इल्यूसिव, गॉड पार्टीकल, पीटर हिग्स और लैण्डलाइन फोन

मैं सवेरे उठने पर एक लोटा पानी पीता हूं। उसमें एक चम्मच हल्दी और चुटकी भर काली मिर्च भी मिला कर अप्रिय सा घोल भी बना कर गटक जाता हूं। उसके बाद अपना दस इंच का टैब ले कर कमोड पर बैठता हूं।

साढ़े चार बजे मेग्जटर पर कुछ अखबार आने शुरू होते हैं। पहला अखबार खुलता है बिजनेस स्टेण्डर्ड। उसमें सम्पादकीय पन्ने पर एक पुस्तक का रिव्यू छपता है सप्ताह में पांच दिन। वह देखना पहला काम होता है। पुस्तकें पढ़ना न हो सके तो रिव्यू पढ़ना उसके बाद सबसे अच्छी चीज है। आज उसमें एक आने वाली पुस्तक इल्यूसिव, हाऊ पीटर हिग्स सॉल्व्ड द मिस्ट्री ऑफ मास (Elusive : Hoe Peter Higgs Sloved the Mystery of Mass) का रिव्यू है।

मेग्जटर पर पुस्तक रिव्यू

रिव्यू के अनुसार पीटर हिग्स ने हिग्स बोसॉन की परिकल्पना 1964 में की थी। उन्हें इसके लिये नोबेल पुरस्कार 2013 में मिला। इस पुस्तक में पीटर हिग्स जैसे एकाकी और लाइमलाइट को नापसंद करने वाले वैज्ञानिक की बॉयोग्राफी है। वैसे कहा गया है कि वह वैज्ञानिक की जीवनी से ज्यादा हिग्स बोसॉन की बायोग्राफी है।

पुस्तक में है कि पीटर हिग्स अपना पुरस्कार लेने भी नहीं गये। वे उस दिन सवेरे घर से बिना बताये पिछले दरवाजे से निकले और एक बस पकड़ कर पास के कस्बे में जा कर एक बीयर बार में जा कर बैठ गये।

खब्ती वैज्ञानिक! मुझे अगर नोबेल मिला होता तो बावजूद इसके कि मैं भी अपने को इण्ट्रोवर्ट कहलाये जाने को पसंद करता हूं; अपने लिये एक सूट सिलवाता और टाई जो मैंने पचास साल से नहीं पहनी; भी पहन कर पुरस्कार लेने जाता! पर वैसा होता कहां है? वैसे शायद मुझे अगर नोबेल मिलता तो मेरा पर्सोना भी बहुत बदल गया होता। मैं भी शायद नोबेल लेने जाने की बजाय विनोद की चाय की चट्टी पर चाय (और अगर शुगर कण्ट्रोल में रहता तो एक समोसा भी खाते हुये) का सेवन कर रहा होता!

पीटर हिग्स की जीवनी, दो हजार की।

बहरहाल मुझे लगा कि यह किताब – फ्रैंक क्लोज की लिखी हिग्स की जीवनी पढ़नी चाहिये। टॉयलेट से वापस आ कर मैंने अमेजन पर सर्च की। पुस्तक अभी छपी नहीं है। सात जुलाई को छपेगी। उसका प्री-ऑर्डर कीमत भी 2050 हार्ड कॉपी में है। किण्डल पर भी वह 1700 की होगी। मेरी पंहुच के बाहर की किताब। मुझे नहीं लगता कि मैं कभी यह पुस्तक पढ़ पाऊंगा।

सवेरे सवेरे, कमोड, मेग्जटर, पीटर हिग्स, अमेजन पर पुस्तक सर्च और किण्डल अनलिमिटेड पर पुस्तक संंक्षेप डाउनलोड करना तथा लैण्डलाइन फोन खोजना – यह बैठे ठाले काम कोई रिटायर्ड व्यक्ति ही कर सकता है।

अमेजन पर ही इसी पुस्तक की समरी मिल रही है। सात पेज का वह संक्षेप भी 311 रुपये का है। सात पेज की पुस्तक समरी के लिये कोई फिरंगी ही पांच डॉलर दे सकता है, जिसे भौतिकी का कीड़ा गहरे में काटे हुये हो! गनीमत है कि वह किण्डल अनलिमिटेड पर उपलब्ध थी और मेरे पास किण्डल अनलिमिटेड का सब्स्क्रिप्शन है। मैंने दन्न से उसे डाउनलोड कर लिया। और केवल सात ही पेज की थी, तो पढ़ भी ली!

