वे (भविष्यदृष्टागण) कहते हैं कि आने वाले समय में आर्टीफ़ीशियल इण्टैलिजेन्स (AI) की बढ़ती दखल से रोजगार कम होंगे। उसको सुनने के बाद मैं वे सभी अवसर तलाशता हूं जहां मेरे आसपास के गांव के परिवेश में रोजगार की सम्भावना बढ़ रही है, और तब भी रहेंगी जब आर्टीफ़ीशियल इण्टेलिजेन्स का शिकंजा और कस जायेगा। ऐसा ही एक अवसर मिला विजय तिवारी के नये खुले रेस्तरॉं में।

प्रयागराज की ओर से आते हुये महराजगंज कस्बे को पार करते ही हाईवे पर खोला है विजय तिवारी जी ने यह रेस्तरॉं। नाम भी रखा है श्री विजया रेस्टोरेण्ट। दक्षिण भारतीय, उत्तर भारतीय, मंचूरियन-चाइनीज भोजन मिलेगा यहां। पर नाम के अनुसार विजया मिलनी चाहिये – वह यहां नहीं मिलेगी। भांग (विजया) के लिये तो आपको बनारस ही पहुचना होगा। 😆
नेशनल हाईवे NH19 (पुराना NH2 – GT Road) का चौड़ा किया जाना चल रहा है। इसके छ लेन का बनते ही इस जगह से वाराणसी 30 मिनट में छुआ जा सकेगा। तीस मिनट का समय इस इलाके को सबर्बिया (suburbia) तो नहीं बनायेगा – वह तो अर्बनाइजेशन की धीमी प्रक्रिया होती है – पर इस इलाके को सीधे रूरर्बिया (rural-urban area, rurabia) में रूपान्तरित कर देगा। [रूरर्बिया अभी प्रचलित शब्द नहीं है। इसका कन्सेप्सुलाइजेशन अभी होना है।]
इण्टरनेट, मशीनें, सूचना का विस्फोट और अब बेहतर सड़क/रेल कनेक्टिविटी – यह सब मिल कर मेरे गांव परिदृष्य को सीधे रूरल से ग्लोबल बना दे रहे हैं। उस दिन मैने एक ग्रामीण नवयुवती को एक हाथ में प्लास्टिक की बोतल लिये दूसरे हाथ में स्मार्टफोन में वीडियो देखते पाया था। वह खेत में निपटान से लौट रही थी। खेत में निपटान अगर मध्ययुगीन प्रतीक है तो लोटे की बजाय प्लास्टिक की बोतल 21वीं सदी का प्रारम्भ है और स्मार्टफोन पर वीडियो देखना तो ग्लोबल लीप-फ्रॉगिंग (leapfrogging) कहा जायेगा, निसंशय!
विजय जी का रेस्तरॉं भी वैसी ही ग्लोबल लीपफ्रॉगिंग है। और अगर विजय में बिजनेस सेंस है (जो लगता है कि है) तो उनका यह वेंचर उन्हें भविष्य में रूरर्बिया की सफलता का एक प्रतीक बना देगा।

मैं जब सवेरे साइकिल भ्रमण करते दस बजे वहां पंहुचा तो रेस्तरॉं के काउण्टर पर विजय बैठे थे। अकेले। कोई ग्राहक नहीं था। हॉल में करीब चालीस लोगों के बैठने की जगह थी। एक ठीकठाक आकार की पार्टी वहां अरेंज की जा सकती थी। भविष्य में शायद की भी जायेंगी। आगे की खुले की जमीन को भी प्रयोग किया जाये तो सीजन में शादियां भी वहां सम्पन्न हो सकेंगी। विजय की योजना ऊपर कमरे बना कर मोटल जैसा रूप देने की है इस जगह को। अभी ग्राहक नहीं थे। पर भोजन बनाने के कारीगर और अन्य कर्मियों का इन्तजाम विजय जी ने कर लिया था। वे मुझे शुरुआती ग्राहक मान कर मुझपर अच्छा प्रभाव बनाने का यत्न भी कर रहे थे। उनके मेन्यू में फिलहाल दक्षिण भारतीय व्यंजन नहीं थे – पर जल्द ही उपलब्ध कराने की उनकी योजना थी।

मैने एक कॉफी का ऑर्डर दिया। इस इलाके में कॉफी मिलना दुर्लभ है। एक बार आठ किलोमीटर साइकिल चला कर एक जगह गया था कॉफी की तलाश में तो पता चला कि ग्राहकी के अभाव या कुप्रबन्धन के कारण वह ढाबा ठप हो गया था।

