रमाशंकर जी ने अपने घर में अलग से एक कमरा प्रेमसागर को दे दिया है। सभी सुविधा है। कल प्रेमसागर भीड़ द्वारा भगाये जा रहे थे, आज रमाशंकर जी ने सम्पूर्ण स्नेह उंडेल कर उनका स्वागत किया है!
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ध्वस्त शृन्खला महाशक्तिपीठ
“वे लोग कह रहे थे भईया, क्या करोगे? इसे (मीनार को) तोड़ोगे? हम दीदी से बात करेंगे। रात में जहां रुकोगे तो हम सब मिलने आयेंगे।” – प्रेमसागर ने बताया कि उनके तेवर उग्र थे और भाषा धमकी वाली थी।
नवद्वीप, समाजबाड़ी और मायापुर
प्रेमसागर ने मुझे बताया – “फोन पर पिताजी ने मायापुर के लॉज वाले से कहा कि मेरा लड़का है, तीर्थ यात्रा पर निकला है। कोई गलत काम नहीं कर रहा। उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। तब जा कर लॉज वालों ने कमरा दिया है।”
योगद्या शक्तिपीठ और नवद्वीप
उन्हें रात्रि गुजारने के लिये कोई स्थान नहीं मिला। वे इस उहापोह में थे कि क्या नवद्वीप जा कर चैतन्य महाप्रभु के जन्मस्थान का दर्शन करें या अपनी शक्तिपीठ यात्रा पर चलते रहें।
उन्होने बस से नवद्वीप जाने का निर्णय किया।
मंगल चण्डी शक्तिपीठ, उजानी
“भईया, जो पीढ़ी दर पीढ़ी संस्कारी होता है, उसमें सरलता होती है। अहंकार नहीं होता। ये पुजारी जी भी वैसे ही हैं। उनसे मिल कर अच्छा लगा।” – प्रेमसागर ने कहा। शाम की आरती के लिये पुजारी जी ने उन्हें बुलाया भी है।
श्री बहुला शक्तिपीठ, केतुग्राम
“अट्टहास” का शक्तिपीठ ज्यादा व्यवस्थित था और बड़े क्षेत्र में। वहां की जगह देख कर लगता था कि यह कोई अहम मंदिर है। इसके विपरीत श्री बहुला मंदिर सामान्य सा था। लगता नहीं था कि कोई बड़ा मंदिर है। वहां व्यवस्था भी सामान्य थी।