मैं यह क्लिक-इफेक्टिव पोस्ट नहीं लिख रहा। प्लास्टिक के कचरे के बारे में कम ही लोगों ने पढा। पर आप क्लिक के लिए नहीं लिखते हैं। जिस मुद्दे पर आप महसूस करते हैं, उसपर कलम चलानी चाहिये। कम से कम ब्लागिंग है ही इस काम के लिए.मुझे लगता है की अपना कैरी बैग ले करContinue reading “प्लास्टिक पर निर्भरता कम करने के तरीके.”
Category Archives: आस-पास
प्लस्टिक का कचरा कब तक चलेगा?
“इकनामिस्ट” में है कि सेनफ्रंसिसको में प्लास्टिक के शॉपिंग बैग पर पाबन्दी लग गयी है. किराना वालों ने इस का विरोध किया है. पर कानून बनाने वालों ने सुनी नहीं. पता नहीं कैसे कानून बनाने वाले हैं वहां. हमारे यहां तो जनता के बिना बोले बहुत कुछ सुन लेते हैं. खैर. प्लास्टिक का कचरा वास्तवContinue reading “प्लस्टिक का कचरा कब तक चलेगा?”
बहुजन समाज पार्टी ने शिव जी का आशिर्वाद लिया
गौतम बुद्ध, अम्बेडकर, महामाया रोड/नगर/पार्क/क्रासिंग आदि का जमाना शायद पुराना हो गया है. वोट बैंक के गणित का तकाजा ऐसा हुआ कि बसपा ने शंकर जी का आशिर्वाद सेंक्शन करा लिया. सवेरे घूमने जाती मेरी मां ने खबर दी कि शिव कुटी के एतिहासिक मन्दिर पर बहुजन समाज पार्टी का झण्डा फहरा रहा है. चित्रContinue reading “बहुजन समाज पार्टी ने शिव जी का आशिर्वाद लिया”
फर्जीवाडा ग्रेड – IV बनाम शिक्षा में ठगी
भारत लाल (मेरा बंगला पियून) ताजा स्कूप लाया है। उसकी मंगेतर दसवीं में पढ़ती है। मंगेतर का स्कूल “कान्वेंट” स्कूल है। कान्वेंट माने थोड़ी ज्यादा फ़ीस और अंगरेजी मीडियम। इसाई मठ से कोई लेना देना नहीं है कान्वेंट का। स्कूल चलाते होंगे कोई पंडितजी या लालाजी। निम्न मध्यम वर्ग के बच्चों का स्कूल है। स्कूलContinue reading “फर्जीवाडा ग्रेड – IV बनाम शिक्षा में ठगी”
कंटिया भाग दो: कंटिये में तो हम ही फंस गये हैं.
कल की पोस्ट पर एक दूसरे मिसिर जी ने जो गुगली फैंकी; उससे लगता है कि कंटिये में हम खुद फंस गये हैं. छोटे भाई शिव कुमार मिश्र ने जो रोमनागरी में टिप्पणी दी है पहले मैं उसे देवनागरी में प्रस्तुत कर दूं: “सिस्टम भ्रष्ट है…” और तब तक रहेगा जब तक मिसिराइन अपने कोContinue reading “कंटिया भाग दो: कंटिये में तो हम ही फंस गये हैं.”
कटिया फंसाने को सामाजिक स्वीकृति है यहां
मिसिराइन (कल्पित नाम; फिर भी सभी मिसिर-मिसिराइन जी से क्षमा याचना सहित) हफ्ते भर से फड़फड़ी खा रही थीं. बिजली वाले से किसी बात पर तनी तना हो गयी थी और वह इलेक्ट्रानिक मीटर लगा गया था. मीटर फर्र-फर्र चल रहा था और मिसिराइन का दिल डूबा जा रहा था. वो जिस-तिस से समस्या काContinue reading “कटिया फंसाने को सामाजिक स्वीकृति है यहां”