वृद्धो याति गृहीत्वा दण्डं, तदपि न मुञ्चत्याशापिण्डम्


आत्मबुद्धि वाला भाव दिन भर में पांच दस मिनट रहता है। वह बढ़े। सोवत जागत आत्मबुद्धि रहे। तब कोई समस्या नहीं। देह की और जीव की दशा जैसी भी हो, क्या फर्क पड़ता है तब। स्थितप्रज्ञ बनना ध्येय होना चाहिये।

स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती पर विकिपेडिया पेज के बहाने


‘माता’ पुस्तक में श्री अरविंद कहते हैं कि धन दैवीय शक्ति है। यह असुरों के द्वारा हथिया ली गयी है। इसे वापस लाना है। ‘धन’ की तरह लेखन और शिक्षण संस्थायें भी दैवीय शक्तियां हैं। ये असुरों के द्वारा हथिया ली गयी हैं। इन्हें वापस लाना चाहिये।

स्वास्थ्य का स्रोत – घर का बगीचा


कण्डाल से एक छोटी प्लास्टिक की बालटी में पानी ले कर वे हर पौधे के पास जाती हैं और उसकी जरूरत अनुसार पानी उनकी जड़ों में उड़ेलती हैं। पानी कण्डाल से लेने, चलने, झुकने आदि में जो व्यायाम है, वह पत्नीजी के स्वास्थ्य को पुष्ट करता है।

पीयूष वर्मा का मालिश-तेल, कंचे, माला और चलना


जनवरी 2023 में अभी 11 दिन हुये हैं। सवेरे इग्यारह बजे तक इस महीने मैं 1,00,194 कदम चल चुका हूं। यह औसत 9100 कदम प्रति दिन होता है। कई दिन मैं दस हजार से अधिक कदम चल चुका हूं। यह दिसम्बर के अनुपात में 80 प्रतिशत बेहतर है।

मॉर्निंग पोजीशन की याद


मॉर्निग पोजीशन ने रेल परिचालन की जिंदगी व्यवस्थित की थी। उसने आंकड़ों के पिजन-होल्स बनाये थे मस्तिष्क में। अब जिंदगी अलग प्रकार से चल रही है। पर मेण्टल पिजन होल्स बनाने/अपडेट करने की जरूरत मुझे महसूस हुई सवेरे उठते समय।

ईंटवाँ गंगा घाट पर नित्य स्नान करने वाला लालचंद


वह एक तौलिया पहने है। हाथ में कचारा हुआ कपड़ा और कांधे पर लुंगी। घर से एक लाठी और तौलिया भर ले कर आता होगा गंगा स्नान के लिये। बाकी, नहाने-सुखाने और कपड़ा कचारने का काम तो गंगा किनारे होता है। उसके पैरों में चप्पल भी नहीं है।