सुन्दरकाण्ड पाठ

हनूमान जी के मन्दिर में हर मंगलवार को छात्र जुटते हैं और सुन्दरकाण्ड का पाठ करते हैं। शाम छ-सात बजे के बीच यह आयोजन होता है। लगभग एक दर्जन विद्यार्थी होते हैं। एक डेढ़ घण्टे में, पूरी लय में सुमधुर स्वर में यह पाठ होता है। बहुत समय से चलता आया है।

पाठ करने वाले विद्यार्थी सामान्यत: यहां शिवकुटी में कमरा किराये पर ले कर या तो विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले होते हैं, या किसी कोचिंग संस्थान में आई.ए.एस. पी.सी.एस. की तैयारी करने वाले होते हैं। उनमें से अधिकांश विपन्नता या तनाव में रहने वाले होंगे।

सुन्दरकाण्ड का पाठ उनके लिये बहुत सम्बल देने वाला होगा। न होता तो साल दर साल यह परम्परा न चल रही होती। यहाँ से जाने वाले बहुत समय तक इस अनुष्ठान को याद करते होंगे और उनमें से जो सफल हो जाते होंगे, वे अपनी सफलता को हनूमान जी/ सुन्दरकाण्ड के नियमित पाठ को जरूर एट्रीब्यूट करते होंगे।

शाम पौने सात बजे हनुमान मन्दिर में सुन्दरकाण्ड का पाठ करते छात्रगण।

बीच में, एक बार मन्दिर में छोटी मोटी चोरी हो गयी थी। पुजारी ने मन्दिर पर ताला लगना शुरू कर दिया और यह पाठ लगभग तीन चार महीने बन्द रहा। कालांतर में पुजारी जी की मति हनूमान जी ने सुधारी होगी। और परम्परा पुन: प्रारम्भ हुई।

इस प्रकार की परम्परायें धर्म का अंग होती हैं, साथ ही साथ सामाजिकता और संस्कृति की भी संवाहक होती हैं। अगर आप एक सामाजिक/धार्मिक रूप से जीवंत पड़ोस में रहते हैं, तो आपके आस पास भी इसी तरह की नियमित गतिविधि, जिसमें बिना खास खर्च के लोग जुटते होंगे और परस्पर आदान-प्रदान करते होंगे, जरूर होती होंगी।

वे परम्परायें पोटेंशियल ब्लॉग मेटीरियल हैं, रिपोर्ट करने को!

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

30 thoughts on “सुन्दरकाण्ड पाठ

  1. जय सीयाराम ,
    हम भी हमारे शहर सिरोही में दिनांक 10.04.2007 से अनवरत हर मंगलवार एंव शनिवार को भक्‍तो के अनुरोध पर किसी भी मंदिर ,प्रतिष्‍ठान एंव निवास स्‍थान पर नि-शुल्‍क संगीतमय सुन्‍दरकाण्‍ड पाठ का आयोजन स्‍वप्रेरित विश्‍वशांति एंव आत्‍म कल्‍याणार्थ सुन्‍दरकाण्‍ड पाठ किया जा रहा है ,बालाजी महाराज की क़पा से आज तक समिति द्वारा 678 सुन्‍दरकाण्‍ड पाठ सिरोही जिले ,जालोर जिले ,पाली , उदयपुर ,जोधपुर आदि जिले (राजस्‍थान) गुजरात आदि क्षेञो के कर चुके है
    श्री सुन्‍दरकाण्‍ड पाठ सेवा समिति ,सिरोही

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    1. हमारा आपसे यह पुछना है ,कि सुन्‍दरकाण्‍ड पाठ के दौरान कैसी वेशभुषा होनी चाहिये ,हमारे अन्‍दर सामान्‍यता यह कशमकश रहती है कोर्इ सफेद पहनने का कहता है ,तो कोई लाल वस्‍0ञ का वैसे हमारा पहनावा सफेद कुरता पायजामा व लाल दुप्‍पटा रहता है ,क़प्‍या मार्गदर्शन देवे

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      1. मुझे नहीं लगता बजरंगबली कोई ड्रेस कोड की अपेक्षा करते हैं। सादा, सुरुचिपूर्ण और साफ़ होना चाहिये। बस।
        हां, आप अपनी मण्डली को अलग से चिन्हित करने के लिये उपयुक्त वेश का कोड बना सकते हैं।

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  2. सुंदर कांड का पाठ घर में मैने भी किया है । पर सुरेश वाडकर कविता कृष्णमूर्ती और साथियों द्वारा गाया ये पाठ बहुत सुंदर लगता है ।

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  3. सुंदर काण्ड उम्मीद की उजली किरण है . सुंदर कथा का सुंदरतम काव्योत्कर्ष . विपन्नता और तनाव के पैतृक दाय के बीच भविष्य तलाशते हिंदी पट्टी के कर्मरत युवाओं के लिए अगर यह उम्मीद का सदाबहार स्रोत बना हुआ है तो उचित ही है .

