गांववालों, तुम्हारी बार्गेनिंग पावर कहां है?


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इलाहाबाद के पास करछना तहसील में जेपी अशोसियेट्स समूह का एक 2000 मेगावाट क्षमता का पावर हाउस आने वाला है। यह जगह टौंस नदी के किनारे है। इस जगह से टौंस नदी लगभग 4-5 किलोमीटर आगे गंगा में मिलती है। गांगेय मैदान की अत्यंत उपजाऊ जमीन। लगभग 500-1000 हेक्टेयर जमीन पर बनने जा रहा है पावर-प्लॉण्ट। सारी जमीन छोटी जोत के किसानो की होगी। बाजू के bing ओवरव्यू में पुशपिन पर भीरपुर स्टेशन है और दाईं पतली नदी है टौंस। वह गंगा नदी में जा कर मिल रही है।

Bhirpur Karchhana

जब मैं यायावरी की सोच रहा था, तो सर्वप्रथम यहीं जाना चाहता था – यह जानने के लिये कि गांव वाले पावर प्लॉण्ट के बारे में क्या सोचते हैं और अपनी जमीन जाने पर उसके बाद विकास/नौकरी की बढ़ती सम्भावनाओं को ले कर क्या सोच रखते हैं। मैं अपने ढुलमुल स्वास्थ्य के कारण वहां नहीं जा पाया और इस दौरान वहां शुक्रवार को घटना हो गई।

जमीन के अधिक मुआवजे की मांग करते ग्रामीणों पर तथाकथित बल प्रयोग और एक की मृत्यु (?) से क्रोधित लोग सवेरे साढ़े नौ बजे भीरपुर के पास रेल पटरी पर आ बैठे। उन्होने सड़क राजमार्ग भी बन्द कर दिया। रेल मार्ग रात दस इग्यारह बजे तक अवरुद्ध रहा। कई सवारी गाड़ियों के मार्ग बदले गये। लगभग सत्तर-अस्सी मालगाड़ियां जहां की तहां रुक गयीं। यह रेल ट्रेफिक जाम निपटने में 40-50 घण्टे लगेंगे।

BhirpurK

यह पता नहीं कि प्रशासन ने नेगोशियेशंस कैसे कीं। पर अखबारों की मानें तो किसी प्रकार यह खबर बनी कि सरकार इस थर्मल प्लॉण्ट की मंजूरी रद्द कर लोगों को उनकी जमीन का स्वामित्व रखने देगी। अर्थात अधिग्रहण नहीं होगा और मुआवजा भी नहीं।

खबर के अनुसार गांववाले थर्मल प्लॉण्ट के लिये जमीन देना और चाहते थे पर अधिक मुआवजा मांगते थे। पर जमीन का अधिग्रहण न होने की सम्भावना उन्हे सन्न कर गयी। और प्रतिरोध टूट गया।

उपजाऊ जमीन के सरकारी अधिग्रहण के आतुर हैं लोग? सम्भवत: यह आतुरता उनकी बार्गेनिंग पावर कम कर दे रही है। वे रेल-सड़क बन्द कर अपनी बार्गेनिंग पावर जुटाने का यत्न करते हैं। पर उनमें पर्याप्त एकता नहीं रह पायेगी। स्प्लिण्टर ग्रुप उनकी बार्गेनिंग पावर को पलीता लगायेंगे। (यद्यपि समाचारों की माने तो पर्याप्त मुआवजे पर सहमति बन गई है।)

कैश मनी की तलब, खेती में अपर्याप्त आमदनी और पावर प्लॉण्ट में नौकरी की सम्भावना शायद वे मुद्दे हैं जो किसान को जमीन देने के पक्ष में झुका रहे हैं।

क्या ख्याल है आपका?


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

35 thoughts on “गांववालों, तुम्हारी बार्गेनिंग पावर कहां है?

  1. kya sarkar ke pas ujau-banjar jamin ka koi hisab nahi hai…..bhai mere agar technological devlopment chahiye to ……. banjar jameen ki koi kami hai yahan

    aur bargening……o bari jot wale kar sakte hain….choti jot walon ki itni kahan
    aukat…….

    pranam.

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  2. उपजाऊ जमीनों का इस तरह विकास के नाम पर बर्बाद करते रहना भारी पड़ेगा -ये अमानत भावी पीढी की है!

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  3. उपजाऊ जमीन के भारी मुआवजे का दुष्परिणाम नोएडा के किसानों ने झेला है | वहाँ किसानों को मुआवजे के रूप में में उस समय के दौर के अनुसार बहुत अच्छा पैसा मिला था | लेकिन खेती चले जाने के बाद एक बहुत बड़ा वर्ग उस पैसे को भौतिक साधन जुटाने मौर मौज मस्ती में लुटा बैठा |

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    1. मेरा विचार है कि आमूमन गांव में ६०-७० परसेण्ट लोग कर्जे में जीने के आदी होते हैं। वे पैसे का मैनेजमेण्ट बढ़िया नहीं करते। लिहाजा पैसा निवेश की बजाय जरूरतों (?) में खर्च हो जाता है। जरूरतें चाहे उड़ाने की हों या शादी व्याह जैसे खर्च की।

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    2. यही मैंने भोपाल में देखा. जो किसान पहले फटफटी या एम्-80 में घूमते थे वे अब बोलेरो, यहाँ तक की होंडा सीआरवी खरीदने लगे हैं. चंद सालों में उनकी सारी ‘कमाई’ बराबर हो जाती है और फिर उनके लड़के राहजनी करने लगते हैं.

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  4. अपने देश में विकास के रास्ते भी भूलभुलैया सरीखे होते हैं। काजल कुमार की टिप्पणी मौजूं है शायद! 🙂

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    1. हां। मैं इतना अनभिज्ञ भी नहीं हूं इस आलम से। पर आश्चर्य में जरूर हूं।

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  5. इन झगड़ों झंझट में बेचारी मालगाड़ियाँ ही थम जाती हैं. बड़ा मुश्किल होता होगा उनका मैनूवर करना जबकि सारा ध्यान सवारी गाड़ियों पर लगा हो.
    बहुत सी मालगाड़ियों में तो जल्दी ख़राब होनेवाली खाद्य सामग्री भी भरी होती होगी. उसकी तो वाट लग जाती होगी ऐसे में!

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    1. यह शुक्रवार को हुआ था। रात में यातायात खुला। पर अब तक मालगाड़ी का यातायात सामन्य नहीं हो सका है। शायद कल भी न हो पाये! 😦
      खैर – मालगाड़ियों में इतने पैरिशेबल नहीं होते कि खराब हो जायें!

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