शिव मिश्र लिखते हैं कि क्रिकेट पर मीडिया का रुख अच्छा नहीं है. मीडिया माने टीवी वाले. कई दिनों से टीवी वाले माइक और कैमरा ताने हैं. कई आतंकवादी बैनर हेडलाइन दिखा रहे हैं – “शेर हो गये ढेर” या “नाक कटा दी”. टीवी पर जो कहते हैं, उसका सार है कि “क्रिकेट वाले अच्छाContinue reading “क्रिकेट पर रुदन बेचने का मौसम है मित्र!”
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सरकारी अफसर की साहित्य साधना
श्रीलाल शुक्ल सरीखे महान तो इक्का-दुक्का होते हैं.ढेरों अफसर हैं जो अपनी प्रभुता का लाभ ले कर – छोटे दायरे में ही सही – साहित्यकार होने की चिप्पी लगवा लेते हैं. सौ-सवासौ पेजों की एक दो किताबें छपवा लेते हैं. सरकारी प्रायोजन से (इसमें राजभाषा खण्ड की महती भूमिका रहती है) कवि सम्मेलन और गोष्ठीContinue reading “सरकारी अफसर की साहित्य साधना”
आइये हम सब अमेरिका को गरियायें
अमेरिका को गरियाना फैशन है.
‘अहो रूपम – अहो ध्वनि’, चमगादड और हिन्दी के चिट्ठे
इंटरनेट की जाली पर कई अलग अलग समूहों मे अनेक प्रजातियों के चमगादड़ लटक रहे हैं. ये चमगादड़ तेजी से फल फूल रहे हैं. इनमें से एक प्रजाति हिंन्दी के चिट्ठाकारों की है. उनकी कालोनी का दर्शन मै पिछले दो दिनों से कर रहा हूं. ये चमगादड़ बुद्धिमान टाइप के हैं. आपस में ‘अहो रूपमContinue reading “‘अहो रूपम – अहो ध्वनि’, चमगादड और हिन्दी के चिट्ठे”