पुस्तक पढ़ने की बजाय पुस्तक प्राप्त करने की इस तलब को भी किसी सिण्ड्रॉम का नाम दिया जा सकता है। मैं हिग्स बोसॉन का जनक तो नहीं बना, शायद पुस्तक एक्वायर सिण्ड्रॉम को जीडी-सिंड्रॉम का नाम दिया जा सके। मैं उसी के माध्यम से मशहूर हो सकूं! 😆

पुस्तक समरी में है कि फ्रैंक क्लोज ने यह किताब पीटर हिग्स से फोन पर इण्टरव्यू के आधार पर लिखी है। हिग्स महोदय इण्टरनेट, ईमेल, मोबाइल फोन आदि का प्रयोग नहीं करना चाहते। उनका इण्टरव्यू उनके लैण्डलाइन फोन के माध्यम से हुआ है! इकीसवींं सदी के दूसरे दशक में स्कॉटलैण्ड में लैण्डलाइन फोन का प्रयोग! मुझे लैण्डलाइन का भी नॉस्टॉल्जिया हुआ। घर में किसी अटाले में शायद लैण्डलाइन फोन सेट पड़ा हो। बीएसएनएल ने लैण्डलाइन फोन की लाइन ठीक करना छोड़ दिया तो घर तक बिछाई गयी केबल बेकार हो गयी। उसका जंक्शन बॉक्स अभी भी घर में लगा है।

2जी के दो सिम वाला लैण्डलाइन फोन

पीटर हिग्स के माध्यम से फिर भी, लैण्डलाइन का नोस्टॉल्जिया बना रहा। मैंने अमेजन पर सर्च किया तो 2जी का ड्यूअल सिम का लैण्डलाइन फोन दिखा। दो हजार रुपये का। उसमें 500 फोन नम्बर भी भरे जा सकते हैं। मुझे अब ज्यादा यात्रा करनी नहीं होती। रेल की यात्रा किये तो चार साल गुजर गये हैं। मेरे सभी तीन सेट पास बेकार जाते हैं। यह भी नहीं मालुम कि अब भी वे रिटायर्ड रेल अधिकारी वाले प्रिविलेज पास मिलते भी हैं या नहीं। इसलिये, मैं इस लैण्डलाइन फोन का प्रयोग बखूबी कर सकता हूं। शायद उसमें आवाज मोबाइल फोन से बेहतर आये।

क्या ख्याल है? एक 2जी वाला लैण्डलाइन फोन ले लिया जाये?

सवेरे सवेरे, कमोड, मेग्जटर, पीटर हिग्स, अमेजन पर पुस्तक सर्च और किण्डल अनलिमिटेड पर पुस्तक संंक्षेप डाउनलोड करना तथा लैण्डलाइन फोन खोजना – यह बैठे ठाले काम कोई रिटायर्ड व्यक्ति ही कर सकता है। शायद आम रिटायर्ड आदमी, जो अपने नाती-पोतों के लिये घोड़ी बनना ज्यादा आनंददायक समझता हो, भी ऐसा नहीं करता। इसी में खुश रहो जीडी कि तुम यह कर पा रहे हो! 🙂


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Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

13 thoughts on “इल्यूसिव, गॉड पार्टीकल, पीटर हिग्स और लैण्डलाइन फोन

  1. यह पुस्तक वाक़ई में ज़बरदस्त होगी, एक वैज्ञानिक के तमाम क्रिया कलापों को समेटे हुए।हिग्ग्स साहेब के साथ एक भारतीय सत्येंद्र नाथ बोस (बोस) का नाम जुड़ा है।पता नही इस महा मशीन के बारे में काफ़ी कुछ होगा। आपके विषय पृथक पृथक विषयों पर हो सकते हैं लेकिन आपकी पुस्तक भी बहुत ज़बरदस्त होगी।
    मेरी तो प्रबल इच्छा है कि आप कुछ महीने अमेरिका में बितायें और यहाँ के बारे में अपना अनुभव लिखें।

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    1. जय हो! आपके आग्रह के लिए बहुत धन्यवाद.
      इस पुस्तक की प्रस्तावना में है कि यह उतनी पीटर हिग्स की बायोग्राफी नहीं, जितनी Higgs Boson की बायोग्राफी है. 😁

