किरीट सोलंकी के चित्र


पचहत्तर की उम्र। शारीरिक समस्यायें। जीवन साथी का विछोह। और अनुभवों का एक लम्बा कालखण्ड! किरीट जी अगर सम्पर्क में रहे हो सोचने और लिखने को बहुत कुछ होगा। रेलवे भी उसमें हो उसमें शायद!

राजमणि राय और उम्र का एकाकीपन


उनकी बातों से लगा कि वे मेरी सिम्पैथी चाहते हैं पर अकेले जीने में बहुत बेचारगी का भाव नहीं है। राजमणि ने अकेले जिंदगी गुजारने के कुछ सार्थक सूत्र जरूर खोज-बुन लिये होंगे। इन सज्जन से भविष्य में मिलना कुछ न कुछ सीखने को देगा।

सड़सठ (67) साल की उम्र पर


अपने आप को कालजयी लेखक, ब्लॉगर या कोई शानदार लीगेसी छोड़ कर जाने का फितूर न पाला जाये तो क्रियेटिव तरीके से आने वाले दशक – कई दशक – दीर्घ और स्वस्थ्य जीवन के साथ गुजारे जा सकते हैं। बाकी, जो होगा सो होगा ही। होईहैं सोई जो राम रचि राखा!

मोतियाबिंद ऑपरेशन की तैयारी


रीता का मामला सामान्य मोतियाबिंद ऑपरेशन का नहीं है। उनकी दूसरी आंख में सी.एन.वी.एम. क्षरण सतत जारी है। इसलिये उपयुक्त यह है कि सामान्य दांई आंख, जिसमें मोतियाबिंद हो गया है, को ऑपरेट कर सही कर लिया जाये।

बढ़ती उम्र और रीता पाण्डेय की आंखें


साठ पार की उम्र के साथ शरीर की समस्यायें भी बढ़ती हैं और उनके बारे में ध्यान देने की विचारधारा भी बदलती है। एक सार्थक, समग्र और सकारात्मक सोच अगर नहींं बन सकी तो व्यथित जीवन का ओर-छोर नहीं। ऐसे में अपनी परिस्थितियाँ शेयर करने और कठिनाई के लिये सपोर्ट सिस्टम बनाना पड़ता है याContinue reading “बढ़ती उम्र और रीता पाण्डेय की आंखें”

बीमारी के बाद सुंदर


बाल काटने के बाद वह मेरी पत्नीजी को बुलाता है और सही काटने का अप्रूवल वही देती हैं। उसके बाद वह मेरी कनपटी के बेतरतीब उगे बाल काट कर चम्पी-अनुष्ठान करता है – यद्यपि उसके हाथों में बहुत जोर नहीं है।