22 नवम्बर 21, रात्रि –
तारापुर और गलियाना दोनो छोटी जगहें हैं। गांव ही कहे जा सकते हैं। गलियाना गूगल मैप में जहां दिखाता है वहां से दो किमी आगे साबरमती नदी पार कर नदी के पास ही कोई श्रीकृष्ण मंदिर है। उसकी धर्मशाला में रुके हैं प्रेमसागर। नक्शे के हिसाब से कुल पच्चीस किमी चलना हुआ। पुराने उनकी यात्रा मानकों से यह छोटी यात्रा कही जायेगी पर वे सवेरे छ-सवा छ बजे निकले थे और शाम सात बजे मुकाम पर पंहुचे।
रास्ते में लोग उनकी कांवर पदयात्रा देख कर सहायता करने में पीछे नहीं रहे। सवेरे चाय की दुकान पर चाय वाले सज्जन – सीताराम बाबा जी ने बुला कर चाय पिलाई और पैसे नहीं लिये। एक जगह कालू भाई और गिरीश भाई ने उन्हें रोक कर उन्हें चीकू और केले खिलाये। दोपहर में एक होटल में भोजन के लिये रुके और भोजन के बाद होटल वाले सज्जन ने भी इनसे पैसे नहीं लिये।


प्रेमसागर के अनुसार उनकी यात्रा का इलाके में वहां केले की बागवानी थी पर खेती में धान मुख्य दिखा। वह अब कट रहा है और खेत खाली होते दिख रहे हैं। उन्हें कालू भाई-गिरीश भाई ने चीकू खिलाये तो शायद किसान चीकू का हॉर्टीकल्चर भी करते हों।

प्रेमसागर ने बताया कि दोपहर में धूप बहुत थी और असहनीय गर्मी थी। उस जगह से उनका मुकाम मात्र आठ साढ़े आठ किलोमीटर था, पर वे शाम पांच बजे तक उस होटल में ही आराम करते रहे। शाम पांच बजे ही निकल सके। सात बजे उनसे बात की तो वे साबरमती नदी पार कर मुकाम पर पंहुच ही रहे थे।

मुझे थोड़ा अजीब लगा कि पचीस किमी की यात्रा में तेरह घण्टे लगे। सामान्यत: वे इतनी दूरी पर 8-9 घण्टे में पंहुच जाते थे। मैंने अश्विन पण्ड्या जी से भावनगर बात की। उन्होने बताया कि आगे धंधुका में उनकी व्यवस्था कर दी है उन्होने। वह भावनगर रेल मण्डल का रेलवे स्टेशन है जो आजकल आमान परिवर्तन (gauge conversion) के लिये बंद है। वहां स्टेशन के आवास खाली पड़े हैं। उन्ही में प्रेमसागर तीन-चार दिन रह सकते हैं। वहां स्टेशन मास्टर साहब उनके भोजन की भी व्यवस्था कर देंगे। जगह भावनगर से सौ किमी दूर है तो पण्ड्याजी खुद जा कर उनका हालचाल पता कर लेंगे। उनका कोरोना टीकाकरण भी हो जायेगा और जरूरत पड़ने पर जनरल चेक अप भी। पर धंधुका प्रेमसागर के इस साबरमती नदी तट के मुकाम से 56 किमी दूर है। वहां वे दो दिन में पंहुचेंगे।

“साबरमती नदी में जल बहुत था भईया, पर अंधेरा होने लगा था, इसलिये चित्र नहीं ले पाया; कल सवेरे ले कर भेज दूंगा।” – प्रेमसागर ने कहा। रात आठ बजे उन्होने मुझे फोन कर बताया कि श्रीकृष्ण मंदिर की धर्मशाला में ही भोजन व्यवस्था थी। भोजन में रोटी सब्जी और दूध था। सादा भोजन जो प्रेमसागर को रुचता भी है। भोजन कर वे सोने जा रहे हैं। अपना फोन भी साइलेण्ट मोड में रखेंगे। दिन में गर्मी ज्यादा लगी। थकान हो गयी है। नवम्बर के उत्तरार्ध में गर्मी थोड़ा अजीब लगा मुझे सुन कर पर पण्ड्या जी ने बताया कि यह इलाका सौराष्ट्र की सीमा पर है और अरब सागर की गतिविधियों के कारण गर्मी जरूर है। शायद उमस भी हो। यहां प्रयाग-भदोही-वाराणसी के मौसम से उसका अंदाज लगाना मेरे लिये कठिन है।
कल सवेरे प्रेमसागर को आगे निकलना है। दो दिन में धंधुका पंहुचना है तो उन्हे 25-30 किमी पर कोई रुकने का स्थान तलाशना होगा। पण्ड्या जी के अनुसार इलाका बहुत अच्छा है। लोग अच्छे हैं और रास्ते में बहुत मंदिर हैं जिनमें धर्मशालायें भी हैं। व्यवस्था ऐसी हैं रास्ते में कि लोग उनका प्रयोग शादियों-समारोहों के लिये किराये पर लेने का काम भी करते हैं। प्रेमसागर को उचित-उपयुक्त जगह मिलने में कोई दिक्कत नहीं होगी। आगे की यात्रा शुभ हो।
उमापति महादेव की जय। हर हर महादेव!
*** द्वादश ज्योतिर्लिंग कांवर पदयात्रा पोस्टों की सूची *** प्रेमसागर की पदयात्रा के प्रथम चरण में प्रयाग से अमरकण्टक; द्वितीय चरण में अमरकण्टक से उज्जैन और तृतीय चरण में उज्जैन से सोमनाथ/नागेश्वर की यात्रा है। नागेश्वर तीर्थ की यात्रा के बाद यात्रा विवरण को विराम मिल गया था। पर वह पूर्ण विराम नहीं हुआ। हिमालय/उत्तराखण्ड में गंगोत्री में पुन: जुड़ना हुआ। और, अंत में प्रेमसागर की सुल्तानगंज से बैजनाथ धाम की कांवर यात्रा है। पोस्टों की क्रम बद्ध सूची इस पेज पर दी गयी है। |
प्रेमसागर पाण्डेय द्वारा द्वादश ज्योतिर्लिंग कांवर यात्रा में तय की गयी दूरी (गूगल मैप से निकली दूरी में अनुमानत: 7% जोडा गया है, जो उन्होने यात्रा मार्ग से इतर चला होगा) – |
प्रयाग-वाराणसी-औराई-रीवा-शहडोल-अमरकण्टक-जबलपुर-गाडरवारा-उदयपुरा-बरेली-भोजपुर-भोपाल-आष्टा-देवास-उज्जैन-इंदौर-चोरल-ॐकारेश्वर-बड़वाह-माहेश्वर-अलीराजपुर-छोटा उदयपुर-वडोदरा-बोरसद-धंधुका-वागड़-राणपुर-जसदाण-गोण्डल-जूनागढ़-सोमनाथ-लोयेज-माधवपुर-पोरबंदर-नागेश्वर |
2654 किलोमीटर और यहीं यह ब्लॉग-काउण्टर विराम लेता है। |
प्रेमसागर की कांवरयात्रा का यह भाग – प्रारम्भ से नागेश्वर तक इस ब्लॉग पर है। आगे की यात्रा वे अपने तरीके से कर रहे होंगे। |
Sir Bhole Nath ki kripa se yatra achchhe se chal rahi jai Bhole
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स्वागत शर्मा जी. आप लोगों की शुभकामनाएं उन्हें आगे चलाए जा रही हैं…
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