जोखन साइकिल मेकेनिक


“ज्यादा नहीं पचास-एक लगेगा। और बीस-एक मिनट इंतजार करना होगा।” – जोखन ने कहा और मेरे हामी भरने पर अपनी लुंगी फोल्ड कर घुटने के ऊपर की और काम में लग गया।

बाबा मिल गये उर्फ नागाबाबा जीवन गिरि


लगता है जूना अखाड़ा थोक में साधुओं को सधुक्कड़ी का डिप्लोमा देता है और बाद में उन सबको इधर उधर छोटे-बड़े मंदिरों में खाने कमाने की फ्रेंचाइज भी प्रदान करता है।

टुन्नू पण्डित के साथ सवेरे की चाय


तरह तरह की बात हुई। उन्होने बताया कि गंगाजी के पांच किलोमीटर दोनो ओर का कॉरीडोर ऑर्गेनिक खेती के लिये डिल्केयर होने की सम्भावना है। वह अगर होता है तो मृदा की सेहत और खेती के पैटर्न के लिये बहुत कुछ सरकारी इनपुट्स मिलेंगे।

दांये चलो, सेफ चलो


मैंने अपने को यह माना है कि मैं साइकिल पर नहीं, पैदल चल रहा हूं। तेज चाल से चलता पैदल व्यक्ति। पैदल आदमी सड़क के दांयी ओर चलता है जिससे वह सामने आ रहे वाहन से अपने को बचा सके। सो मैं अपनी साइकिल दांयी ओर ही चलाने का प्रयास करता हूं।

क्या लिखोगे पाँड़े, आज?


आगे तीन बालक दिखे सड़क किनारे। ताल में मछली मारे थे। छोटी छोटी मछलियाँ। ताल का पानी एक छोटे भाग में सुखा कर पकड़ी थीं। आधा घण्टा का उपक्रम था उनका। अब वे आपस में पकड़ी गयी मछलियों का बंटवारा कर रहे थे।

गांव की सड़क पर बारिश के मौसम की शाम


मैं देर तक रुका नहीं; यद्यपि सांझ के गोल्डन ऑवर की सूरज की किरणों में वह जगह बहुत आकर्षित कर रही थी। मैंने अपने को दो – ढाई हजार साल के अतीत के टाइम फ्रेम से अपने को वर्तमान में धकेला और घर के लिये रवाना हो गया।