नत्तू पांड़े स्काइप पर


स्काइप पर नत्तू पांड़े का स्नैप-शॉट उनके पिताजी के साथ

नत्तू पांड़े अब हफ्ते में दो दिन स्काइप के माध्यम से मिलते हैं। उनके पापा (विवेक पाण्डेय) रात में लौटते हैं कामकाज से निपट कर। तब वे पन्द्रह-बीस मिनट के लिये नत्तू को ऑनलाइन कराते हैं। शुरू में वीडियो – बातचीत नत्तू पांड़े को अटपटी लगती थी; पर अब माहिर हो चले हैं नत्तू इस विधा के!

आज होली के दिन उनको रंग लगाया था वहां फुसरो (बोकारो) की बालमण्डली ने। तब तो वे ऑनलाइन नहीं हुये पर शाम के समय साफ सुथरे बन कर अपने दांत, कान, नाक, चोटी आदि फरमाइश पर दिखाने लगे।

नत्तू पांड़े एक बार लैपटॉप के समक्ष बैठे बैठे लुढ़क भी गये थे और उन्हे उंगली में चोट्टू लग गई थी। दूसरी ओर हम सब नें उनके बारम्बार उंगली दिखाने पर फूंक मार कर चोट को सहलाया तब जा कर वह ठीक हुई।

बड़ा अच्छा लगता है नत्तू से स्काइपीय सम्पर्क!


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

22 thoughts on “नत्तू पांड़े स्काइप पर

  1. पोस्‍ट ग्रेजुएशन के वो दिन याद आ रहे हैं जब मामा-मामी से बात करने के लिए पीसीओ पर घंटों कतार में रहना पड़ता था। नत्‍तू पांडे खुशकिस्‍मत हैं जो अभी से ही नाना से इतनी आसानी से बात कर लेते हैं। जय हो इंटरनेट का। नत्‍तू पांडे को शुभाशीष।

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      1. ये अशोक पाण्डेय खेती-बाड़ी वाले हैं। रामनगर के लप्पूझन्ना वाले नहीं, संजय जी! 🙂

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      1. याहू मेसेंजर भी अच्छा तरीका हो सकता है , शायद !!

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  2. बहुत अच्छे.. नत्थू पाण्डे सही में काफी क्यूट हैं.. और आपका लेखन भी 🙂

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