    ‘जामवंत के वचन सुहाए’ इसलिए हैं कि वे हनुमान को उनकी अंतर्निहित शक्ति याद दिलाते हैं और उनका आत्मविश्वास बढाते हैं ताकि हनुमान ‘भूधर सुंदर’ पर चढ सकें और कार्यसिद्धि हो सके. उत्तर भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक-राजनैतिक गलाज़त में फंसे ‘बल बुद्धि बिसेषा’ युवाओं के लिए जो किसी ‘भूधर सुंदर’ पर चढने के लिए प्रयासरत हैं अगर एक धार्मिक-नैतिक काव्य-ग्रंथांश प्रेरणा-उत्प्रेरणा का स्रोत बनता है तो उसका महत्व सहज अनुमेय है.

    रामचरितमानस में स्वयं राम चहुंमुखी निराशा के बीच सीता के संधान और सेतु-बंधन के द्वारा आशा और उत्साह का मानसिक युद्ध तो ‘सुंदरकाण्ड में ही जीत जाते हैं. लंका काण्ड तो उसका प्रकटन और परिणति मात्र है. ‘सुख भवन संसय समन दवन बिषाद’ के इस ‘सकल सुमंगल दायक’ मंत्र-काव्य से हम सबने कभी न कभी ताकत पाई है सो शिवकुटी के हनुमान मंदिर के युवा भी अपवाद नहीं हैं . हिम्मत बची है और उम्मीद बची है तो सब बचा है .

    माइक वाला कानफोड़ू जगराता या रतजगा तो विकृति है — एक किस्म का अपसांस्कृतिक उपोत्पाद — जो बाकी ‘बाइप्रोडक्ट’ जैसा ही नुकसानदेह है .

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  4. सुन्दरकाण्ड पाठ करने की परम्परा बहुत पुरानी है और लगभग हर घर में ही पालन की जाती है, पढ़कर बड़ी ही मानसिक शक्ति प्राप्ति होती है।

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  5. शिव कुटी में होनेवाला सुन्‍दरकाण्‍ड पाठ तो विवशता में ही ‘सात्‍िवक और अहिंसक’ होता होगा क्‍योंकि (जैसा कि आपने अनुमान बताया है) ‘पाठी’ छात्रवृन्‍द गरीब है। किन्‍तु जैसा कि दिनेशरायजी द्विवेदी ने लिखा है – अब तो प्रत्‍येक कस्‍बे/नगर में ‘व्‍यापारिक सुन्‍दरकाण्‍ड मण्‍डल’ हो गए हैं। ये अत्‍यन्‍त तामसी और हिंसक होते हैं। इनके लाउडस्‍पीकरों की आवाज आसमान चीर देती है और सुन्‍दरकाण्‍ड की सुन्‍दरता को सामाजिक यन्‍त्रणा में बदल देती हैं। महीने में तीन-चार बुलावे, सुन्‍दरकाण्‍ड पाछ आयोजनों के आते हैं किन्‍तु मैं किसी में नहीं जाता।
    घर पर ही प्रति मंगलवार और शनिवार यह पाठ करता हूँ। अच्‍छा लगता है।

    बरसों तक मैं ऐसे सुन्‍दरकाण्‍ड मण्‍डल की तलाश करता रहा जो बिना लाउडस्‍पीकर के पाठ करे। किन्‍तु एक भी माई का लाल तैयार नहीं हुआ। सबने लाउडस्‍पीकर लगाने की शर्त सबसे पहले रखी।

    दिसम्‍बर 2004 में जब इस नई कॉलोनी में आया तो मालूम हुआ कि कॉलोनी के कुछ लोग प्रति मंगलवार और शनिवार सुन्‍दरकाण्‍ड का ‘सात्विक और अहिंसक’ पाठ करते हैं। ये लोग सुन्‍दरकाण्‍ड में कोई घालमेल नहीं करते। केवल सुन्‍दरकाण्‍ड का पाठ होता है। कोई आए या न आए, निर्धारित समय पर पाठ शुरु कर देते हैं । लाउडस्‍पीकर तो नहीं ही लगाते, आरती की थाली में एक रुपये से अधिक का योगदान निषिध्‍द है। आयोजक को प्रसाद के नाम पर केवल चना-चिरोंजी की ही अनुमति है। आयोजक की ओर से पानी के अतिरिक्‍त कोई सेवा स्‍वीकार नहीं करते।

    मैं अपने निवास पर इस मण्‍डल से दो बार सुन्‍दरकाण्‍ड पाठ करवा चुका हूँ। दोनो ही बार अतीव आनन्‍द आया।

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  6. क्या आप भी सुन्दर काण्ड का पाठ करते हैं ,अनियमित या नियमित?
    यह विवरण और भी अच्छा ‘ब्लॉग मटेरिअल ‘ हो सकता है

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  7. देखी देखा पुण्य और देखी देखा पाप | शायद यही परम्परा सुंदर् काण्ड की सततता के लिये नियमित भक्त उपलब्ध करा रही है सर |

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