यह सब पैसा, जो इकठ्ठा हो रहा है, तुरंत पोस्टर लगाने, गाड़ी-मोटरसाइकिल का पेट्रोल भराने, चाय समोसा, जलेबी खिलाने, गांजा – दारू – भांग का प्रबंध करने या सीधे सीधे वोट खरीदने में जा रहा है। पगलाये हुये हैं उम्मीदवार!
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आज जो देखा #गांवदेहात #गांवपरधानी
“मेरे पास परधानी की तीन चार झकाझक, सनसनीखेज खबरें हैं। पर सुनाऊंगा तभी जब बढ़िया हलुवा बनेगा। और एक खबर, जो बहुत ही खास है, वह तो तभी सुनाऊंगा, जब हलुये में काजू किशमिश भी पड़ेगा।”
ढूंढी बोले – बहनोई, मानसम्मान ही बड़ी चीज है, #गांवपरधानी का क्या!
ढूंढी प्रधानी के व्युह से अलग हो दार्शनिक टाइप हो गये थे। हर आदमी हो जाता है! पर अच्छा लगा ढूंढी का आ कर मिलना और बोलना बतियाना।
#गांवपरधानी; अब होली का रंग चढ़ने लगा है, गांव में!
मुझे पता नहीं कि बुज्जू भांग में रुचि रखते हैं या नहीं। पर उनकी सवेरे सवेरे कही बात मुझे कहीं गुदगुदा गयी! होली आने को है। ऐसे में यह जवान मुझे रेल के विभाग के शीर्ष से गांवपरधानी पर उतार रहा है और मुझे जिताने का जिम्मा ले रहा है। 😀
लालजी यादव का काम कराने का मंत्र – बाभन खाये, लाला पाये
लालजी समाजवादी ब्रिगेड के बढ़े प्रभुत्व के आईकॉन हैं। उनकी तुलना मैंने ‘गणदेवता’ के श्रीहरि पाल से की; पर आज बदलते गांव का जितना सशक्त चरित्र लालजी है; उतना ताराबाबू का छिरू पाल नहीं है।
आज गांव और #गांवपरधानी
“नेता लोगन क बहुत कपड़ा धोवात-कलफ-प्रेस करात हयें। फुर्सत नाहीं बा (नेता लोगों के आजकल प्रधानी चुनाव के कारण बहुत कपड़े धुलाई-कलफ लगाई और प्रेस कराई के लिये मिल रहे हैं। फुर्सत नहीं मिल पा रही)।”