विजय जी ने बताया कि अगर वे अपने व्यन्जनों की क्वालिटी ठीक रखेंगे और सर्विस भी स्तर की बनाये रखेंगे तो उन्हे पूरी उम्मीद है कि उनका यह कारोबार चल निकलेगा। उनके पास इस व्यवसाय का पर्याप्त अनुभव है। बनारस में लंका में उनका रेस्तरॉं है। वे जानते हैं इस व्यवसाय की बारीकियां। उनके पास कारीगर (शेफ) भी हैं। वे ई-स्कूटर के द्वारा (व्यवसाय बढ़ाने के लिये) मामूली कार्टेज चार्ज पर भोजन और स्नेक्स की 5किमी के इलाके में घर घर डिलीवरी की भी योजना रखते हैं। इस इलाके के लोगों को भी वे जानते हैं – उनका गांव, उगापुर यहीं पास में है।
घर में लोगों को विजय जी के रेस्तरॉं की गुणवत्ता बताने के लिये एक आईटम खरीदा। बड़ी सुघडता से उन्होने वह केसरोल में पैक कर एक बायो डीग्रेडेबल लिफाफे में मुझे दिया। पैकेजिंग में भी आम गंवई दुकान (जहां पुराने अखबार में लपेट कर पॉलीथीन के नये/पुराने कैरी-बैग (पन्नी) में मुझे दिया जाता) से अलग अनुभव मिला मुझे। …. गांव में भी शहर की सर्विस की अनुभूति। सच में यह गांव-देहात तेजी से रूरर्बिया बन जायेगा हाईवे के विस्तार से।
घर में जब स्नेक्स का पैकेट ले कर पंहुचा तो वह पर्याप्त गर्म था। गुणवत्ता की घर में सभी ने तारीफ़ की। अन्य लोगों ने वहां जाने और वहां से व्यन्जन लेने की इच्छा भी व्यक्त की।
कुल मिला कर विजया रेस्तरॉं मेरे लिये बैठने और उसके बारे में फॉलोअप लिखने का एक विषय बन गया है। रूरर्बियन अवधारणा (कॉन्सेप्ट) को और व्यापक और गहन बनाने के लिये यह जगह मेरे लिये एक धुरी का काम करेगी।
रिटायरमेण्ट की बौद्धिकता इसी प्रकार से उर्वरक तलाशती है। साइकिल हो, समय हो और विजया रेस्तरॉं जैसा स्थान हो। … यह मेरे लिये देहात का कॉफी हाउस का काम देगा; ऐसी आशा है।
Very nice Aage badhane ka Sahi Rasta Hai
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विजय जी को बताएं कि जब ऊपर कमरे बनेंगे तो हम उनके पहले पहल ग्राहक बनना चाहेंगे।
शुभकामनाएँ।
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Aapka aur aapke family hardhik swagat krta hai SHRI VIJAYA RESTAURANT …….
WELCOME TO VIJAYA FAMILY. …..
WE GIVE OUR BEST OPPORTUNITY and WE TRYING TO MAINTAIN BEST QUALITY FOOD AND SERVICEWELL AND WE TRY TO DO SOMETHING NEW TO IMPROVE OUR VILLAGE AREA. ….
THANKING YOU OUR RESPECTEDFULLY GUEST. ….SHRI GYAN PANDEYJI. ….
ES BLOG KO STUDY KRKE BAHUT ACCHA LGA AUR BLOG DEKHE KR LGA HMARA VILLAGE PROMOTE HO RHA HAI ……
ONCE AGAIN THANKING YOU SO MUCH SHRI GYAN PANDEY JI. ……
VIJAY TIWARI
SHRI VIJAYA RESTAURANT
NH02 MAHARAJGANJ TITRAHI BHADOHI…
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Great work and very good place very hygienic and food quality is super kindly visit Nh 02 titrahi maharajganj varanasi Allahabad highway
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Aapka aur apka family ka hardhik swagat krta hai SHRI VIJAYA RESTAURANT…….WELCOME TO VIJAYA FAMILY…..WE GIVE OUR BEST OPPORTUNITY and WE TRYING TO MAINTAIN BEST QUALITY FOOD AND SERVICEWELL AND WE TRY TO DO SOMETHING NEW TO IMPROVE OUR VILLAGE AREA ………..
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SHRI VIJAYA RESTAURANTS….
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स्वागत बंधुवर!
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इस पोस्ट की वार्षिकी पर बताइए कि क्या क्या बदला है इलाके में।
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सड़क के रास्ते गुजरने वाले वाहनों को रोकने की क्षमता अगर इस रेस्टोरेंट में उत्पन्न हो सके तो यह जरूर चल जाएगा
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Pandey ji ab gao ka nam bhuliye, mai to aksar hafte me k din ya do din gaon ka daura karata hu aur mujhe vah sab gaon ki dukano me milata hai jo shahar vale bchate hai
yaha tak ki rojana akhabar bhi aur garmi ke dino me hande pey padarth aur baraf bhi, vah bhi thth gaon me
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रूर बिरिया पसंद आया
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