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  2. सादर नमस्कार।
    आपका लिखा पढ़ था हूं, और जब भी कोई टिप्पणी कि ये बगैर आगे बढ़ जाता हूं तो एक अपराध बोध होता है, जैसे कि बिना चढ़ावा दिये देव दर्शन कर लिया हो।
    आप अब भी लोटा प्रयोग में लाते हैं, जा कर बहुत अच्छा लगा। मेरी भी इच्छा है कि अपने लिखे एक लोटा खरीदूं, जो बिल्कुल निजी होगा,घर के कप और गिलास की तह नहीं कि कोई भी उसे प्रयोग कर ले।
    क्या ऐसी गंभीर वैज्ञानिक विषय पर लिखी किताबें हिंदी में अनूदित होती होंगी?

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    1. हिन्दी में अनुवाद हो, यह तो मेरी भी बड़ी इच्छा है. सम्भवतः उसके लिए हिन्दी की शब्दावली और समृद्ध करनी होगी…

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  3. मेरे पास साफ्ट कापी है लेकिन अभी पढ़ा नही है। यदि आपको चाहिए तो भेज सकता हूं।

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    1. जरूर! आप उसे ****@********. com पर भेज दीजिये, कृपया। ईमेल पता बिना बीच में स्पेस के है।

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  4. मुझे देख लीजिए सुन लीजीए पांडे जी और आपको समझ मे आ जाएगा की आविष्कारक किस तरह के होते है ? आयुर्वेद के वात पित्त कफ त्रिदोषों के बारे मे यह धारणा है की उनका सिवाय वैद्य के हाथ की उंगलियों द्वारा नाडी परीक्षण के द्वारा एसेस्मेंट करने का एकमात्र तरीका है/लगभग 45 साल से मैंने एक मशीनी तकनीक डेवलप की ”इलेक्ट्रो त्रिदोषों ग्राम”‘के नाम से और इसे भारत सरकार ने 2004 से लेकर 2009 तक परीक्षण करके इसे जेनयूँन अनुसंधान माना और इसके विकास के लिए कुछ सुझाव दिए/ वह मै अभी भी कर रहा हू/आयुर्वेद जगत को जब इस खोज के बारेमे पता चला तो मुझे कांफ्रेंस मे और दूसरी जगह बुलाया जाने लगा और इस अनुसंधान के बारे मे लोग हजारों तरह के प्रश्न पूछने लगे/ यह सिलसिला अभी भी जारी है और आए दिन देश और विदेश और दुनिया के बहुत से देशों से लोग आए दिन बात करते रहते है और कानपुर आकर मुझसे व्यक्तिगत स्वरूप मे आमने सामने मिलते है और मिलने के लिए अपॉइंटमेंट लेते है / मैंने कई अनुसंधान किए है जो आपको मेरे यूट्यूब चैनल और वेब ब्लाग मे देखने समझने के लिए मिल जाएंगे/मै अपने इन्वेन्शन को बहुत निम्न कोटि और बहुत छोटे स्तर किस्म का अपनी समझ से खोज-करता मानता हू लेकिन लोग कहते की मैंने बड़ा काम किया है /आज भी मै इस काम मे बराबर लगा हू और इसे बेहतरीन से बेहतरीन बनाने का प्रयास करता रहता हू/ मै अपने मन की बात बताता हू पांडे जी की यह अनुसंधान करना बहुत साधारण कार्य है और इसे असाधारण बना देने की कला का नाम रिसर्च है/ मेरा अनुसंधान करताओ से आई आई टी कानपुर और दूसरे संस्थानों से मिलना जुलाना होता रहता है/ सब के सब बहुत नम्र और साधारण बेहद साधारण और बिंदास स्वभाव के होते है सबके अंदर कोई ईगो नहीं होती/ मुझसे जब लोग मिलते है तो वे बहुत आश्चर्य करते है वे किसी बेहद साधारण से दिखने वाले व्यक्ति से मिल रहे है जिसके अंदर वैज्ञानिक जैसा कुछ भी नहीं दिखता/ हिकस अगर नोबल लेने नहीं गए तो यह उनकी महानता है क्योंकि शायद उन्होंने यह समझा होगा की उन्होंने जो काम किया है वह वास्तव मे नोबल के लायक नहीं था और इसीलिए वे इसे लेने नहीं गए/मै भी यही करता हू लोग मुझे सम्मान पत्र और पुरुस्कार के लिए बुलाते है और मै नहीं जाता क्योंकि मुझे वास्तविकता पता है

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