गांव में सोलर लाइट लग रही हैं – स्थानीय सांसद के माध्यम से. पावरग्रिड कार्पोरेशन की कार्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के तहद.
सड़क और गलियों के यातायात को देख कर लगाई जाएं तो जहां लगेंगी, वहां से रात में नशेड़ी लोग उसकी बैट्री चुरा लेने में समय नहीं लगाएंगे. लिहाजा यह समझौते के आधार पर किसी न किसी के दरवाजे पर लगाई जा रही हैं – जिससे सड़कें भी रोशन रहें और उस व्यक्ति का परिसर भी.
ग्रामीण मुफ्त में जहर भी मिले तो उसके लिए जद्दोजहद करेगा. यह तो सोलर लाइट है. अतः अपने अपने दरवाजे पर सोलर लाइट झटकना प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है ग्रामीण लोगों ने. कोई नशेड़ियों से सोलर लाइट की मुक्ति की बात नहीं करता. वह कठिन काम जो है.
इस मुफ्त वृत्ति से भारत का मुक्त विकास होगा.