पत्नीजी ने कमरे में लैपटॉप, बिस्तर और रज़ाई के कंफर्ट जोन से भगा दिया है। बताया है कि आज अलाव की भी जरूरत नहीं। आज लॉन में कुर्सियां लगा दी हैं। धूप अच्छी है। आसमान साफ है। वहीं बैठो। कमरा बुहारने दो!
और सच में आज लॉन शानदार लग रहा है। कार्पेट घास का आनंद लेने का समय है।
पक्षी और गिलहरियों की आवाज आ रही है। गुलाब और अन्य फूल खिले हैं। कमरे की बंद बंद हवा से अलग अनुभव हो रहा है। घर में काम करने वाले भी चहक रहे हैं। पत्नीजी एक राउण्ड चाय नाश्ता उन्हें दे चुकी हैं। “फुआ” – पत्नीजी पूरे गाँव भर की बुआ हैं – भी मगन हैं उनके द्वारा आदर पा कर। मैं इस आदर पाने की कॉस्टिंग (ख़र्चे का आकलन) करता हूँ। पर पत्नीजी को वह आदर मिलना उसके लिए हुए ख़र्चे से कहीं ज्यादा रुचता है।
गांव उनका है। कुछ ज्यादा कह भी नहीं सकते। 😊
बहरहाल, आज का दिन बढ़िया है। रिटायरमेंट का पूरा आनंद! 😁

अपडेट – डेढ़ घंटे बाद की दशा
सूरज के आसमान में चलने के साथ कुर्सी मेज का कोण 30 अंश बदल दिया गया। गर्मी के साथ पहले शॉल और फिर आधा स्वेटर उतार दिया। एक कप चाय और उसके साथ कुछ भक्षण योग्य सामग्री का सेवन संपन्न किया। पुस्तक के बीस पेज पढ़े। ब्लॉग पोस्ट पर रिस्पॉन्स का भी अवलोकन हुआ।

आपका लॉन तो बड़ा ज़बरदस्त लग रहा है ऊपर से मुफ़्त का विटामिन डी जो कि सोने पे सुहागा है।😀
प्रकृति के नज़दीक रहते हुए प्रकृति प्रदत्त संसाधनों की उपलब्धता और उसका दोहन बहुत कम लोगों के भाग्य में होता है।
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धन्यवाद 🙏. श्रेय मेरी पत्नीजी और रामसेवक जी को जाता है!
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कानपुर मे सर्दी के मारे बहुत खराब हाल है/ यहा दिनचर्या बाधित है और पारा रोजाना सुबह शाम 14 डिग्री के आसपास है ,बदली,बरसात दोनों तंग किए है ,बाहर निकालना मुश्किल है /आप तो बड़े जोरों से आराम फर्मा रहे है यह देखकर खुशी हुयी/
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आज शाम थोड़े बादल आए और पारा गिरा. पर कुल मिलाकर ठीक ठाक रहा दिन. आगे के दिनों का पूर्वानुमान भी ठीक ही है.
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सर्दियों में खुली धूप का आनंद ही कुछ और है।
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आशा है आपको भी खुली धूप मिल रही होगी! 😊
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बहुत सुंदर है लॉन है। धूप भी अच्छी और इसका ताप अच्छा लग रहा होगा। यहां लखनऊ में भी तेज धूप है।
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लॉन के लिए क्रेडिट मेम साहब और माली रामसेवक जी को जाता है!
और उसे बनाते समय सबसे रोचक टिप्पणी गांव की एक वृद्धा की थी – आपके यहां गाय गोरू तो है नहीं, घास काहे लगा रहे हैं? 😁
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