ये अखबार की कतरनें क्यों बटोरते हैं लोग?


अखबार में हिन्दी ब्लागिंग के बारे में छप जाये तो सनसनी छा जाती है. नोटपैड एक दिन पहले बताता है कि कल कुछ छ्पने वाला है. अपनी प्रति सुरक्षित करा लें. एक और जगह से विलाप आता है कि अरे हमारे यहां तो फलां पेपर आता नहीं – भैया, स्कैन कर एक पोस्ट छाप देना.Continue reading “ये अखबार की कतरनें क्यों बटोरते हैं लोग?”

विकलांगों को उचित स्थान दें समाज में


भारतीय समाज विकलांगों के प्रति निर्दय है. लंगड़ा, बहरा, अन्धा, पगला, एंचाताना – ये सभी शब्द व्यक्ति की स्थिति कम उसके प्रति उपेक्षा ज्यादा दर्शाते हैं. इसलिये अगर हमारे घर में कोई विकलांग है तो हम उसे समाज की नजरों से बचा कर रखना चाहते हैं – कौन उपेक्षा झेले.. या यह सोचते हैं किContinue reading “विकलांगों को उचित स्थान दें समाज में”

कोंहड़ौरी (वड़ी) बनाने का अनुष्ठान – एक उत्सव


जीवन एक उत्सव है. जीवन में छोटे से छोटा अनुष्ठान इस प्रकार से किया जाए कि उसमें रस आये – यह हमारे समाज की जीवन शैली रही है. इसका उदाहरण मुझे मेरी मां द्वारा वड़ी बनाने की क्रिया में मिला। मैने अपनी मां को कहा कि वो गर्मी के मौसम में, जब सब्जियों की आमदContinue reading “कोंहड़ौरी (वड़ी) बनाने का अनुष्ठान – एक उत्सव”

गंगा एक्शन प्लान के कर्मी


मैं आपका परिचय गंगा एक्शन प्लान के कर्मियों से कराता हूँ। कृपया चित्र देखें। ये चित्र शिव कुटी, इलाहबाद के हैं और गंगा नदी से आधा मील की दूरी पर लिए गए हैं। इस चित्र में जो सूअर हैं वे पास के मकान से नाली में गिराने वाले मैले की प्रतीक्षा करते हैं। जैसे हीContinue reading “गंगा एक्शन प्लान के कर्मी”

नारद और हिंदी के हर मर्ज की दवा


मैं अपने एक इंस्पेक्टर को कहा रहा था कि कहीं से दिनकर की उर्वशी खरीद लायें। मेरी प्रति खो गयी है। मेरे एक गाडी नियंत्रक पास में खडे थे। बोले – साहब आपने पिछली बार दिल्ली भेजा था तो कुछ लोग वहां बात कर रहे थे कि आपकी हिंदी के बारे में अगर कोई प्राबलमContinue reading “नारद और हिंदी के हर मर्ज की दवा”

निरालाजी के इलाहाबाद पर क्या गर्व करना?


मुझे एक सज्जन ने पूरे फख्र से मेरी पोस्ट पर टिप्पणी में कहा है कि वे निराला के इलाहाबाद के हैं. उसपर एक अन्य मित्र ने बेनाम टीप करते हुये निरालाजी की मन्सूर से तुलना की है – “अगर चढ़ता न सूली पर तो वो मन्सूर क्या होता”. निराला, जैसा मुझे मालूम है, इलाहाबाद मेंContinue reading “निरालाजी के इलाहाबाद पर क्या गर्व करना?”