हाईवे और रेल लाइन के बीच की आधा किलोमीटर की पट्टी में बड़े फीवरिश पिच पर प्लॉटिंग, दुकानों और रिहायशी इमारतों का निर्माण और जमीन के खरीद-फरोख्त की गतिविधि प्रारम्भ हो गयी है। मेरे गांव से आधा किलोमीटर दूर भी प्लॉटिंग हो रही है। सड़क बन रही है।
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जोखन साइकिल मेकेनिक
“ज्यादा नहीं पचास-एक लगेगा। और बीस-एक मिनट इंतजार करना होगा।” – जोखन ने कहा और मेरे हामी भरने पर अपनी लुंगी फोल्ड कर घुटने के ऊपर की और काम में लग गया।
टट्टू
“टट्टू पर भारत दर्शन” – क्या शानदार किताब बनेगी अगर उसपर यात्रा की जाये! एक सहयात्री, दो टट्टू और एक फोल्डिंग टेण्ट ले कर निकला जाये। एक दिन में तीस किलोमीटर के आसपास चलते हुये साल भर में भ्रमण सम्पन्न किया जाये! 🙂
बाबा मिल गये उर्फ नागाबाबा जीवन गिरि
लगता है जूना अखाड़ा थोक में साधुओं को सधुक्कड़ी का डिप्लोमा देता है और बाद में उन सबको इधर उधर छोटे-बड़े मंदिरों में खाने कमाने की फ्रेंचाइज भी प्रदान करता है।
बीमारी के बाद सुंदर
बाल काटने के बाद वह मेरी पत्नीजी को बुलाता है और सही काटने का अप्रूवल वही देती हैं। उसके बाद वह मेरी कनपटी के बेतरतीब उगे बाल काट कर चम्पी-अनुष्ठान करता है – यद्यपि उसके हाथों में बहुत जोर नहीं है।
घर के बगीचे में
मेरी पत्नीजी के पास इस बागवानी विधा और उसमें पलते जीवजंतुओं के बहुत से अनुभव हैं और बहुत सी कहानियां भी। वे उन्हें ब्लॉग पर प्रस्तुत करें तो छोटे-मोटे रस्किन बॉण्ड जैसा काम हो सकता है। पर पता नहीं उनका यह करने का मन होगा या नहीं। ….