अमरपाटन से रींवा


जूठी चाय और फिर पानमसाला-जर्दा। अचानक प्रेमसागर को लगा कि उस भिखमंगे का एक फोटो ले लेना चाहिये। पर तब देखा कि वह भिखमंगा गायब हो गया है। …
रींवा पंहुच कर लोगों को यह घटना बताई तो उनका कहना था – महादेव और माई बीच बीच में अपने गणों को भेजते रहते हैं। उससे ज्यादा उद्विग्न नहीं होना चाहिये। यह तो लीला है!

प्रेमसागर – मैहर से अमरपाटन


रास्ते में तीन नौजवान मिले। उनमें से एक का नाम प्रेमसागर को याद है शिवम। वे लोग साइकिल से थे, पर प्रेमसागर का बैग उठा कर तीन किमी साथ चले। उनका फोटो भी खींच लिया है।

प्रेमसागर – गंगोत्री से गोमुख और वापस


“बन वाले हमको अकेले जाने की परमीशन नहीं दिये। बोले – बाबा लोग का भरोसा नहीं। क्या पता कौन बाबा किस गुफा में आसन जमा ले। एक बार बैठ जाने पर उस बाबा को वहां से निकालना मुश्किल होता है।” – प्रेमसागर ने बताया।

रामनवमी – सीता जी क्या बनाती रही होंगी राम जी के बर्थडे पर?


चौदह साल का वनवास। तेरह रामनवमियाँ तो ठीकठाक बिताई होंगी राम-सीता ने वन में। यूं तो यूपोरियन आदमी जन्मदिन टाइप चोंचले में ज्यादा यकीन नहीं करता, पर सीताजी राम जी के जन्मदिन पर कुछ तो विशेष बनाती ही रही होंगी?

तीन राज्यों की सीमा छूने के बाद अब गुजरात में प्रेमसागर


कल प्रेमसागर नर्मदा के उस स्थान पर स्नान कर आये जहां मध्यप्रदेश, महाराष्ट और गुजरात की सीमायें मिलती हैं। ट्रिपल स्टेट बॉर्डर। नर्मदा किनारे पहाड़ियां थीं। जल राशि खूब और स्वच्छ। लगभग निर्जन क्षेत्र।

अलीराजपुर में भाग्वत कथा


आज प्रेमसागर को अलीराजपुर से आगे निकलना था। पर एसडीओ साहब उन्हें साठ किलोमीटर दूर, नर्मदा तट पर वह स्थान दिखाने ले गये हैं, जहां उत्तर तट पर मध्यप्रदेश और गुजरात की सीमा मिलती है। नर्मदा के उसपार महाराष्ट्र है। अर्थात वह स्थान है जहां नर्मदा माई तीन राज्यों की सीमायें छूती हैं।