प्रेमसागर की भलमनसाहत है कि वे फोन कर मुझे जानकारी दे रहे हैं। अब उनके पास लोगों का सपोर्ट सिस्टम है और यात्रा हेतु प्रचुर सहयोग भी। पर मेरा मन करता है उनकी यात्रा – गंगोत्री से केदार तक की पदयात्रा का विवरण जानने का।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
प्रेमसागर की भलमनसाहत है कि वे फोन कर मुझे जानकारी दे रहे हैं। अब उनके पास लोगों का सपोर्ट सिस्टम है और यात्रा हेतु प्रचुर सहयोग भी। पर मेरा मन करता है उनकी यात्रा – गंगोत्री से केदार तक की पदयात्रा का विवरण जानने का।