सढ़सठ साल के राजन भाई कोरोना-काल में अतिरिक्त सतर्क हैं

साढ़े चार साल पहले जब मैं रिटायर हो कर गांव में आया था, तो साइकिल भ्रमण के साथी बने राजन भाई। मुझसे उम्र में दो-ढाई साल बड़े हैं, पर मुझसे कम उम्र के लगते हैं। उस समय उन्होने मुझे बताया था कि लगभग 12 किलोमीटर रोज साइकिल चलाते थे। शरीर पर कहीं अतिरिक्त चर्बी नहीं। फ़िट्ट लगते थे।

उसके बाद पाया कि देखने में कुछ तकलीफ़ होने लगी थी उनको। मोतियाबिन्द शायद पहले थे था, पर अब ज्यादा बढ़ गया था। उसके ऑपरेशन के लिये इधर उधर भटके। एक बार डाक्टर तय किया तो पता चला कि डाइबिटीज है उनको और चूंकि कभी नियन्त्रित करने का प्रयास नहीं किया था, ब्लड शूगर ज्यादा ही था। डाक्टर ने कहा कि जब तक वे अपना शुगर लेवल कण्ट्रोल नहीं कर लेते, ऑपरेशन नहीं करेंगे। कण्ट्रोल के नाम पर सेल्फ मेडिकेशन के आधार पर आयुर्वेदिक दवा, करेले का जूस छाप उपक्रम किये उन्होने। पर डाक्टर ने दूसरी बार भी उनका शूगर लेवल शल्य चिकित्सा लायक नहीं पाया।

उसके बाद उनके दोनो बेटों ने, लगता है काफ़ी लताड़ा उन्हे। फिर उन्हें अपने पास दिल्ली ले कर गये। वहां लम्बे समय तक राजन भाई रहे और वापस लौटे तो आँखों का ऑपरेशन करा कर ही।

मेरे साइकिल भ्रमण के साथी राजन दुबे।

अभी भी, सढ़सठ साल की उम्र में, राजन भाई फ़िट लगते हैं, पर उम्र का असर तो हो ही रहा है। साइकिल चलाने में मेरा साथ देते कतराते हैं। बहुत दूर नहीं जाते। प्रवृत्ति छुट्टा घूमने की है, सो बाहर निकलते हैं, पर कोशिश करते हैं कि कोई मोटर साइकिल पर उन्हे पीछे बिठा कर घुमाये। उम्र का यह बदलाव स्वीकारने का मन नहीं होता उनका, पर उम्र की थकान नजर आने लगी है।

आजकल कोरोना संक्रमण के समय वे मेरे साथ निकल रहे हैं। मास्क लगाए हम दोनों सवेरे छ बजे निकल कर एक घण्टे में वापस लौट आते हैं। बहुत ज्यादा दूर तक नहीं जाते। कुल 4-5 किलोमीटर। गांवों और बस्तियों से कतरा कर निकलने का प्रयास करते हैं। वैसे भी उस समय लोग कम ही दिखते हैं।

कछवां की सब्जी मण्डी लॉकडाउन युग में रात दो बजे खुलती है। सब्जी लाने वाले रात में ही वहां जा कर सवेरे छ बजे लौट चुके होते हैं। रास्ते में कहीं ताजा सब्जी लिये सब्जीवाला अगर दिख गया तो उससे हम लोग सब्जी/फल खरीदते हैं; अन्यथा किसी से कोई बातचीत किये बिना सोशल डिस्टेन्सिन्ग का पालन करते हुये लौट आते हैं। आपस में भी कोई विशेष बातचीत नहीं होती। ध्येय यह होता है कि शरीर का उपयुक्त व्यायाम भी हो जाये और कोरोनानुशासन का पालन भी। राजन भाई यह जानते हैं कि उनकी उम्र वालों को कोरोना का खतरा नौजवानों और बच्चों की अपेक्षा कहीं ज्यादा है।

इस चार-पांच किलोमीटर में भी राजन भाई कोशिश करते हैं कि ऊबड़ खाबड़ रास्तों, पगडण्डियों से बचा जाये। … मुझे लगता है कि अब साइकिल की बजाय उन्हे एक इलेक्ट्रिक साइकिल – जिसमें पैडल मारने को बिजली का मोटर सहायता करता है और साइकिल सवार का जोर कम लगता है – का प्रयोग करना चाहिये।

