वह तो एक स्नेहपूर्ण समीकरण बना लिया है पाणिनि पण्डित से कि पिन चुभाने में मजा आता है। वर्ना बाबा को सुनना और रामचंद्र गुहा को पढ़ना – वैचारिक मतभेद के बावजूद – मुझे प्रिय है।
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सावन में तीन ताल का लाल तिरपाल
तीन ताल अपने आप में अनूठा पॉडकास्ट है। ये तीनों पॉडकास्टिये, जो अपना रूप-रंग फोटोजेनिक बनाने की बजाय अपनी आवाज के वजन और अपने परिवेश की सूक्ष्म जानकारी से आपको चमत्कृत करने की जबरदस्त क्षमता रखते हैं…
महादेव! प्रेम जी, कांवर पदयात्री का विश्राम लहा हनुमना वन रेस्टहाउस में
यह नहीं सोचा था कि शंकर भगवान अपने भक्त का कस जरूर निकालते हैं, पर कभी कभी उसके लिये व्यवस्था भी अनूठी कर देते हैं।
यह सब अगर महादेव भगवान प्रेरित मिरेकल माना जाये तो यह विश्वास हो जाता है कि शंकर जी से बड़ा कोई ‘कलाकार’ देव, देवाधिदेव हईये नहीं!
प्रो. अशोक सिंह – अगियाबीर के पुरातत्व खोजी के संस्मरण
यह सौभाग्य है कि डा. अशोक सिंह अपने संस्मरण सुनाने को राजी हो गये। आज उस कड़ी में पहला पॉडकास्ट है जिसमें वे अगियाबीर की खोज की बात बताते हैं। उनके संस्मरण बहुत रोचक हैं। आप कृपया सुनने का कष्ट करें।
भदोही जनपद का इतिहास और पुरातत्त्व – डा. रविशंकर जी का पॉडकास्ट
पॉडकास्ट का अपना अलग शऊर है, अपना अलग आनंद। आप इस विषय पर पॉडकास्ट सुनने का कष्ट करें। उम्मीद है यह अच्छा ही होगा। डा. रविशंकर ने उसमें बड़े पैशन से बोला है – वे आर्कियालॉजी ओढ़ते बिछाते हैं।
रस्सी बनाने की मशीन – गांव की आत्मनिर्भर सर्क्युलर इकॉनॉमी का नायाब उदाहरण
मोटर साइकिल पर लदी वह गियर सिस्टम वाली रस्सी बुनने की मशीन, हैण्डल घुमाने वाला बच्चा और रस्सी बुनने वाला वयस्क – ये तीन मुख्य घटक थे। इन तीनों के योग से कितनी शानदार रस्सी बनाने की मोबाइल दुकान बन गयी थी।