साधारण सा आदमी। उसकी सफेद कमीज साफ नहीं है। बांई ओर की जेब फटी है और उसे सिलने के लिये जो धागा उसने या उसकी पत्नी ने इस्तेमाल किया है, वह सफेद नहीं किसी और रंग का है। उसके बाल बेतरतीब हैं…
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अगुआ – लड़कों की शादी कराना मुश्किल होता जा रहा है!
“पहले लड़कियों की शादी कराने में मुश्किल होती थी। अब लड़कियां ज्यादा काबिल होने लगी हैं और लड़के निकम्मे। लड़की वाले भी यह समझने लगे हैं।”
फिर मिले शिव जग यादव
भारत आर्टीफीशियल इण्टेलिजेंस की दुनियां में छलांग लगा रहा है। आये दिन चैटजीपीटी के कारनामों की चर्चा होती है। पर अभी भी एक बड़ी आबादी इन सबसे अछूती है या इन सब को जोड़ कर ह्वाट्सएप्प के खांचे में डाल देती है।
राजू सफाईवाला का परिवार
दुकानदार मुझे राजू के काम के बारे में बताते हैं – “इनके बिना तो काम ही नहीं चलता। एक दिन ये न आये तो पूरा बाजार बजबजाता रहता है। कोई ग्राहक आना पसंद नहीं करता। इसके लिये हम लोग पांच-पांच रुपया देते हैं?”
मिश्रीलाल सोनकर से एक और मुलाकात
पचासी साल का आदमी, अपने बारे में लिखा देख और सुन कर कितना प्रसन्न होता है, वह अहसास मुझे हुआ। उनकी वाणी मुखर हो गयी। बताया कि अपनी जवानी में वे मुगदर भांजा करते थे। “सामने क लोग मसड़ (मच्छर) अस लागत रहें तब।”
शिव जग यादव और अखबार
शिव जग जी भदोही में वाचमैन हैं। साइकिल पच्चीस किमी चला कर शाम को ड्यूटी पर जाते हैं और सवेरे यहां महराजगंज से अखबार लेते वापस लौटते हैं। एक दिन में 50किमी साइकिल चलाना!