राजन भाई गांव में रहते हैं पर उनके दोनो लड़के दिल्ली (और उसके आसपास) व्यवसाय में हैं। संपन्न हैं पर राजन भाई गंवई फ़्रूगेलिटी दिखाते जीते हैं, अत: बीस पच्चीस हजार की ई-साइकिल खरीदने से रहे। उनके बेटे जरूर उनके लिए यह कर सकते है। इलेक्ट्रिक साइकिल उनको ज्यादा मोबाइल बनायेगी और उससे उनका आसन्न उम्रदराज होना और टलेगा।

हम कटका पड़ाव पर गुप्ताजी की किराना दुकान पर रुकते हैं। राजन भाई गुप्ता जी के लड़के से पूछते हैं – मेरी गिलोय वटी और अश्वगन्धा आयी? आयुष मन्त्रालय ने कोरोनावायरस से लड़ने के लिये तैयार होने को जो एडवाइजरी जारी की है, उसे राजन भाई बहुत गम्भीरता से लेते हैं। गुनगुना पानी, अदरक, शहद, कालीमिर्च, गिलोय, दालचीनी आदि का प्रयोग न केवल कर रहे हैं, औरों को करने की सलाह भी देते हैं। भोजन में हरी पत्ते वाली सब्जी की मात्रा बढ़ाने पर हमेशा जोर देते हैं वे।

कल अन्जीर का सेवन करने की सलाह मुझे दे रहे थे।

उन्हें अहसास है अपनी बढ़ती उम्र, इम्यूनिटी का घटता स्तर, और इम्युनिटी बढ़ाने की जरूरत का। जितना गम्भीर वे हैं, उस स्तर पर सभी 65 पार लोगों को होना चाहिये। कोरोना संक्रमण काल में वही उपाय है।


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

4 thoughts on “सढ़सठ साल के राजन भाई कोरोना-काल में अतिरिक्त सतर्क हैं

  1. mai 75 sal ka hu / lekin mai ek ayurveda allopathy homoeopathy aur unani prakratik chikitsa ka integrated doctor hone ke nate aur nursing college ka aur nursing college ke hospital ka m/o i/c aur principle hone ke nate mai apa sabako salah dunga ki chunki ap sabhi log gramin kchchetrao ke hai isaliye infection mamuli se mamuli na ho isase bachane ke liye satrak rahe / AYUSH mntralay ne jo bhi hidayate jari ki hai unaka palan kare / samsya yah hai ki bharat desh me itani chikitsa vidhiya hai aur har tarah ki davao ka itana bhandar hai vah any kisi bhi desh ke pas nahi hai / mai Germany me do sal raha aur vaha se sare Europe ko achchi tarah se dekha lekin ALLOPATHY ke alava unake yaha koi vikalp nahi hai / yaha tak ki unake yaha vanaspatiya tak nahi hoti hai / jaise apoane desh me vanaspatiyo ka bhandar bhara hua hai aisa un desho me nahi hai / isiliye uanke pas options ilaj ke liye bahut kam hai / surgery ko chchod de to davao ke nam par shuny hai aisa isaliye kah raha hu ki bahut simit sankhya me davaye hai / mai allopathy ki davaye jaha jarurat hoti hai vaha upyog karata hu jaha any ki jarurat hai vaha vaisi davao ka upayog karata hu / is bimari ke ilaj ke bare me keval SYMPTOMATIC ilaj hi sambhav hai / vaccine banana abhi dur ki kaudi hai aur yah ban bhi nahi sakati kyonki yah virus neumonia tb maleria aur typhoide ke alag alag jeans ko milakar bana hai jise dhundakar tod pana bahut mushkil hai / philahal bachav hi isaka ek matra rasta hai /

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  2. इतने चैलेंज नौकरी के काल में भी नहीं आते जितना उम्र के बढ़ते दौर में!! शनै शनै सबका पालन करते हुए भी शारीरिक ऊर्जा कमतर होती जाती है। और हर रोज हम ज्यादा सतर्क और क्रियान्वयन के लिए कटिबद्ध भी!
    जीवन के अंतिम पड़ाव तक विरोधाभासों का मुकाबिला सचमुच अद्वितीय है!

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    1. चैलेंज तो हैं ही।
      ज्यादा बड़ी समस्या उसमें है कि जो हैं और जो दिखना चाहते हैं, उसमे अंतर बड़ा हो।

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