बिक्रमगंज से दाऊदनगर


तीन सदी पहले दाउदनगर में शेर और बघेरे तो नहीं थे, पर भेड़िये जरूर थे। अफीम, बर्तन और कपड़े का उद्योग था। यहां के आढ़तियों का व्यवसाय बनारस तक चलता था और उनकी हुण्डी की बनारस में अहमियत थी। लोग ‘खुशहाल’ थे।

Design a site like this with WordPress.com
Get started