निकले। कुत्ते भौंकते भी नहीं। विश्व का सबसे छोटा कुत्ता पहली बार देखने को मिला (Chiuhaha). यह इतना छोटा है कि किसी महिला के हैंड बैग में फ़िट हो सकता है। जब मैं टहलने निकलता था तब तरह तरह के पालतु कुत्ते देखे. मुझे कुत्तों का शौक है और कई बार किसी अनजान कुत्ते से दोस्ती करने निकला पर किसी कुत्ते ने मुझे कोई "लिफ़्ट" नहीं दिया। इतनी अच्छी ट्रेनिंग देते हैं इन कुत्तों को, कि किसी अजनबी से संपर्क नहीं करते। मालिक कुत्ते का मल रास्ते से साफ़ करके ही आगे निकलता था। नहीं तो जुर्माना लगता था।
आगे अगली किस्त में
आप सब को मेरी शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
"सडकें शांत हैं, आवाजें नहीं के बराबर. पूरे महीने में एक बार भी मैंने किसी वाहन का हॉर्न बजते सुना ही नहीं"शायद आप न्य़ू यार्क नहीं गए !!!!
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बहुत सुंदर लगा,आगे कुछ नही लिखूगां
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कारों का शोर नहीं होता है, कुत्ते नहीं भौकते हैं, गोरे नहीं दिखायी पड़ते हैं। यह कौन सा देश है, वहाँ रह कर तो बोर ही होना तय है।
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कुत्ते ने लिफ्ट नहीं दी…वहाँ के कुत्ते भी लगता है हाई प्रोफाइल हैं..
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विश्वनाथ जी ने कैलीफ़ोर्निया के बारे में अच्छा लिखा है। आगे की पोस्ट का इन्तजार रहेगा।
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सभी के अनुभव एक से हैं लेकिन आपके अनुभव पढ़ने की इच्छा रहे्गी, लिखते रहिए।
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केवल एक महीने तक रहकर, पूरे देश के बारे में टिप्पणी कर सकने में मैं अपने आप को असमर्थ समझता हूँ और वह अनुचित भी होगा।इस स्वीकारोक्ति से ही पता लग गया है कि आपका यात्रा वृत्तांत बिला-नागा पढना पडेगा।
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मल्टी कल्चरल तो अमेरिका है. लगभग सारे बड़े शहर ऐसे ही हैं.
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विश्वनाथ जी,पहले पता होता तो हम भी आपसे मिल लेते.मैं भी सैनफ्रांसिस्को के खाड़ी क्षेत्र में ही रहता हूँ.कुछ समय पहले अजित गुप्ता जी और निर्मला कपिला जी से मेरा यहीं पर पहली बार मिलना हुआ था.-राजीव
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अब तक तो टिप्पणी लायक कुछ नहीं है -आगे देखते हैं !
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