#गांवकाचिठ्ठा – मिट्टी, बालू की ट्रॉलियाँ, गर्दा और कोविड काल


ट्रॉलियां चल रही हैं, गर्दा उठ रहा है, प्रदूषण हो रहा है – यानी अर्थव्यवस्था पटरी पर आने लगी है।

#गांवकाचिठ्ठा – कल दिन की शुरुआत अच्छी थी, शाम तक खुशी गायब हो गयी


तुलसीपुर प्राइमरी स्कूल के क्वारेण्टाइन सेण्टर में बम्बई से आया एक परिवार रखा गया था। वह अवधि पूरा किये बिना घर चला गया और उसमें से एक बालक डायरिया से मर गया।” 😦

अगियाबीर के रघुनाथ पांड़े जी


रघुनाथ पांड़े जी नब्बे से ऊपर के हैं। पर सभी इन्द्रियां, सभी फ़ेकल्टीज़ चाक चौबन्द। थोड़ा ऊंचा सुनते हैं पर फ़िर भी उनसे सम्प्रेषण में तकलीफ़ नहीं है। ऐसा प्रतीत नहीं होता कि उन्हे अतीत या वर्तमान की मेमोरी में कोई लटपटाहट हो। जैसा उनका स्वास्थ है उन्हे सरलता से सौ पार करना चाहिये।सरल जीवन।Continue reading “अगियाबीर के रघुनाथ पांड़े जी”