सभाजीत मिश्र का आतिथ्य

गंगा किनारे मिल गए सभाजीत। एक बांस ले कर आए थे। घर में मनौती है गंगा जी को आरपार की माला चढ़ाने की। उसके लिए किनारे पर यह बांस गाड़ा जाएगा. उससे एक रस्सी ले कर नाव में निकलेंगे उत्सव मनाते परिवार के लोग। रस्सी में कुछ कुछ अन्तराल में आम की टेरी और फूल बांधे जाएंगे। नाव पर लोग नारियल, फल, मिठाई, रोट आदि ले कर जाएंगे। रास्ते में गंगा जी की पूजा होगी और उनके यश में गीत भी गायेंगी महिलाएं। गंगा उस पार भी एक बांस गाड़ कर रस्सी उसपर टांगी जाएगी।
उसके बाद रस्सी का दूसरा फेरा इस पार तक आएगा।
मुझे नहीं मालूम था कि गंगाजी की इस तरह की आरपार की माला की पूजा भी होती है!
सभाजीत मिश्र यह बताते हुए अपने घर ले गए। उनका घर गांव अगियाबीर में ऊंचाई पर स्थित है। सन 1978 की बाढ़ में गंगा उनके घर के आसपास थीं पर घर सुरक्षित था।
सभाजीत के दो भाई वहां थे और वे भी रिटायर्ड हैं. बड़े भाई प्रेम नारायण इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल रह चुके हैं। उनसे मेरा पूर्व परिचय है। छोटे भाई बड़े बाबू थे। सभाजीत औराई ब्लॉक में राजस्व निरीक्षक थे।
गांव के स्तर से एक प्रतिष्ठित परिवार।
सभाजीत जी के घर चाय पीने को मिली। अच्छी चाय। गांव देहात में सलीके से बनी चाय कम ही होती है। उनके आतिथ्य और सत्कार से मन बना की भविष्य में गंगा तट पर जाते आते कभी कभी उनके घर जाया जा सकता है।
सभाजीत और उनके बड़े भाई प्रेम नारायण जी सवेरे उठ कर गाय गोरू की सेवा, दालान और ओसार की सफाई, स्नान पूजा, खेती का प्रबंधन आदि देखते करते हैं। कुल मिलाकर रिटायर्ड जीवन व्यस्त रहता है।
वे लोग स्वस्थ भी दिखे और प्रसन्न चित्त भी।
राजनीति चर्चा भी हुई। सभी इस बात पर सहमत थे कि मोदी को एक बार और मौका मिलना चाहिए।
गठबंधन पर सभाजीत ने टिप्पणी की – साझे में होल्ला ही नीक रहथ (सामूहिक रूप में होलिका दहन ही उपयुक्त है। आग लगाओ, तमाशा देखो और अपने अपने घर जाओ), साझे में सरकार नहीं चलती।

सभाजीत सुरती मल रहे थे। उन्होने मुझे भी ऑफर की सुरती। शायद वे पहले आदमी थे जिन्होंने मुझे सुरती की पेशकश की हो। अब लगता है मैं पर्याप्त गंवई हो गया हूं जिससे लोग सुरती चूना की मित्रता जैसा करने की सोच सकें।
ग्रामीण जीवन की एक पायदान चढ़ने का अहसास हुआ उनके सुरती – आतिथ्य से! 😁

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

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