हर एक ब्लॉगर अपना घर का स्टडी टेबल और कम्प्यूटर सिस्टम जमाता होगा। मेरा अध्ययन तो सामान्यत: बिस्तर पर होता है। पर कम्प्यूटर और संचार (कम्यूनिकेशन) का सिस्टम मेज कुर्सी पर काफ़ी सीमा तक मेरी व्यक्तिगत और सरकारी आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर बना है। रेलवे की कार्यप्रणाली चाहती है कि हम रेल कीContinue reading “मेरा घर का कम्प्यूटर और संचार नेटवर्क”
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टॉवर, व्यक्तिगत जमीन और स्थानीय शासन
कल मेरे एक पुराने मित्र मुझसे मिलने आये। उनका विभाग ग्रामीण इलाके में खम्भे और तार लगा रहा है। उनकी समस्या यह है कि गांव के लोग अपने खेत में टॉवर खड़ा नहीं करने दे रहे।1 टॉवर खड़ा करना जमीन अधिग्रहण जैसा मामला नहीं है। इण्डियन टेलीग्राफ एक्ट की धाराओं के अनुसार किसी भी जमीनContinue reading “टॉवर, व्यक्तिगत जमीन और स्थानीय शासन”
कमोड – एक चिन्तन
मेरी मां के पैर में रक्त का थक्का जमने के बाद उनका एक पैर कम ताकत का हो गया। उसके चलते घर में एक शौचालय में पश्चिमी स्टाइल का कमोड़ (commode – मलमूत्र त्याग का पात्र) लगाना पड़ा। घर में दूसरा शौचालय बचा था भारतीय स्टाइल का। पर मेरे इलाहाबाद स्थानान्तरण होने पर मैने उसकोContinue reading “कमोड – एक चिन्तन”
श्री बुध प्रकाशजी के पूर्वजों की एक पीढ़ी
श्री बुध प्रकाश मेरे जोनल रेलवे (उत्तर मध्य रेलवे) के महाप्रबंधक हैं। सामान्यत: मैं उनपर नहीं लिखता – कि वह कहीं उनकी चाटुकारिता में लिखा न प्रतीत हो। पर वे ३१ दिसम्बर को रिटायर होने जा रहे हैं और ऐसा कोई मुद्दा शेष नहीं है जिसमें मुझे उनकी चाटुकारिता करने की आवश्यकता हो। इसके अलावाContinue reading “श्री बुध प्रकाशजी के पूर्वजों की एक पीढ़ी”
दांतों की देखभाल – हल्दी के साथ अन्य वनस्पतियां
यह श्री पंकज अवधिया की बुधवासरीय अतिथि पोस्ट है। पंकज जी ने अठाईस नवम्बर को "दांतों की देखभाल – हल्दी का प्रयोग" नामक पोस्ट इस ब्लॉग पर लिखी थी। वह प्रयोग सरल और प्रभावी होने की बात मेरी पत्नीजी भी करती हैं। वे उस प्रयोग में नियमित हैं। कई अन्य पाठक भी कर रहे होंगेContinue reading “दांतों की देखभाल – हल्दी के साथ अन्य वनस्पतियां”
पर्यावरण के मुद्दे ॥ नीलगाय अभी भी है शहर में
टेराग्रीन (Terragreen) पत्रिका का नया अंक » इस वर्ष इण्टरगवर्नमेण्टल पेनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) और अल-गोर को संयुक्त रूप से नोबल शांति पुरस्कार दिये जाने के कारण पर्यावरण का मुद्दा लाइमलाइट में आ गया है। कल मैने टेराग्रीन (Terragreen) नामक मैगजीन का एक अंक ४० रुपये खर्च कर खरीद लिया। यह पत्रिका श्री आर.केContinue reading “पर्यावरण के मुद्दे ॥ नीलगाय अभी भी है शहर में”