मैने कहा कि मैं बिना किसी ध्येय के घूमना चाहता हूं। गंगा के कछार में। यह एक ओपन स्टेटमेण्ट था – पांच-छ रेल अधिकारियों के बीच। लोगों ने अपनी प्रवृति अनुसार कहा, पर बाद में इस अफसर ने मुझे अपना अभिमत बताया – "जब आपको दौड़ लगा कर जगहें छू कर और पैसे फैंक सूटकेस भर कर वापस नहीं आना है, तो हुबली से बेहतर क्या जगह हो सकती है"। बदामी-पट्टळखळ-अइहोळे की चालुक्य/विजयनगर जमाने की विरासत वहां पत्थर पत्थर में बिखरी हुई है।
वह अधिकारी – रश्मि बघेल, नये जमाने की लड़की (मेरे सामने तो लड़की ही है!) ऐसा कह सकती है, थोड़ा अजीब लगा और अच्छा भी।
रश्मि ने मुझे अपने खींचे चित्र दिये। तुन्गभद्रा के किनारे पट्टळखळ में है विरुपाक्ष शिव का मन्दिर। एक रात में बनाया गया – जैसा किंवदन्ती है। सातवीं शती में विजयनगर रियासत आठवीं शती के चालुक्य साम्राज्य का यह मन्दिर एक छोटी सी पहाड़ी के पास है।
उस पहाड़ी से पत्थर तराश कर कारीगर रातोंरात लाते थे और जमा कर रेत से ढंक देते थे। वर्षों बाद जब संरचना पूर्ण हुई तो एक रात रेत का आवरण हटा दिया गया और अगले दिन लोगों ने देखा अभूतपूर्व विरुपाक्ष मन्दिर! क्या जबरदस्त ईवेण्ट-मैनेजमेण्ट रहा होगा सातवीं आठवीं शती का!
पता नहीं, यह लोक कथा कितनी सत्य है, पर लगती बहुत रोचक है। रश्मि बघेल ने बताया।
रश्मि मेरे झांसी रेल मण्डल में मण्डल परिचालन प्रबन्धक हैं। मालगाड़ी चलाने का वैसा ही रुक्ष (और दक्ष) कार्य करती हैं, जैसा मैं मुख्यालय स्तर पर करता हूं। लेकिन एक प्रबन्धक के अतिरिक्त, जैसा मेरे पास अभिव्यक्ति को आतुर व्यक्तित्व है, वैसे ही रश्मि के पास भी सुसंस्कृत और अभिव्यक्ति की सम्भावनाओं से संतृप्त पर्सनालिटी है। पता नहीं, रश्मि या उनके प्राकृतिक सौंदर्य को तलाशते यायावरी पति नेट पर अपने कथ्य को उकेरेंगे या नहीं। कह नहीं सकता। मैं तो मात्र परिचयात्मक पोस्ट भर लिख सकता हूं।
और हां, एक और व्यक्तित्व पक्ष रश्मि का सशक्त है – हम तो अकादमिक रूप से भाषाई निरक्षर है; पर रश्मि के पास संस्कृत से स्नातकोत्तर उपाधि है। बहुत जबरदस्त सम्भावनायें है एक अच्छे ब्लॉगर बनने की!
आप देखें हुबली के आस पास के रश्मि के भेजे चित्र और उनपर उनके कैप्शन:
– भूतनाथ मन्दिर। बीजापुर, कर्णाटक में बदामी गुफाओं की पहाड़ी की तलहटी में स्थित। मणिरत्नम ने गुरु फिल्म के लिये ऐश्वर्य और अभिषेक की शादी यहीं फिल्माई थी। शान्त और शीतल स्थान – ध्यान लगाने के लिये।
– इस इमारत को देख आपको किस आधुनिक स्थापत्य की याद होती है??? संसद भवन??? शायद लुटियन को अईहोळे के इस दुर्गा मन्दिर से कोई विचार मिला हो!
– ऊटी – टूरिस्ट प्लेस है पर नीलगिरि का नैसर्गिक सौन्दर्य तो पास के जंगलों में ही है। यह मानव निर्मित पानी का ताल पार्सन घाटी के पास है। शुद्ध जल की यह झील बादलों के लिये मानो आइना हो!
– और वही ताल रात में बदल जाता है कालिदास की कविता में।
– ऊटी के पास पार्सन घाटी। धूप छांव और बादलों की आंखमिचौली!
– नैनीताल तो प्रसिद्ध है अपनी (भीड़ भाड़ से भरी) झील के लिये। पर यह पार्सन घाटी के पास की झील तो अद्भुत है!
कैसा लगा आपको रश्मि बघेल का हिन्दी ब्लॉगजगत में प्रकटन?!
बड़े मनमोहल चित्र हैं अईहोले के मंदिर और पार्सन घाटी के
धन्यवाद
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