सहस्त्रार्जुन की राजधानी माहिष्मती (माहेश्वर)


लम्बी चौड़ी योजना बनाने वाला (पढ़ें – मेरे जैसा व्यक्ति) यात्रा पर नहीं निकलता। यात्रा पर प्रेमसागर जैसा व्यक्ति निकलता है जो मन बनने पर निकल पड़ता है। सो, प्रेमसागर मन बनने के साथ ही आगे की लम्बी यात्रा पर निकल पड़ेंगे।

इंदौर में और फिर चोरल की ओर


आज सवेरे पांच बजे प्रेमसागर चोरल के लिये रवाना हुये। चोरल इंदौर के अतिथि गृह से 36 किलोमीटर दूरी पर है। शुरू के बाईस-चौबीस किलोमीटर मालवा के पठार पर हैं। उसके बाद नर्मदा घाटी प्रारम्भ होती है।

उदयपुरा से बरेली और नागा बाबा से मिला सत्कार


“नहीं भईया, नागा लोगों का दिया धन पचाना आसान बात नहीं है। मेरे मना करने पर भी पचास रुपया और दिये नागा बाबा। … कपड़ा-लंगोट कुछ नहीं पहने थे। बस एक गमछा लपेट लिये थे लोगों के सामने आने के समय।”