किसी ने कछार में खेत की बाड़ बनाने में एक खोपड़ी लगा दी है। आदमजात खोपड़ी। समूची। लगता है, जिसकी है, उसका विधिवत दाह संस्कार नहीं हुआ है। कपाल क्रिया नहीं हुई। कपाल पर भंजन का कोई चिन्ह नहीं।
भयभीत करती है वह। भयोत्पादान के लिए ही प्रयोग किया गया है उसका।
कछार में घूमते हुये हर दूसरे तीसरे देख लेता हूँ उसे। जस की तस टंगी है उस बल्ली पर। कई चित्र लिए हैं उसके।
आपके लिये ये दो चित्र प्रस्तुत हैं-
सीलाई के लिये अमिटो धागों का उपयोग किया गया है, (पोस्टमार्डम के बाद)
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खोपड़ी पर पीछे सिलाई टाइप तो देखा, क्या मजबूत जो़ड़ है कुदरत का।
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लाश का दाह संस्कार ना होकर दफना दिया गया होगा. इसीलियी खोपड़ी साबूत है.
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लाश का दाह संस्कार ना होकर दफना दिया गया होगा. इसीलियी खोपड़ी सबूत है.
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अजीब लोग हैं, मुझे पूरा यकीन है कि अज्ञात मानव के अस्थि-अवशेष के इस दुरुपयोग रोकने के लिए कोई न कोई कानून अवश्य होगा …
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देख लिये। कुछ और लिखना था इस पर।
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मोबाइल से लिखी है पोस्ट! इससे ज्यादा लिखने में जोर लगता! 🙂
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मोबाइल से लिखे तब ठीक है। चलेगी इत्ती लंबाई!
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